मंगलवार, 29 मार्च 2011

उफ, मैं स्वार्थी हो गया...

विवाह के कुछ बरस बीत जाने पर पत्नी का उतना ख्याल ही कहाँ रह पाता है। जिम्मेदारियों को निभाते-निभाते आपसी प्रेम कहां नेपथ्य में चला जाता है, पता ही नहीं चलता। आपसी संबंधों में नई गरमाहट लाने के लिए मैंने छुट्टïी ली था। सरकारी नौकरी में इतनी तो सहूलियत है कि एलटीसी मिलती है। मतलब सरकारी खर्च में परिवार के साथ मौज-मस्ती करने का मौका। भला कैसे छोड़ सकता था।
यूं भी एक जगह रहते-रहते मन ऊब जाता है। नए जगह, नए लोग, मन को लुभाते हैं। और, सबसे बढ़कर पत्नी का साथ। पत्नी की इच्छा थी समुद्र देखें और मेरे मन में लालसा की सोमनाथ और द्वारकाधीश के दरबार में चलूं। सो, नई दिल्ली से अहमदाबाद के लिए राजधानी एक्सप्रेस में सवार हुआ। स्टेशन से खुलते ही चंद मिनटो में ट्रेन अपनी रफ्तार को हासिल कर चुकी थी। जैसे-जैसे ट्रेन आगे भागता, मैं भी कभी अतीत तो कभी कल्पनाओं के आकाश में गोते लगाता। कितने सुहाने दिन थे, जब मधु मेरे जीवन में आई थी। हर पल का ख्याल रखती। मुझे क्या अच्छा लगता है और कौन-सी चीज नापसंद है, मुझसे अधिक उसे पता थी। मगर अब तो वह मुझसे अधिक शौर्य का ख्याल रखती। मुझे तो औपचारिकतावश ही...।
चंद मिनट ही बीते होंगे कि ट्रेन में चाय सर्व होने लगा। चाय की चुस्की के संग मैंने मधु से बात करनी शुरू की। मगर, उसकी दिलचस्पी मुझमें नहीं दिखी। उसकी निगाहें तो जैसे शौर्य को ही तलाश रही थी। अचानक वह सीट से उठी और टॉयलेट की ओर गई। कुछ पल बीतने के बाद मधु आई और उसके पीछे शौर्य। मुझे अंदर से खीझ हुई। शायद, मधु को इसका आभास हो गया। वह धीरे से बोली, 'क्यों परेशान होते हैं? कुछ दिनों में मैं धीरे-धीरे शौर्य से अलग हो जाऊंगी।Ó मुझे उन दोनों के प्रेम की जानकारी यूं तो सात वर्ष पहले ही हो गया था। लेकिन, शादी के नौ वर्ष बाद भी मैं मधु को अपने से अलग नहीं देखना चाहता था। शायद यही पति की कमजोरी होती है कि उसकी पत्नी किसी दूसरे को उससे अधिक तवज्जो देने लगती है तो पति खुन्नस खाने लगता है। मैं इसी गुन-धुन में था।
तेज गति से चल रही टे्रन की खिड़की से जब बाहर देखता तो मन बहल जाता। मगर, दूसरे ही पल सामने वाली सीट पर बैठे शौर्य को देखता, मन गुस्सा से भर जाता। कर भी तो कुछ नहीं सकता था। आखिर, मधु शौर्य से बेइंतहा मुहब्बत जो करने लगी थी। पत्नी के साथ सात फेरों का वचन जो लिया था। पत्नी को हरसंभव खुश रखने का कोशिश करता। लेकिन यह क्या? दूसरे की खुशी में मेरी अपनी ईच्छा खत्म होने को थी। भला कोई पुरुष यह कैसे बर्दाश्त कर सकता है कि उसकी पत्नी उसकी अनदेखी कर किसी और को... तभी पेंट्रीकार वाले खाने का ऑर्डर लेने आए। मैंने नानवेज का ऑर्डर दिया तो पत्नी ने वेज थाली का। अरे, यह क्या? मधु तो इससे पहले जब भी मेरे साथ ट्रेन में सफर करती, वह नानवेज ही खाती थी। मगर, आज उसे क्या हो गया है?
