मंगलवार, 11 अगस्त 2009

कितने रीयल हैं रिएल्टी शो ?

टेलिविजन के विभिन्न चैनलों पर आजकल रिएल्टी शो की भरमार है। गीत -संगीत, नाच -गान, स्वयम्बर, जंगल - मंगल, प्रतियोगिता, आदि कितने सच का सामना रिएल्टी के नाम पर दर्शकों को रील लाइफ में दिखाया जा रहा है। अभी एनडीटीवी इमैजिन पर ’राखी का स्वयम्बर’ सोनी पर ’इस जंगल से मुझे बचाओ’ तथा स्टार प्लस पर ’सच का सामना’ सर्वाधिक चर्चा में रहनेवाला कथित ’रिएल्टी शो’ है। इसके अलावा सोनी पर ही सलमान खान द्वारा प्रस्तुत ’दस का दम’ भी दर्शकों में अपनी पैठ बनाने के जुगत में है। मजे की बात यह है कि ’कौन बनेगा करोड़पति’ से लेकर ’सच का सामना’ तक अधिकांश कार्यक्रम विदेशोेेें में लोकप्रिय टीवी शो का भारतीय संस्करण भर हैं। तमाम चैनलों का पूरा गणित इन कथित रिएल्टी शो के बहाने अपना टीआरपी बढ़ाना मात्र है। फिर भी अहम् सवाल यह है कि ये बहु प्रचारित रिएल्टी शो कितने रियल होेेते हैं ?
छोटे पर्दे पर सबसे पहले अन्नू कपूर और रेणुका शहाणे जी टीवी पर ’अंताक्षरी’ के नाम से पहले रिएल्टी शो के साथ अवतरित हुए थे। इसके बाद शुरु हुआ इस प्रचलन को स्टार प्लस पर दिखये गये ’कौन बनेगा करोड़पति’ की अपार सफलता के बाद तो मानो पंख ही लग गया। मेगा स्टार अमिताभ बच्चन इस कार्यक्रम के प्रस्तोता थे। गौरतलब है कि उस वक्त बुरे दौर से गुजर रहे स्टार प्लस और अमिताभ दोनो को ही इस कार्यक्रम की अप्रत्याशित सफलता से दुबारा अपनी लय में आने में मदद मिली थी। इसके बाद तो स्टार एंकरों के सहारे विभिन्न चैनलों पर इससे मिलते जुलते कार्यक्रमों की मानो बाढ़ ही आ गई। जिसमें नीना गुप्ता के एंकरिंग में ’कमजोर कड़ी कौन’, गोविन्दा के ग्लैमर के सहारे ’जीतो छप्पड़ फाड़ के’ तथा अमन वर्मा पर दाॅंव खेलते हुए ’खुल जा सिमसिम’ आदि प्रमुख हैं। पर ये तमाम कार्यक्रम अमिताभ वाला जादू उत्पन्न नहीं कर सके और जल्दी ही दर्शकों ने उन्हें नकार दिया। यहाॅं तक कि जब मीडिया के चहेतेे शाहरुख खान केबीसी के दूसरे संस्करण में स्टार चैनल पर आये तो भी यह प्रोग्राम घुटने के बल चलने से धराशायी हो गया।
’राखी के स्वयम्बर’ के बाद सच का सामना और इस जंगल से मुझे बचाओ अभी सर्वाधिक चर्चा और विवाद में है। सामनेवाले की सच्चाई समाज को क्या संदेश देता है यह तो कार्यक्रम के निर्माता और संचालक ही शायद जानते होंगे पर यह समाज के एक बड़े वर्ग को उद्वेलित जरुर कर रहा है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति पर हथौड़े की तरह चोट करने वाला यह कार्यक्रम इतना विवादित हो चुका है कि संसद में भी इस पर जमकर बहस हुई। ’मोमेंट आॅफ ट्रªुथ’ के नक्कालों ने चश्चिमी जगत और भारतीय परिवेश के अंतर को नजरअंदाज कर सिर्फ चर्चा, विवाद, टीआरपी और इस सबके आड़ में मोटी कमाई मात्र पर अपना ध्यान केन्द्रित किया और इसमें वे सफल भी दिख रहे हैं। ’सच का सामना’ एक ऐसा रिएल्टी शो है जो अमर्यादित और शालीनता की हदों को पारकर सेक्स आधारित प्रश्नों के सहारे ही अपनी प्रासांगिता और चर्चा के केन्द्र में रहने में विश्वास करता है।। एक करोड़ की इनाम राशि का लोभ दिखा कर यह कार्यक्रम न सिर्फ प्रतियोगियों के निजी जीवन में अनावश्यक ताक - झाॅक करता है बल्कि दर्शको के सामने अपने ही स्टाइल में उनकी पोल भी खोल देता है। प्रतियोगियो द्वारा उपलब्ध कराये गये जानकारी के आधार पर करीब 50 प्रश्न तैयार किये जाते हैं फिर उन्हीं मे से कुछ सवालो को दर्शकों के सामने सनसनीखेज ढ़ंग से पूछकर तथा उन्हें पूर्व में दिये गये जवाब के तुलना कर इनाम की राशि को केेन्द्र में रख दर्शको में उत्सुकता बनाया जाता है। इस में सेक्स आधारित सवालों केा सबसे अधिक तरजीह दी जाती है। सवालो के कुछ नमूने इस प्रकार हैं ....