अंतर्राष्टï्रीय सीमा पर बेशक सुरक्षा के नाम पर तमाम बंदोबस्त किए जाते हों लेकिन सीमा सुरक्षा बल चंद रुपए की खातिर उसे दरकिनार कर जाते हैं। जिसका लाभ तस्करों को होता है। हालात इतने बदत्तर हैं कि कभी भी कोई आतंकी संगठन इन तस्करों की सहायता से सुरक्षा व्यवस्था में जबरदस्त सेंध लगा सकता है।्रएक ओर अवैध प्रवासियों पर नजर रखने के लिए भारत-बांग्लादेश सीमा के पास स्थित 60 पासपोर्ट नियंत्रण केंद्रों को पूरी तरह कम्प्यूटरीकृत करने का फैसला किया गया है । वहीं दूसरी ओर यह खबरें भी आ रही है कि सीमा सुरक्षा बल के कुछ जवान तस्करों से महज 10 रुपए से 100 रुपए लेकर सामान से भरे बड़े डिब्बे और कॉर्टून को सीमा पर आने-जाने देते हैं। सीमाई इलाकों का स्याह सच यह भी है कि दहशतगर्दों पर नकेल कसने के सरकार कितने ही दावे करती रहे लेकिन देश की सरहद महफूज नहीं हैं। भारत की पूर्वी सरहद में सुराख बन चुके हैं। जहां से तस्कर ही नहीं मौत का सामान लेकर दहशतगर्द भी आसानी से बांग्लादेश से भारत आ सकते हैं।
इस इलाके में रुकने वाली हर ट्रेन में भारत से तस्करी कर लाया गया माल लादा जाता है और इसी के साथ इसमें निकलते हैं आतंकवादी। कुछ दिन पहले ही इंटेलिजेंस एजेंसी ने एक वीडियो तैयार किया है जो दिखाता है कि किस तरह बांग्लादेशी घुसपैठिए भारत में घुसने का इंतजार कर रहे हैं। बांग्लादेश राइफल्स के जवान घुसपैठियों को रोकने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं। अव्वल तो यह भी कि सीमा सुरक्षा बल के सूत्र बताते हैं कि घुसपैठिए इतना दूसरे सीमाई इलाके इस्तेमाल नहीं करते जितना वो भारत-बांग्लादेश सीमा का इस्तेमाल करते हैं। यही वजह है कि सीमा सुरक्षा बल इस बारे में काफी चिंतित है और उसने अपनी सुरक्षा बढ़ा दी है। बीएसएफ की कमजोरियों को जानकर सरकार ने उन्हें आधुनिक साजोसामान से लैस करने का काम शुरू किया है मगर फिर भी देश के दुश्मनों को भारत में घुसपैठ करने से रोकना इतना आसान नहीं है। पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई आतंकियों को भारत में भेजने की फिराक में रहती है। उसके लिए बांग्लादेश बॉर्डर सबसे आसान टारगेट है क्योंकि सरहद पर मौजूद सुरागों से दहशतगर्द बड़े आराम से देश में दाखिल हो सकते हैं।
गौर करने योग्य तथ्य यह भी कि बंग्लादेश से कई परिवार मुर्गी के अंडो का व्यापार करने भारत आते हैं। न तो उनके पास कोई पासपोर्ट होता है और न ही वीजा। फिर भी वे बेरोकटोक सीमा पर आवाजाही करते हैं। इसके लिए उन्हें सुरक्षा बलों के जवानों को 10 रुपए से 100 रुपए तक देने होते हैं। अंडों का व्यापार करने वाले इस काम में बच्चों को लगाते हैं, कारण सुरक्षा बल के जवान बच्चों से एक कार्टून के एवज में 10 से 30 रुपए लेते हैं जबकि वयस्क से उसी कार्टून के लिए 100 रुपए तक वसूलते हैं। हालांकि सीमा सुरक्षा बल के किसी भी अधिकारी ने औपचारिक रूप से इसकी पुष्टिï नहीं की। लेकिन अंडों के व्यापारी इसका जिक्र करते हैं।
इतना ही नहीं, भारत-बांग्लादेश सरहद पर पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले से होकर बांग्लादेशी घुसपैठिए बेहद आसानी से भारत में कदम रख लेते हैं। कोहिनूर अशरफी एक संदिग्ध आतंकी है। हिंदी और बांग्ला बोलने में माहिर अशरफी को पिछले दिनों सीमा सुरक्षा बल ने गिरफ्तार किया था। उससे एक डायरी मिली जिसमें उसके पाकिस्तान, दिल्ली और पटना में कुछ कांटेक्ट का पता चला। 2002 की ये डायरी हाथ से लिखी कुछ लाइनों से शुरू होती है, इसमें लिखा है या अल्लाह... इन लोगों को खत्म कर। मगर अशरफी कहता है कि वो निर्दोष है। वो कहता है कि एक कुली ने मुझे सीमा पार कराने के एवज में 800 रुपए मांगे और 400 रुपए वापसी के। मैं यहां एक दलाल की मदद से आया था। उसने मुझे चेतावनी दी थी कि अगर मैं किसी को कुछ बताऊंगा तो वो मुझे पकड़वा देगा। उसने बताया कि मैं अकेला आया था। मैंने दूसरों को भी देखा लेकिन अगर आप सही तादाद जानना चाहते हैं तो दलालों से पूछें। उसने बताया कि उसने सुबह करीब 6 से 7 बजे के बीच सीमा पार की।
