बहुत खेल चुकी तू मुझसे
अब जानम तेरी बारी है,
आज देखना है मुझको
ये तेरी कैसी यारी है।
कहती हो तुमसे मुहब्बत है
तुझपे ही जान निसारी है,
आज देखना है मुझको
तू कैसी अबला नारी है।
सोचा भी न था मैंने
तूने दी वो मात करारी है,
आज देखना है मुझको
तूझे कैसी सीरत प्यारी है।
बहुत बनाया है मुझको
अब बनने की तेरी बारी है,
आज देखना है मुझको
तूझे कौन सी सूरत प्यारी है।
जीने की चाह नहीं मुझको
पर मौत क्यों मुझसे हारी है,
आज देखना है मुझको
मेरी किस्मत कितनी प्यारी है।
मंगलवार, 18 अगस्त 2009
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2 टिप्पणियां:
बहुत ही सुन्दर रचना .......खुब्सूरत
बहुत ही सुन्दर रचना ...
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