मंगलवार, 5 अक्तूबर 2010

पगड़ी संभाल मुंडा

पगड़ी की महिमा भी बड़ी अजीब होती है। जिसको नहीं मिलती वह उसके लिए परेशान होता है, और जिसे मिल जाती ह ै उसे संभालने में मुश्किल होती है। पगड़ी इज्जत भी देता है और दायित्व भी लेता है। आजकल झारखण्ड के नए मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को यह प्रदेश के लोगों ने 'पगड़ीÓ पहनाई हुई है। अभी तक अपने मंत्रिमंडल का विस्तार तक नहीं कर पाए हैं। कभी राज्यपाल के यहां तो कभी नई दिल्ली आकर गडकरी और नागपुर में भागवत के यहां मिलते हैं। दिक्कत को अपने साथ दो-दो मुख्यमंत्री को लेकर भी है। आखिर, अपना ही काम तो बांटना होगा उनके संग। पहले तो केवल मंत्री ही होता था न...। इस बार जिम्मेदारी और हालात कुछ अलग ढ़ंग के हैं। वैसे, मुंडा कहते हैं कि उनके राजकाज चलाने में किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है। पार्टी के बड़ेजनों का आशीर्वाद मिल चुका है। प्रदेश की जनता साथ है। सहयोग हेमंत और सुदेश भी इसबार सकारात्मक सोच के साथ हर कदम पर साथ है। तो उम्मीद की जा सकती है इस बार मुंडा को 'पगड़ीÓ संभालने में ज्यादा रस्साकशी नहीं करनी होगी।

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