देख कबीरा
शनिवार, 9 जनवरी 2010
जिन्दगी
संघर्ष में तब्दील करो जिन्दगी को
देखना तुम्हारी ख्वाहिशें कितनी
पारदर्शी हो जाएँगी
धवल चाँदनी-सी
ले जाएँगी तुम्हें
आसमान की उन ऊँचाइयों पर
जो कभी तुम्हारे वजूद की
परछाइयों में ढला करती थीं।
वाजदा खान
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