भारती राजनीति में त्याग की प्रतिमूर्ति के रूप में स्थापित श्रीमति सोनिया गांधी ने लगातार चौथी बार अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनकर एक इतिहास रचा हो, लेकिन विदेशी मीडिया को यह नहीं सुहा रहा है। भारत में मीडिया भले ही उन्हें त्याग की देवी बता रहा हो या उनकी महानता का गुणगान कर रहा हो, दुनिया की सबसे बड़ी समाचार एजंसियों में से एक 'एएफपीÓ ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सत्ता का सबसे बड़ा दलाल घोषित कर दिया है। हैरत तो इस बात को लेकर भी है कि एक भी कांग्रेसी ने इस समाचार पर अपनी अथवा संगठन की ओर से कोई आपत्ति तक नहीं दर्ज कराईं। तो इसे क्या माना जाए? साथ ही साथ लोगों के जेहन में यह सवाल उठने भी शुरू हो गए हैं कि आखिर क्यों सोनिया गांधी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठ रही हैं? अब तो उनका बेटा राहुल गांधी भी इस लायक हो चुके हैं। कांग्रेस महासचिव के रूप में उनका कार्य सब को भा रहा है? तो फिर वह कुर्सी से दूर क्यों हैं? सवाल कई हैं।
दरअसल, सोनिया गांधी के चौथी बार कांग्रेस अध्यक्ष बनने के मौके पर एएफपी ने जो खबर जारी की है उसकी हेडिंग लगाता है कि ''इंडियन पॉवर ब्रोकर सोनिया गांधी विन्स प्लेस इन हिस्ट्री बुक्स।ÓÓ खबर के इन्ट्रो में ही एजेंसी लिखती है कि इटली की पैदाइश सोनिया गांधी सत्ता की दलाली को मजबूत करते हुए सोनिया गांधी रिकार्ड चौथी बार अध्यक्ष बन गयी हैं। (Italian-born Sonia Gandhi was elected Friday for a record fourth term as president of India's ruling Congress party, cementing her role as the power broker of the country's politics.)
अपने देश में पॉवर ब्रोकर शब्द राजनीति में किन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है इसे बताने की जरूरत नहीं है। खुद अमर सिंह भी अपने आप को पॉवर ब्रोकर (सत्ता के दलाल) कहलाना शायद ही पसंद करें, फिर यहां तो सोनिया गांधी सवाल है। वह जो लाखों कांग्रेसियों के लिए देवी की मूर्ति हैं। जिनके आवास 'दस जनपथÓ की देहरी तक पहुंचने को भी कांग्रेंसी किसी तीर्थ स्थान की मानिंद मानते हैं। हालांकि खबर में एक और अतिवादिता की गयी है। सोनिया गांधी को भले ही कांग्रेस के इतिहास में रिकार्ड दर्ज करनेवाला बताया गया है लेकिन खबर के आखिरी पैरे में एजंसी लिखती है कि ''वे इन दिनों राजनीति में अपने 40 वर्षीय बेटे राहुल गांधी के लिए रास्ता तैयार कर रही हैं ताकि 77 वर्षीय मनमोहन सिंह को हटाकर उन्हें अगला नेता बनाया जा सके।ÓÓ (She now is widely thought to be preparing the way for her son Rahul, y®, to become the country's ne&t leader, replacing -year-old Singh.)
आश्चर्य तो इस बात को लेकर भी है कि भाजपा जब लगतार चौथी बार सोनिया गांधी के अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी को लेकर सवाल खड़े करती हैं तो कई सारे कांग्रेसी विरोध में खड़े हो उठते हैं, लेकिन जब एक विदेशी समाचार एजेंसी इस प्रकार के आपत्तिजनक बातें सोनिया गांधी के बारे में लिखती है तो चूं तक नहंी किया जाता है। आखिर क्यों? क्योंकि वह एक विदेशी समाचार एजेंसी हैं? भाजपा के इस बयान पर कि सोनिया गांधी अध्यक्ष पद खुद ही किसी गैर नेहरू गांधी परिवार के व्यक्ति को आफर कर दें, कांग्रेस ने हंगामा खड़ा कर दिया था। अब एएफपी द्वारा सोनिया गांधी को सत्ता का दलाल बताये जाने पर कांग्रेस के प्रवक्ता क्या कहेंगे? क्या वाकई प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को हटाने के लिए सोनिया राहुल को तैयार कर रही है? हैरत है कि कांग्रेसी और उनका मीडिया प्रभाग कानों में रुई देकर सोया पड़ा है?
कहीं इसके पीछे कोई विदेशी ताकत तो नहीं है? जो एक साथ तीन लोगों पर वार कर रही है। सोचता हूं कौन हैं वो चेहरे, कौन हैं वो हाथ जो सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी, मनमोहन सिंह को हमारे सामने किये हुए हैं। पर सब कुछ कितने सही मैनेज किया हुआ है। ये न विस्मयकारी है न रहस्यपूर्ण। खुले आम नंगई है।
मंगलवार, 7 सितंबर 2010
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