गुरुवार, 13 अगस्त 2009

यदि गम नहीं होता

ेकभी-कभी सोचता हूँ
यदि गम नहीं होता तो क्या होता ?
जिन्दगी हमेशा रंगीन
और खुशियों से भरी होती
लेकिन दुनिया के गम से
बेगाना ही रहता
अपने-पराए में फर्क नहीं कर पाता
यदि गम नहीं हेाता तो
कदाचित
जिन्दगी खुशी का खजाना होता
कभी-कभी सोचता हँू
अगर ऐसा होता तो क्या होता
नहीं आँखों से मोती झरते
न जीवन में अंधेरा होता
तो खाक जीने में मजा आता
यदि अश्कों का दरिया नहीं बहता
तो हँसी का फव्वारा क्या नहीं फूटता
यदि गम नहीं होता तो
खुशी-खुशी जीने का मजा नहीं होता।

2 टिप्‍पणियां:

Vinay ने कहा…

उत्तम अति उत्तम

बेनामी ने कहा…

achha likha hai dost.........