तपाक से मैंने पूछा, 'आज वेज थाली क्यों?Ó
'शौर्य नानवेज नहीं खाना चाहता...उसने ट्रेन में चढ़ते ही मुझसे बोल दिया था...तुम खा लो...Ó
मैंने तुरंत वेटर को आवाज लगाई और अपना मेन्यू चेंज कराया। नॉनवेज की जगह, वेज थाली। जीवनसंगिनी का साथ जो निभाना था।
खाना खाया। अब, सोने का वक्त था। मेरा साइड लोअर था। मधु का सामने में नीचे का और शौर्य मिडिल बर्थ पर था। ट्रेन किसी स्टेशन पर आकर लगी थी। पता चला कि पिंक सिटी जयपुर है। टे्रन ने सीटी दी और कुछ मिनट में अपने गंतव्य की ओर पूरे रफ्तार में बढ़ चली। हौले-हौले ट्रेन के हिचकोले में चैन की नींद कहाँ आ पाती है। कमपार्टमेंट में दूसरे लोग भी थे। लेकिन सबसे अधिक सुंंदर मधु ही थी। कोई उससे बात नहीं कर रहा था। मेरे अवाले केवल शौर्य ही था तो उससे गप्प कर रह था। अमूमन लोग सुंदर स्त्री से जल्दी बात नहीं करने में ही अपनी बुद्घिमानी समझते हैं। आखिर, सुंदरी क्या सोचेगी? सामने वाले के बारे में क्या ख्यालात होंगे उसके...आदि-आदि। मैं तो उलझन में था...आखिर लोग चुप्प हैं तो हैं, मधु क्यों औरों के बातचीत में दिलचस्पी नहीं ले रही है? कॉलेज के दिनों में तो वह हर वाद-विवाद प्रतियोगिता में हिस्सा लेती और अव्वल आती। पुरुष और महिला में हर स्तर पर समानता की वकालत करती। लेकिन यह क्या? आज तो ट्रेन के इस कमपार्टमेंट में उसकी हिस्सेदारी महज 12.5 फीसदी थी। आठ बर्थ में वह अकेली नारी जाति का प्रतिनिधित्व कर रही थी।
यही सब सोचते-सोचते कब नींद लग गई, पता नहीं चला। कुछ देर बाद कानों में मधु के हँसने की आवाज सुनाई पड़ी। नींद खुल गई। कलाई पर नजर दिया तो पता चला कि सुबह के पाँच बजे हैं। इतनी जल्दी क्यों उठ गई मधु? घर में तो कभी नहीं जल्दी उठती...अरे यह क्या? उसके गोद में शौर्य अपना सिर रखकर आराम फरमा रहा है। दोनों आपस में तल्लीन है़। दूसरे की सुध-बुध ही नहीं। अपने में अलमस्त। द्वेष की भावना से मेरा मन भर गया। इधर के वर्षों में तो मधु ने मुझे इस प्रकार अपने साथ नहीं रखा। हाँ, शादी के शुरूआती दिनों में जरूर इस प्रकार का सान्निध्य मिला था। लेकिन, जब से शौर्य मधु के जीवन में आया है...
