ये मौत भी,
मेरे ही ईशारों पर हुई है।
छल किया था,
धोखा दिया था उसने।
मैने उसे समझाया,
चेतावनी दिया,
अपनी गलतियों से बाज आए।
बहुत उपर तक पहुंच है मेरी।
एक अद्रुश्य शक्ति के समक्ष,
जो स्रुष्टि का निर्माता भी है
और चलाता भी है।
मैने क्षमा न करने
और न्याय पाने की
मौन स्वीक्रुति दे दी।
ये मौत भी,
मेरे ही ईशारों पर हुई है।
- अरविन्द झा
bilaspur
bilaspur
2 टिप्पणियां:
मैने क्षमा न करने
और न्याय पाने की
मौन स्वीक्रुति दे दी।
ये मौत भी,
मेरे ही ईशारों पर हुई है।
लाजवाब अभिव्यक्ति है शुभकामनायें
bahut hi achhi kavita----our kya kahen.
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