दरअसल, भारत में घुसपैठ के लिए बड़े-बड़े इलाकों में बाड़बंदी हटाई जा रही है। तार काट दिए जाते हैं। जहां सीमा पर निगरानी चुस्त रहती है वहां दलालों को पैसा देकर आसानी से भारत में घुसा जा सकता है। कृष्णपाद मंडल बताता है कि हमने दलालों को पैसे दिए। ये पैसा उस समय सुरक्षा के हालात के मद्देनजर 200 से 400 रुपए तक हो सकता है। यहां दोनों तरफ दलाल हैं जिनके बीएसएफ और बीडीआर में कांटेक्ट हैं। केवल दलाल ही जानते हैं कि बीएसएफ और बीडीआर के किन अफसरों को पैसा देना है। एक बार भारतीय सीमा में घुसने के बाद ज्यादातर बांग्लादेशी वोटर लिस्ट में भी शामिल हो जाते हैं।
बहरहाल, बांग्लादेश की तरफ से हो रही आतंकियों की घुसपैठ और ड्रग्स की तस्करी को रोकने के लिए सीमा सुरक्षा बल ने सीमाई गांवों को सीमा में कुछ अंदर शिफ्ट करने का सुझाव दिया है मगर गांव वाले इसके लिए तैयार नहीं हैं। हरीपुकुर गांव निवासी शेख यूनिस कहते हैं कि हमारे लिए बहुत मुश्किल हो जाएगी क्योंकि हमारी पूरी जमीन-जायदाद यहीं है। हमारी कमाई हमारी जमीन से होती है और इसे पीछे नहीं खिसकाया जा सकता। इस इलाके में जीरोलाइन की कोई अहमियत नहीं है। तस्करी जोरों पर है और बांग्लादेश राइफल्स अक्सर इसे दूसरी नजर से देखती है। सीमा के साथ लगे इलाकों में सैकड़ों-हजारों की जिंदगी ड्रग्स की तस्करी पर निर्भर है। साफ है गांववाले ये जगह छोड़कर क्यों नहीं जाना चाहते। तो अगली बार अगर आप ये बयान सुनें कि भारत बांग्लादेश सीमा पूरी तरह से सील है तो उसपर भरोसा करने से पहले सौ बार सोच लें।
वहीं भारत सरकार के गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि बांग्लादेश से आने वाले लोग सही यात्रा दस्तावेजों के साथ आएं, इसके लिए इन केंद्रों को कम्प्यूटर प्रणाली और ऑनलाइन सुविधाओं से युक्त करना जरूरी है । इससे संवेदनशील पूर्वी सीमा पर स्थित चौकियों का निरीक्षण करने में भी मदद मिलेगी । हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव (सीमा प्रबंधन) जरनैल सिंह के नेतृत्व में उच्चस्तरीय केंद्रीय टीम ने असम के करीमगंज क्षेत्र का दौरा किया था । टीम को पता चला कि पासपोर्ट नियंत्रण केंद्रों की स्थिति अच्छी नहीं है और वहां के अधिकारियों को आगंतुकों के यात्रा दस्तावेज की गहन जांच करने में कठिनाई होती है । वहां से लौटने के बाद श्री सिंह ने विदेश मंत्रालय और नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर तथा अन्य विभागों के अधिकारियों के साथ नई दिल्ली में बैठक की, जिसमें इस योजना को जितनी जल्दी संभव हो, लागू करने के बारे में विचार-विमर्श किया गया ताकि इन केंद्रों के जरिये आने वाले लोगों की बेहतर निगरानी की जा सके । बांग्लादेश से लोगों के लगातार आने पर रोक लगाने के लिए सरकार ने हाल ही में भारत-बांग्लादेश सीमा के पास ऐसे 46 स्थानों की शिनाख्त की थी, जहां से बांग्लादेश से घुसपैठ होती है । सीमा की रक्षा करने वाली फौज के प्रयासों के बावजूद इन मार्गों को बंद नहीं किया जा सका है, जिनका इस्तेमाल बारंबार घुसपैठ के लिए हो रहा है । ये 46 स्थान असम, मेघालय, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में हैं । सीमा सुरक्षा बल ने, जो 4,095 किमी लंबी सीमा की चौकसी करता है, कहा है कि इस सीमा को पूरी तरह सील न कर पाने के कई कारण हैं, जिनमें यहां का दुर्गम क्षेत्र और लंबे नदी तटीय क्षेत्र जैसी कई कठिनाइयां शामिल हैं ।
2 टिप्पणियां:
बढ़िया रिपोर्ट . सचमुच सुरक्षा व्यवस्था के प्रति हमारा देश सजग नहीं है .
sima se laut kar reporting kiya hain kya.
achha hai
एक टिप्पणी भेजें