मैं तो गुस्से में आग बबूला हुआ जा रहा था। मगर कर भी क्या सकता था? मधु को नाराज नहीं कर सकता था। तभी पेंट्रीकार वाले चाय-चाय की आवाज लगाने लगा। झट से एक चाय के लिए। 'अरे, कैसी चाय बनाते हो?Ó
'क्या हुआ, सरÓ
'चाय में चीनी तक नहीं है?Ó
'नहीं सर, चीनी तो है। हो सकता है कम हो। मैं अभी और लेकर आता हूं।Ó
चायवाला तो चला गया। लेकिन, मेरे अचानक क्रोध को जैसे मधु जान गई थी। वह सरक कर मेरे पास आई।
'क्या हुआ तुम्हें?Ó
'तुम जाओ यहां से। जाकर शौर्य का ख्याल रखोÓ
'...ओह, तो जनाब को शौर्य से दिक्कत हो रही है। अरे, मैं उसका ख्याल नहीं रखूंगी तो कौन रखेगा।Ó
मुस्की के संग मधु अपने सीट पर चली गई। बैग से एक टिफिन निकाला। 'कुछ नाश्ता कर लो....Ó
'नहीं मुझे भूख नहीं।Ó
'मैं घर से बनाकर लाई हूं।Ó
'नहीं खाना मुझे...।Ó
मधु, टिफिन को फिर से बैग में रखने लगी। तो शौर्य ने रोक लिया।
आँख मिलते हुए कहा, 'माँ, मुझे खाना है।Ó
अगले ही पल जैसे, मुझे मधु के बात का एहसास हो गया। सच ही तो कह रही है कि वह ख्याल नहीं रखेगी तो कौन रखेगा। मैं तो नाहक ही अपने स्वार्थ के वशीभूत होकर द्वेष की भावना मन में पाल रहा था।

बुधवार, 23 मार्च 2011

99 दीये के संग बिहार उत्सव 2011 दिल्ली में


बिहार के 99वां स्थापना दिवस पर दिल्ली में आयोजित सात दिवसीय बिहार उत्सव का उद्घाटन 22 मार्च 2011 को सांय 6 बजे बिहार के महामहिम राज्यपाल श्री देवानंद कुंवर ने दीप प्रज्जवलित कर किया। 99वां बिहार स्थापना दिवस समारोह के रुप में आयोजित बिहार उत्सव 2011 को यादगार बनाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों से जुडे़ गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दिल्ली के कंस्टीट्यूषन क्लब के प्रंागण में बिहार उत्सव 2011 मंडप के मुख्य द्वार पर 99 दीये जलाकर उत्सव का षुभारंभ किया गया। 99 दीये जलाने वालों में बिहार के एवं बिहार से जुड़े कई सांसद एवं नेतागण भी मौजूद थे, जिनमें श्री षरद यादव, श्री अर्जुन राय, श्री महाबली सिंह, श्री वैधनाथ मेहतो, श्री राजीव प्रताप रुडी, श्री उदय सिंह, श्री राधा मोहन सिंह, श्री एन.के. सिंह, श्री महाबल मिश्रा, श्री असरारुल हक, श्रीमती पूनम आजाद आदि प्रमुख थे। बिहार उत्सव मंडप के मुख्य द्वार पर विषेश रुप से तैयार किए गए जलपात्र में तैरते प्रज्ज्वलित 99 दीये मनोरम एवं विहगम दृष्य प्रस्तुत कर रहा था। इस मौके पर महामहिम राज्यपाल ने सभी बिहारवासियो को 99वें बिहार स्थापना दिवस की षुभकामनाएं दी। उद्धाटन के बाद माननीय राज्यपाल महोदय एवं उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों ने पूर्वी लोक संगीत का लुत्फ भी उठाया। विरेन्द्र ओझा ‘विमल’, श्रीमती अनीता सिंह एवं दल ने भोजपुरी लोकसंगीत से उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर बिहार सरकार के उधोग विभाग के प्रधान सचिव श्री सी.के. मिश्रा, बिहार के स्थानिक आयुक्त श्री अलोक वर्धन चतुर्वेदी एवं बिहार आधौगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार की प्रबंध निदेषक श्रीमती अंषुली आर्या भी उपस्थित थे।