क्या आपने अपनी बेटी की उम्र के किसी लड़की से सेक्स किया है? क्या आपने अपने किसी निकट संबंधी महिला से संसर्ग किया है? एक महिला से पूछा जाता है कि यदि आपके पति को कभी जानकारी न हो सके तो क्या आप किसी पुरुष से सेक्स करना चाहेंगी? दूसरी महिला से जानकारी माॅंगी जाती है कि क्या किसी पुरुष का सही परिचय जाने बिना आप उसके साथ महिने भी रही हैं? ये सारे सवाल प्रतियोगियों के सगे संबंधी (पति, पत्नि,माता - पिता, भाई- बहन, मित्र) की उपस्थिति में पूछा जाता है। यह अत्यन्त व्यक्तिगत सवाल हैं और इससे सामाजिक स्तर पर क्या संदेश जा सकता है इससे कार्यक्रम के संचालकों को कोेई लेना -देना नहीं होता। इतना ही नहीं अपना टीआरपी बढ़ाने के लिए ये कई प्रश्नो के उत्त्र पहले ही मीडिया में लीक भी कर देते हैं जैसा कि बिनोद कांबली के प्रसंग में हुआ। इस कार्यक्रम में प्रसारित होने वाले बेहूदा सवाल जवाब को पाॅलिग्राफ टेस्ट के नाम पर लोगों केा भरमाया जाता है। सवाल यह भी है कि जिन लोगों केेेा इस कार्यक्रम मे बुलाया जाता है उसके व्यक्तिगत जीवन के बारे में दर्शकों केा कोई रुचि या भी या नहीं इस सबसे अलग चैनल मात्र अपने नफा नुकसान के आकलन में ज्यादा व्यस्त दिखता है। कार्यक्रम का भोंडापन इस बात से भी उजागर होता है कि इसके संचालक के माता पिता भी इसे इसे अमर्यादित ,अशालीन बतातेेे हुए कहते हैं कि इसे बच्चों के साथ नहीं देखा जा सकता है। राजीव की माॅं लक्ष्मी खंडेलवाल कहती हैं कि वे इस कार्यक्रम में अपने पति और बेटे के सामने नहीं आ सकती। सच्चाई केे ढ़िढोरा पीटने वाले इस कार्यक्रम में क्या कभी चैनल के कर्ता धर्ता, निर्माता, संचालक या उनके परिजन भी आने ही हिम्मत दिख पायंेगे ? शायद तब यह कार्यक्रम ज्यादा रोचक और ईमानदार प्रतीत होेेगा। अभी तो सारे पतियोगी मात्र एक करोड़ हासिल करने के लोभ में ही आ रहे हैं।
’इस जंगल से मुझे बचाओ’ भी विदेशी कार्यक्रम का नकल है। इसमें प्रतियोगी महिलाओं के मांसल बदन का दर्शन, कैमरे के सामने बिकनी में नहाती प्रतियोगी महिलाएॅ उनके बीच की अश्लील गाली गलौज पर ही ज्यादा ध्यान केन्द्रित किया गया है। साथ ही कभी कैमरे के सामने खाने की कमी से कलमते प्रतियोगी तो कभी खाने में उन्हें परोसा जाने वाला जीवित मछली या आइसक्रीम पर चिपके कीड़े मकोड़े खाते दिखला कर पता नहीं क्या संदेश दिया जा रहा है। क्या भारत में केाई मांसाहारी प्राणी जीवित मछली या कीड़े मकोड़े खाता है ?
इसी कड़ी में एक चैनल पर आने वाला ’रोडिज’ और ’स्पिील्टसविला’ कार्यक्रम भी अपने अंदाज में सुर्खियों में रहा है। भारतीयता की अपेक्षा ’इंडियन कल्चर’ के हिमायती रघुराम जहाॅं इंडियन युवाओं को उदंडता और स्व केन्द्रित होना सीखा रहे हैं वहीं युवा वर्ग के लिए नई नई गाली ईजाद करने में भी माहिर हैंै। इसी चैनल में हाल में ही खत्म हुए कार्यक्रम ’स्पिील्टसविला’ पर प्रतिभागी लड़कियो ने आरोप लगाया है कि इसमें उन्हीं लडकियोेें को जीतनेेेेे का ज्यादा अवसर दिया गया जो कार्यक्रम के निर्देशक और निर्माता को ’खुश’़ कर सकती थी। अश्लीलता और फूहड़ता का ऐसा ही समावेश कामेडी केे नाम पर भी विभिन्न चैनलों पर देखने को मिलता है। शर्म से दर्शकों की नजरें तब झुक जाती है जब उन अबोध बच्चों के मुॅह से अमर्यादित बातें सुनने कोेे मिलती है जिनके दूध के दाॅत भी टूटे नहीं होतेे हैं। एक कार्यक्रम में तो प्रतिभागियों केा कामसूत्र के थीम पर नाचने को कहा जाता है। ’राखी का स्वयम्बर’ यद्यपि 2 अगस्त को खत्म हो गया किन्तु अपने अनोखे प्रस्तुति के लिए यह भी काफी चर्चा में रहा। मीडिया में तो यह भी दावा किया गया है कि टीआरपी केेे खेेेल मेें यह सभी कार्यक्रमों पर भारी पड़ा।

क्रमशः

- बिपिन बादल

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