आखिरकार वही हुआ जो आज से करीब तीन माह पूर्व हो जाना चाहिए था, भाजपा झामुमो और आजसू के संग मिलकर प्रदेश में सरकार बनाने जा रही है। तीन महीनों के अंदर काफी चली राजनीतिक दांवपेंच के बाद आखिरकार भाजपा की ओर से सरकार बनाने का दावा पेश किया गया और संभावना है कि 10 सितंबर तक अर्जुन मुण्डा प्रदेश की सत्ता पर काबिज होंगे। इसके साथ ही यह कयास लगाए जाने शुरू हो गए हैं कि आखिर कितने दिनों तक चलेगी मुण्डा की सरकार। कारण, करीब नौ वर्षों के कालवधि में प्रदेश की जनता आठवें मुख्यमंत्री को देखने जा रही है।
इससे पूर्व के घटनाक्रम में झारखण्ड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 7 सितंबर को झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। पार्टी के विधायक दल के नेता चुने गए अर्जुन मुंडा ने राज्यपाल एम.ओ.एच. फारूक से मिलकर उन्हें 45 विधायकों के समर्थन की चि_ी दी। झामुमो, आजसू, जनता दल (युनाइटेड) के नेता और दो निर्दलीय विधायक भी उनके साथ थे। गौरतलब है कि बीते 30 मई को शिबू सोरेन के इस्तीफा देने के बाद से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है। इससे पहले, पूर्व मुख्यमंत्री मुंडा को भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया। पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष रघुबर दास ने इसकी औपचारिक घोषणा की।
कहा यह जा रहा है कि इस तमाम कवायद को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी काफी चौकस थे। इस दफा वह किसी भी प्रकार की चूक नहीं चाहते थे और इसके लिए सख्त हिदायत प्रदेश के नेताओं को दे रखी थी। झारखंड भाजपा अध्यक्ष रघुवर दास से फ़ोन पर बातचीत की और इसके बाद पार्टी ने प्रदेश में सरकार बनाने का दावा पेश किया। हालांकि, झारमंड मुक्ति मोर्चा ने चार सितंबर को संकेत दिया था कि कोई भी पार्टी अगर सरकार बनाने की दिशा में पहल करती है तो वह बिना शर्त समर्थन देगी। इसके बाद मुंडा ने 6 सितंबर की रात 45 विधायकों की हस्ताक्षरयुक्त सूची राष्ट्रीय नेतृत्व को भेजी। उन्होंने हरी झंडी के लिए वरिष्ठ नेताओं अनंत कुमार, राजनाथ सिंह और वेंकैया नायडू से संपर्क किया। दास ने अपने कदम से पार्टी नेतृत्व को कुछ परेशान कर दिया और उन्होंने तीन घंटे देर से पहुंच कर विधायक दल के नेता पद से इस्तीफ़ा दिया। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, देर से संकेत मिलता है कि भाजपा का एक वर्ग सरकार बनाने के प्रति उत्सुक नहीं है, लेकिन पार्टी के निर्देश का पालन किया जाना चाहिए।
सियासी हलकों में कहा जा रहा है कि अगर कांग्रेस की ओर से कोई अड़ंगा नहीं लगाया जाता है तो अर्जुन मुण्डा 10 सितंबर से पहले शपथ ग्रहण कर लेंगे। झारखंड में भाजपा व झामुमो सहयोग से सरकार बनाने के दावा पेश किये जाने के बाद प्रदेश की राजनीति में नयी हलचल पैदा कर दी है। इस पर दिल्ली में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की एक बैठक हुई जिसमें करीब एक घंटे तक झारखंड की राजनीतिक हालात पर चर्चा की गयी। माना जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने राज्य के घटनाक्रम और संप्रग के समक्ष उपलब्ध विकल्पों के बारे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अवगत करा दिया है. इस बैठक में वित्त ंत्री प्रणव मुखर्जी, रक्षा मंत्री एके एंटनी और कानून मंत्री एम वीरप्पा मोइली उपस्थित थे. गौरतलब है कि झामुमो के साथ सत्ता के रास्ते जुदा करने के तीन माह बाद भाजपा ने एकबार फिऱ शिबू सोरेन की पार्टी के साथ मिलकर झारखंड में नयी सरकार बनाने का दावा किया, जिससे कांग्रेसी रणनीतिकारों को काफी ठेस पहुंची है।
राज्य में पिछली राजग सरकार उस वक्त बिखर गयी थी जब राजग में शामिल हुए घटक झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने सीएम पद को लेकर फजीहत पैदा कर दी थी। उस वक्त यह फार्मूला निकाला गया था मुख्यमंत्री पद भाजपा के पास रहेगा और झामुमो तथा आजसू सरकार को समर्थन करेंगे. लेकिन उस वक्त हालात ऐसे हो गये थे कि कोई भी फार्मूला सफल नहीं हुआ और केन्द्र ने 1 जून 2010 को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। इस घटनाक्रम के बाद भी राज्य में अर्जुन मुण्डा सक्रिय रहे और सरकार बनाने की दिशा में काम करते रहे। सरकार बनाने की दिशा में पहली दफा तब बड़ी कामयाबी मिली जब दो दिन पहले आजसू और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा दोनों ही दलों ने अर्जुन मुण्डा को अपने समर्थन का पत्र सौंप दिया। इसके बाद भाजपा के विधायक दल की एक बैठक हुई जिसमें अर्जुन मुण्डा को सर्वसम्मति से दोबारा विधायक दल का नेता चुन लिया गया। इसके बाद 7 सितंबर को ही मुण्डा ने राज्यपाल फारुखी से मुलाकात करके सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया और 45 विधायकों के समर्थन की चि_ी सौंप दी।
बुधवार, 8 सितंबर 2010
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