दिल्ली में सात दिनों तक चलने वाले बिहार उत्सव में इस बार गौरवषाली प्रग्रतिषील बिहार को हम हमारा बिहार के नाम से दिखाया जा रहा है। बिहार सरकार द्वारा दिल्ली के कंस्टीट्यूषन क्लब में 22 से 28 मार्च 2011 तक गौरवषाली व प्रगतिषील बिहार की प्रदर्षनी हस्तकरधा एवं हस्तषिल्प उत्कृश्ट सामानों की बिक्री एवं प्रदर्षनी का आयोजन किया गया है तथा पीएसके लक्ष्मीनगर में बिहार के कला एवं संस्कृति की प्रदर्षनी व भोजपुरी फिल्म महोत्सव का आयोजन 23 से 25 मार्च तक किया जा रहा है।

मेले में बिहार के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ वर्त्तमान में हो रहे विकास को भी आकर्षक ढंग से प्रस्तुतीकरण किया गया है। कंस्टीट्यूषन क्लब के लॉन मे हस्तकरधा एवं हस्तषिल्प के लगभग 25 स्टॉल लगाया गया है। स्टॉलों के माध्यम से मषहूर भागलपुरी सिल्क, मिथिला पेंटिंग, सिकी से निर्मित सामग्री, भभुआ के पत्थर की आकर्षक हाथी, मेहंदी, मोतीहारी का आकर्षक सीप से निर्मित आभूषण, टेरा कोटा से निर्मित वस्तुएॅं, जूट निर्मित वस्तुएं यथा जूट ज्वेलरी, टिकुली आर्ट के साथ-साथ नालंदा, बिहारशरीफ का निपुरा सिल्क एवं हस्तकरघा से निर्मित बेड-सीट, चादर विषेष रूप से मेले के आकर्षण का केन्द्र रहेंगे। साथ ही बिहारी व्यंजनों के स्टॉल के साथ-साथ प्रतिदिन संध्या में सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जा रहा है। कंस्टीट्यूषन क्लब में 26 मार्च को एक सेमिनार का आयोजन किया जाएगा।
पूर्वा सांस्कृतिक केन्द्र पीएसके लक्ष्मी नगर में दिनांक 23-25 मार्च में बिहार के सांस्कृतिक धरोहर, पर्व त्यौहार, पर्यटन स्थलों की एक आकर्शक झांकी प्रस्तुत की जा रही है साथ ही त्रिदवसीय भोजपुरी फिल्म महोत्सव का आयोजन भी किया गया है, जिसमें भोजपुरी सिनेमा की चर्चित फिल्म बलम परदेषिया, धरती मैया, बिदाई, गंगा जैसन पीरितिया हमार, कब अईबु अंगनवा हमार दिखाई जायेगी। संध्या मे सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जायेगा। बिहार उत्सव 2011 के समापन समारोह का आयोजन दिनांक 28 मार्च को दिल्ली के सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में रंगारंग कार्यक्रम के साथ किया जाएगा, जिसमें मषहूर गायक मनोज तिवारी एवं गायिका मालनी अवस्थी जहां अपनी गायिकी का जलवा बिखेरेगे वहीं मषहूर कथक नृत्यांगना षिखा खरे अपनी मनमोहक नृत्य प्रस्तुत करेंगी।

शनिवार, 12 मार्च 2011

सोनिया गांधी की इज्जत पर कीचड़ उछालने का प्रयास

भूपेन्द्र सिंह रावत



आज समूचा राष्ट्र भ्रष्टाचार से त्रस्त है। यही वजह है कि महान क्रांतिकारी शहीद चंद्रशेखर आजाद के बलिदान दिवस पर भारत स्वाभिमान ट्रस्ट, पतंजलि योग समिति के आवाहन पर भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ रामलीला मैदान में आयोजित रैली में हजारों लोगों ने भागीदारी निभाई। इस रैली में सामाजिक, राजनीतिक और आध्यामित जगत से जुड़े जाने माने लोगों के साथ शहीदों के वंशज भी शामिल हुए।
इस रैली के आयोजन की तैयारी से लेकर और रैली वाले दिन तक एक बात पर भारत स्वाभिमान ट्रस्ट और अन्य सामाजिक संगठनों में सहमति थी कि हमारी लड़ाई किसी व्यक्ति या संगठन के बिरूद्ध न होकर एक इस देश को उस तंत्र से बचाने की है जो हमारे देश को भ्रष्ट तरीके अपना कर अंदर से उस तरह खोखला कर रहा है जैसे दीमक लकड़ी को करते हैं। दूसरा देश के भ्रष्ट लोगों ने जो काली कमाई स्वीस बैंक में जमा कर रखी है उसे वापस भारत लाने के लिए संघर्ष। यह सहमति संगठन स्तर पर ही नहीं रैली में शामिल हुए तमाम किसान और मजदूरों की भी थी।
