शुक्रवार, 29 जनवरी 2010

प्रिय

तुम्हारी आँखे
वैसी नहीं
जिन्हें कह सकूं नशीली
तुम्हारी मुस्कान
भी तो सजावटी नहीं
तुम्हारे दांत नहीं हैं
मोतियों जैसे
शक्लो-सूरत से भी
परी नहीं हो तुम।
पर फिर भी
सबसे बढ़कर हैं
तुम्हारी भावनाएं

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