कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी भले ही कहते हों कि भारतीय लोकतंत्र में परिवारवाद और वं’ावाद अलोकतांत्रिक है मगर राजनीतिक यथार्थ है। इसे राहुल की व्यक्तिगत सोच मान लें। और कोई चारा भी नहीं है। वरना जिस प्रकार से कांग्रेस ने अपने मीडिया प्रभारी वीरप्पा मोइली को चलता किया है, वह कई सवालों के जद में आ गया है। चार चरण के चुनाव हो चुके हैं, पांचवा और आखिरी बाकी है। तो भला क्यों मीडिया प्रभारी की छुट्टी की गई ? राहुल ने जब नीति’ा की खूबी बताई तो मोइली ने उसमें नुस्ख क्यों निकाला... आदि-आदि।
हालिया घटनाक्रम में एम। वीरप्पा म¨इली क¨ कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। उनकी जगह कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी क¨ पार्टी के मीडिया विभाग का प्रमुख नियुक्त किया गया है। वह पहले इस जिम्मेदारी क¨ संभाल रहे थ्¨। कहा जा रहा है कि मोइली ने आश्चर्यजनक तरीके से जद (यू) नेता नीतिश कुमार की आल¨चना की थी। ऐसा समझा जा रहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के खिलाफ टिप्पणिय¨ं से पार्टी आला कमान उनसे नाराज था। उनके हटाए जाने क¨ इसी मामले से ज¨ड़़कर देखा जा रहा है। हाल में ही पार्टी नेता राहुल गांधी ने नीतिश की तारीफ कर उन्हें लुभाने की क¨शिश की थी। म¨इली ने कहा था मैं नहीं मानता कि कांग्रेस नीतिश कुमार क¨ हीर¨ बनाने जा रही है। जिस तरीके से उन्ह¨ंने भाजपा से नाता रखा है अ©र उसे बनाए हुए हैं। सांप्रदायिकता के कारण उनकी धर्मनिरपेक्ष साख दूषित हुई है। इससे पहले कांग्रेस मीडिया प्रमुख ने रेल मंत्री लालू प्रसाद अ©र ल¨जपा प्रमुख राम विलास पासवान क¨ केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक का बायकाट करने संबंधी रपट¨ं के मद्देनजर आड़़े हाथ लिया था। बाद में उन्ह¨ंने अपना रुख नरम करते हुए कहा था कि वे संप्रग का हिस्सा है अ©र संप्रग सरकार में ल©टेंगे।
माना जा रहा है कि म¨इली इससे पहले भी अपनी हदें पार कर चुके हैं। इसकी वजह से पार्टी क¨ विचित्र स्थिति का सामना करना पड़़ा है। म¨इली पिछले कुछ महीने से पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख थ्¨। उन्ह¨ंने पिछले महीने उस समय द्विवेदी क¨ प्रभार स©ंप दिया था जब वह कर्नाटक गए थ्¨। उन्ह¨ंने पिछले हफ्ते ही द¨बारा यह जिम्मेदारी संभाली थी। भला इसे क्या माना जाए ? राहुल के लाइन से अलग चलने का परिणाम ?
शनिवार, 9 मई 2009
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