रैली की शरूआत में बात रखने वालों में शामिल देश की प्रथम महिला आईपीएस रह चुकी किरण बेदी व मैगसेेसे पुरूष्कार से सम्मानित अर्विन्द केजरीवाल दोनों ने जोर देकर कहा भी कि इस देश में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ बने कमजोर कानून के कारण ही वे घबराते नहीं हैं और यही कारण है कि भ्रष्टाचार रूकने का नाम ही नहीं ले रहा है। इसका एक मात्र उपाय है कि लोकपाल बिल में ऐसा प्रावधान हो कि भ्रष्टाचारियों के बिरूद्ध निश्चित समय सीमा के अन्दर जांच पूरी कर उन्हें सजा देने नौकरी से निकालने व भ्रष्ट तरीके से अर्जित धन को वापस लेने का प्रवाधान भी होना चाहिए। इस बात से रैली में आए तमाम लोग सहमत थे। इनके संबोधन के बाद आयकर विभाग के पूर्व आयुक्त विश्वबंधु गुप्ता ने संबोधन करते हुए यह दावा किया कि वे आयकर आयुक्त के ओहदे पर रहने के कारण जो कुछ भी बात रखने जा रहे हैं, उन सबके सबूत उनके पास मौजूद हैं।
अपनी बात की शुरूआत करते हुए विश्वबंधु गुप्ता ने दावा किया कि उन्हांेने ही बाबा राम देव को कालेधन की जानकारी दी है। और कहा कि आज की रैली में बाबा राम देव के आग्रह पर ही शामिल हुआ हूं। अपनी बात के क्रम में पूर्व आयकर आयुक्त ने कहा कि एक मामले की जांच के दौरान एक ऐसा कंप्यूटर हमारे विभाग के हाथ लगा जिस पर विदेश में धन जमा करने वाले पंद्रह लोगों के नाम तो थे, किंतु उन पंद्रह नामों में से मात्र तीन नाम ही पढे़ जा सकते थे।
पूर्व आयकर आयुक्त ने दावा किया कि जो नाम पढ़े जा सकते थे उन नामों में विलास राव देश मुख का है जो कि वर्तमान समय में यूपीए सरकार में केन्द्रिय ग्रामीण विकास मंत्री हैं और अहमद पटेल का था जो कि सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव भी हैं। इसके अलावा उन्होंने एक नाम को और उजागर किया वह नाम था हसन अली का, जिसके विषय मंे उन्होंने कहा कि वह दाऊद कंपनी के करीबी लोगों में से है।
अपनी बात के क्रम को आगे बढाते हुए विश्वबंधु गुप्ता ने कहा कि विदेश में जमा भारतीय काला धन के संदर्भ में वे आयकर आयुक्त के ओहदे पर रहते हुए वर्ष 2005 में तत्कालीन केन्द्रिय वित्त मंत्री पी. चितंबरम से मिले और उसको राय दी कि वह इस मामले में उस देश को पत्र लिखें जिस देश में भारतीयों ने काला धन जमा कर रखा हैै। उनहोंने दावा किया कि चितंबरम ने उनकी राय को नहीं स्वीकारा। उन्होंने कहा कि चितंबरम के व्यवहार से ऐसा लग रहा था जैसे कि वे एक हिजड़े से बात कर रहे हैं। गुप्ता बीच-बीच में यह दावा भी कर रहे थे कि वे जो कुछ भी बोल रहे हैं उसके उनके पास सबूत भी मौजूद हैं।
भ्रष्टाचार और काले धन के विरूद्ध आयोजित रैली में केन्द्रिय मंत्री पी.चितंबरम को पूर्व आयकर आयुक्त का दावे के साथ यह कहना कि वह एक हिजड़ा है, उन्होंने देश और दुनिया में एक नई बहस को जन्म दे दिया कि आखिर उनको कैसे पता लगा कि पी.चितंबरम पुरूष न होकर एक हिजड़ा हैं ?
