बहुत ट्यूशन लिया, मगर अंग्रेजी बोलना नहीं आया। हां, अंग्रेजी बोलने की चालाकी जरूर आ गई है। हिंदी बोलते-बोलते अंग्रेजी के शब्दों से खेल जाता हूं और लोगों को प्रभावित कर देता हूं। कोचिंग और ट्यूशन लेने से कम से कम हिंदी में अंग्रेजी बोलने का सलीका तो आ ही गया है। किसी को जब फ्रीक्वेंट हिंदी बोलने में भी तकलीफ होती है, तो उसका क्या करूं ? मगर मुझे हिंदी तो क्या अंग्रेजी बोलने में भी अब कोई हिंचक या शर्म नहीं। यह सब कोचिंग और ट्यूशन से ही संभव हो सका है। इतना ही नहीं, कोचिंग से अंग्रेजी के दीवानों की गहराई का पता भी चल गया है।
कहते हैं कि आदमी सोहबत में ही कुछ सीखता-बनता है। अगर अंग्रेजी की पढ़ाई के दौरान किसी लड़की से दोस्ती हो जाए, समझो टूटी-फूटी अंग्रेजी बोलना तो सीख ही जाओगे। क्योंकि हिंदी को अंग्रेजी स्टाइल में बोलने की कला अंग्रेज बनते युवक-युवतियों से भला बेहतर कौन जान सकता है। जनरल प्रैक्टिस में साॅरी, बट, एक्सक्यूज मी, पार्डन, थैंक्स, ओके, टा-टा, बाय-बाय और एक्च्युअली जैसे दो दर्जन शब्दों को अगर हिंदी वाक्यों में आपको घुमाना-फिराना आ गया तो आप लोगों को अंग्रेजी बोलकर प्रभावित कर सकते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि आप हिंदी का आसानी से अंग्रेजीकरण कर लेते हैं। इसे हिंगलिश कहिए तो भी कोई बुरा नहीं होगा।
ऐसे हिंगलिशदाओं के तर्क हैं कि जब पत्र-पत्रिकाओं में अंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल हिंदी के साथ किया जाने लगा है, तो आम आदमी क्यों नहीं कर सकता? हिंदी में अगर अंग्रेजी शब्दों और लटके-झटके का इस्तेमाल किया जाए तो सामने वाले ज्यादातर लोगों को प्रभावित किया जा सकता है। कुछ लोग तो कुछ वाक्यों की रट्टा भी लगाकर रखते हैं और जरूरत पड़ने पर उसका धड़ल्ले से इस्तेमाल करने से नहीं चूकते। यह भी सच है कि ज्यादातर हिंगलिशदां किसी के साथ भी अंग्रेजी बोलने की क्षमता महज 10-20 मिनट से ज्यादा नहीं रख पाते, अपनी औकात में आ जाते हैं। यानी तुरंत हिंदी बोलने लगते हैं, लेकिन वह आदत से मजबूर होते हैं। उन्हें अंग्रेजी बोलना है, इसलिए वह हिंगलिश बोलने लगते हैं।
हिंदी हमारी मातृभाषा भी है और राष्ट्रभाषा भी। हिंदी दिवस और पखवाड़ा पर इसे बार-बार याद दिलाने की आवश्यकता क्या है? क्या सरकारी दफ्तरों के बाबुओं और कर्मचारियों को इतना ख्याल नहीं रहता? अव्वल तो यह है कि हिंदी में लिखने और काम करने को प्रेरित करने वाले आदेश अंग्रेजी में भेजे जाते हैं। दफ्तर में अंग्रेजी में फाइलें चल रही हैं, लेकिन बाहर हिंदी पखवाड़ा की वकालत करते बैनर और पोस्टर लग रहे हैं। हिन्दी सम्मेलनों में अतिथियों का संबोधन जब अंग्रेजी में होता है तो सिर पिटने अलावा और क्या बचता है। ऐसे हिन्दीदां से कहीं अच्छा तो वे विदेशी हैं, जो भारत आकर अपनी बात हिंदी मंे रखना पसंद करते हैं। हिंदी की चिंदी उड़ाते बदतमीजी से भला तमीज की उम्मीद करना कितना लाजिमी है? लिखते-लिखते सवाल बहुत बन गये हैं। लेकिन इन सवालों से क्या हिंदी में अंग्रेजीकरण का रंग भरकर होली मनाने वाले भला रंगीनियों से बाज क्यों आए?
- सुशील देव
9810307519
4 टिप्पणियां:
आप को हिदी दिवस पर हार्दीक शुभकामनाऍ।
पहेली - 7 का हल, श्री रतन सिंहजी शेखावतजी का परिचय
हॉ मै हिदी हू भारत माता की बिन्दी हू
हिंदी दिवस है मै दकियानूसी वाली बात नहीं करुगा-मुंबई टाइगर
हिन्दी में अंग्रेजी कुछ शब्दों का प्रयोग तो अनुचित नहीं दिखता .. पर जबरदस्ती अंग्रेजी को घुसेडना व्यर्थ है .. ब्लाग जगत में आज हिन्दी के प्रति सबो की जागरूकता को देखकर अच्छा लग रहा है .. हिन्दी दिवस की बधाई और शुभकामनाएं !!
इंग्लिश हर वर्ष हजारों शब्द अन्य भाषाओं के अपने भीतर समा लेती है, जैसे नदियों का पानी समुद्र अपने भीतर लेकर विशाल होता जा रहा है। अगर हिन्दी वासियों में ये कला आ गई तो वो दिन दूर नहीं जब इंगिलश से ज्यादा हिन्दी हिट हो गई।
aadarniya shri sushil dev ji aapko badhae. bichar aacha hain. par kaya karenge ye es jamane jarrat ho gee hain. lekin ek bat ye v hai log suddha hindi bolne me sarmate hain. yakin manikye yadi shudh hindi bolne me lok sharm sankoch chor kar bolna suru karen to achhe english ke jankar prabhawati ho jate hain. ye mere niji anubhaw v hain. mujhe esh bat ka garv hai ki maine hidi me hi padhee ki bine kisi majburi ke aur aaj uski roti khata hun. ab hindi ke sath english janne me koe buraee nahi dekhani chahiye.
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