मंगलवार, 8 सितंबर 2009

वेदना


चंद शब्दों को

चुन और सहेजकर

छंदों में

अर्थपूर्ण विन्यास करन्ना

मानसिक स्तर पर

प्रसव पीड़ा ही तो है

और मैं,

घटनाओं और अभिव्यक्तियों को

शब्द बनाकर

जीवन छंदों में

जो लगातार उतार रहा हूँ।

कैसे कहूँ

किन वेदनाओं का गवाह रहा हूँ?


- विपिन बादल

4 टिप्‍पणियां:

arvind ने कहा…

sabdo ka vinyas kar use arth dena sachmuch vedna hai...our
...sunder kavya ko janm dena prasav peeda

vandana gupta ने कहा…

adbhut.

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

बहुत बढ़िया रचना प्रस्तुति के लिए धन्यवाद.

संगीता पुरी ने कहा…

सुंदर अभिव्‍यक्ति !!