गुप्ता के कथन के मुताबिक विलास राव देश मुख और अहमद पटेल का स्विस बैंक में काला धन जमा किया हुआ है। इससे उन्होंने दूसरा सवाल यह पैदा किया कि आखिर आयकर आयुक्त के ओहदे पर रहते हुए वे इनके विरूद्ध कार्रवाही करने में असफल क्यों रहे और उन्होंने इस बात का खुलासा उस दौरान ही क्यों नहीं किया ? किंतु भले ही वे यह काम अपने ओहदे पर रहते हुए नहीं कर पाए हों लेकिन आज भी ऐसे तमाम सबूतों को वे सार्वजनिक कर सकते हैं जिनके आधार पर वे दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस के इन दो नेताओं का धन स्वीस बैंक में जमा है। जिसके आधार पर इन नेताओं के विरूद्ध कार्रवाही संभव हो पाय।
इस तरह की जानकारी जब गुप्ता के द्वारा दी जा रही थी तब तक उसपर इस लिए यकीन किया जा रहा था क्योंकि वे दावा कर रहे थे कि वे जन सभा में जो कुछ भी बोल रहे हैं उन सबके सबूत भी उनके पास हैं। किंतु इसके बाद विश्वबंधु गुप्ता ने दावा किया कि अहमद पटेल सोनिया गांधी का ऐसा राजनीतिक सचिव है जो रात्रि को बारह बजे से तीन बजे के बीच में ही सोनिया को राजनीति की सलाह देता है यही नहीं गुप्ता ने दावा किया कि अहमद पटेल सोनिया के घर गाड़ियां बदल-बदल कर जाता है। और इस कथन के साथ ही पूर्व आयकर आयुक्त ने सोनिया गांधी को चुनौती देते हुए कहा कि इस देश में यह कैसी राजनीति हो रही है सोनिया जवाब दे ? जिस आसय के साथ गुप्ता यह सब कह रहे थे उससे एक बात तो साफ हो चुकी थी कि भले ही रैली भ्रष्टाचार और काले धन के विरूद्ध आयोजित की गई हो लेकिन वे इस रैली का उपयोग राजनीति में सम्मानित एक महिला के चरित्र का चीर हरण करने से भी नहीं चूके।
अपने संबोधन में पूर्व आयकर आयुक्त ने यह दावा भी किया कि बोफोर्स तोप की दलाली में जिय क्वात्रोची का नाम शामिल है उसके बेटे का होटल लीमेरिडियन में कार्यलय है जिसमें बैठ कर वह अपने कारोबार को संचालित करता है।
पूरे देश मंे हर जगह लोग भ्रष्टाचार और काले धन के बिरूद्ध संघर्ष करने वालों को सुनने को तैयार है लेकिन किसी भी ऐसी महिला जो किसी की मां हो किसी की पत्तनी रही हो किसी की बहु रही हो उसके चरित्र का चीरहरण करने की इजाजत कंही भी नहीं है
खासकर अपने भारत में जो कि सदियों से ऋषि मुनियों और सूफी सन्तों का देश रहा है वहां तो इस प्रकार की भाषा कोेई सहन नहीं कर सकता है।
दुर्भाग्य से जिस मंच से विश्वबंधु गुप्ता मानव जाति को शर्मशार करने वाले सवाल पैदा कर रहे थे उस समय रैली के मंच पर विराजमान आंदोलन के हमारे वरिष्ठ साथी अन्ना हजारे, स्वामी अग्निवेश, सहित अरविन्द केजरिवाल सहित आध्यात्तमिक जगत और राजनीति से जुड़े हुए ऐसे लोग भी मौजूद थे जो कभी न कभी ऐसे आन्दोलनों का हिस्सा भी रह चुके हैं जिन आन्दोलनों में ऐसे नारे भी लगते हैं कि ‘‘महिलाओं के सहयोग बगैर हर बदलाव अधूरा है’’ इसके अलावा चंद्रशेखर आजाद, राज गुरू और भगतसिंह के परिवार के सदस्य भी थे।
देश की प्रथम आईपीएस रह चुकी किरण बेदी सहित स्वामी रामदेव और विभिन्न साधु-सन्त, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता यह सुनकर कैसे और क्यों मौन रह गये। जैसे कि पूर्व आयकर आयुक्त रह चुके व्यक्ति ने दावा किया कि वे रामदेव को सलाह देते रहे हैं और आज की सभा में रामदेव के अनुरोध पर ही शामिल हुए हैं, स्वामी रामदेव की चुपी समझ में आती है। लेकिन दुःख और आश्चर्य इस बात का है कि आन्दोलन के वरिष्ठ साथी अन्ना हजारे, स्वामी अग्निवेश और अन्य ने इस व्यक्ति को निम्न स्तर की भाषा बोलने की इजाजत कैसे दे दी ? उम्मीद थी कि ये लोग उसे रोकेंगे, लेकिन उन्होंने तो बाद में इस व्यक्ति के द्वारा कहे गये अपशब्दों की निन्दा तक नहीं की। सोनिया जैसी प्रतिष्ठत महिला के लिए अपशब्दों का प्रयोग उस मंच से हो जिस मंच पर समाज की लड़ाई लड़ने के अगवा विराजमान हों तो हर किसी को कष्ट होना स्वाभाविक है। हैरानगी इस बात की भी है कि देश की प्रथम आईपीएस रह चुकी किरण बेदी भली भांति जानती हैं कि देश और दुनिया में सामाजिक, राजनीतिक और सेवा क्षेत्र में महिलाओं को पुरूषों के साथ मिलकर ही काम करने पड़ते हैं। यह कतई संभव नहीं हो सकता कि महिलाएं इन क्षेत्रों में अकेले ही तमाम काम पूरे कर सकें ? इस लिए उनको संबोधन के दौरान ही अपना विरोध दर्ज करना चाहिए था। हो सकता है कि आयकर आयुक्त के ओहदे पर रहते हुए विश्व बंधु गुप्ता को सायद ऐसा अवसर प्राप्त न हुआ हो।
जिस देश के धार्मिक ग्रन्थ यत्र नार्यास्तु पूज्यंते रमन्ते तत्र देवता की शिक्षा देते हों वहां साधु और सन्तों के बीच में बड़े ओहदे में रहकर बने बुद्धिजीवी होने का दावा करने वाले व्यक्ति के द्वारा सोनिया गांधी की इज्जत का चीरहरण किया गया। ऐसा लग रहा था जैसे कि धृतराष्ट्र की सभा में द्रोपदी का चीरहरण चल रहा है और मंच पर विराजमान सभी लोग पितामह भीष्म की तरह इसलिए विवश थे कि कहीं बाबा रामदेव रूष्ट न हो जायं। असल में सबकी घबराहट का कारण एक और भी था कि वक्ता बार-बार यह दावा कर रहा था कि मैं आयकर आयुक्त के ओहदे के कारण जो कुछ बोल रहा हूॅं उस सबके सबूत मेरे पास मौजूद हैं। हालांकि उसने जनता में कोई भी सबूत सार्वजनिक नहीं किया।
राष्ट्र की एक सम्मानित ऐसी महिला जो कि किसी की मां, बहन, बेटी और बहू भी है, उसके चरित्र पर मंच से एक व्यक्ति ने आरोप लगाने का परियास कर समस्त नारी जाति का अपमान करने का काम किया है। वह घोर निंदनीय है।
बाबा रामदेव, अन्ना हजारे, स्वामी अग्निवेश सहित आंदोलन के हमारे साथियों को राष्ट्र के लोगों की भावनाओं का एहसास हो जाना चाहिए कि लोग उनके नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुट हुए हैं न कि किसी के खिलाफ जबरदस्ती कीचड़ उछालने। बेहत्तर होता कि सोनिया गांधी को अनावश्यक निशाना बनाने के बजाय भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी मुहिम को मंजिल तक पहंुचाने का ऐजेंडा और रणनीति पर बाबा रामदेव द्वारा आमंत्रित पूर्व आयकर आयुक्त अपनी राय सार्वजनिक करता। इस व्यक्ति के भाषण के उपरान्त यह खतरा पैदा हो चुका है कि भविष्य में भ्रष्टाचार और काले धन के विरूद्ध जारी लड़ाई कहीं भटक कर किसी राजनितीक पार्टी के विरूद्ध जाकर न ठहर जाय। आंदोलन के तमाम साथियों को समय रहते हुए इस दिशा में गम्भीर चिंतन मनन करने की जरूरत है। कहीं ऐसा न हो कि राष्ट्र की जनता आंदोलन से कटने लगे।
सोनिया गांधी अपने राजनीतिक सचिव से किस समय राजनीति पर चर्चा करती है और उनके राजनीतिक सचिव किस गाड़ी के द्वारा उनके आवास पर आना-जाना करता है इसका भ्रष्टाचार को मिटाने या विदेशों में जमा काले धन को वापस भारत लाने की मुहिम से क्या लेना-देना है।
स्विस बैंक में जमा कालाधन वापस लाने का दावा कर हम अपने देशवासियों को आंदोलन करने के लिए प्रेरित तो कर सकते हैं ताकि सरकार पर दबाव बना कर देश में ऐसी जन लोक पाल व्यवस्था कायम हो सके जिसके उपरांत कोई भी भ्रष्टाचार करने का साहस न जुटा सके। लेकिन हमें यह भी देखना होगा कि स्विस बैंकों की जवाब देही हमारे भारत देश की बजाय अपने ग्राहकों और उनके द्वारा निवेश किये गये धन के पक्ष में है। यही उसकी सफलता का कारण भी है।
हम कितने शक्तिशाली हैं यह हमारे साथ-साथ पूरी दुनिया जानती है। एनडीए की सरकार के कार्यकाल में भारतीय जेल में बंद खूंखार पाकिस्तानी उग्रवादियों को हमारे देश के मंत्री कंधार तक बाइज्जत छोड़कर आये। ऐसे छोडे गये उग्रवादियों का न केवल नाम है बल्कि उनके फोटो, उनके हाथ पांव के निशान हमारे देश के पास मौजूद हैं और वे पाकिस्तान में पहुंचकर निरन्तर हमारे देश के विरूद्ध आतंकवादी युद्ध लड़ रहे हैं। हम न तो उन्हें वापस भारत लाने की ताकत रखते हैं और ना ही पाकिस्तान में घुसकर उनको ठिकाने लगाने की। इसलिए हम कैसे स्विस बैंक को उनके ग्राहकों के विरूद्ध कदम उठाने के लिए विवश कर सकते हैं जिनके कारण ही ऐसे बैंक का अस्तित्व कायम है।
इसलिए हमारे वरिष्ठ साथी अन्ना हजारे की राय के मुताबिक लोकपाल बिल तैयार करने के लिए सरकार ऐसे समिति का गठन करे जिसमें पचास फीसदी सदस्य गैर सरकारी हों और उस मसौदे में सामाजिक संगठनों के द्वारा इंडिया अगेंस्ट करपशन की मुहिम को मिले जनता के सुझावों पर भी गौर किया जाय। भ्रष्टाचार को रोकने का यही कारगर तरीका भी हो सकता है न कि राजनीति में शक्रिय लोगों के चरित्र पर प्रश्न चिन्ह लगा कर !
वक्त रहते भ्रष्टाचार के बिरूद्ध व काले धन के खिलाफ जारी मुहिम में शामिल बाबा राम देव सहित मंच पर बिराज मान रहे तमाम सामाजिक कार्यकर्ताओं को अपनी राय सार्वजनिक करनी चाहिए कि वे विश्वबंधु गुप्ता की राय से सहमत हैं या असहमत। इससे यह बात सार्वजनिक हो पाएगी कि यह मुहिम जिस ओर बढ रही है उसकी मंजिल कंहा है ?
( लेखक- जनसंघर्ष वाहिनी के संयोजक और भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी मुहिम में शामिल हैं।)