भूपेन्द्र सिंह रावत
आज समूचा राष्ट्र भ्रष्टाचार से त्रस्त है। यही वजह है कि महान क्रांतिकारी शहीद चंद्रशेखर आजाद के बलिदान दिवस पर भारत स्वाभिमान ट्रस्ट, पतंजलि योग समिति के आवाहन पर भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ रामलीला मैदान में आयोजित रैली में हजारों लोगों ने भागीदारी निभाई। इस रैली में सामाजिक, राजनीतिक और आध्यामित जगत से जुड़े जाने माने लोगों के साथ शहीदों के वंशज भी शामिल हुए।
इस रैली के आयोजन की तैयारी से लेकर और रैली वाले दिन तक एक बात पर भारत स्वाभिमान ट्रस्ट और अन्य सामाजिक संगठनों में सहमति थी कि हमारी लड़ाई किसी व्यक्ति या संगठन के बिरूद्ध न होकर एक इस देश को उस तंत्र से बचाने की है जो हमारे देश को भ्रष्ट तरीके अपना कर अंदर से उस तरह खोखला कर रहा है जैसे दीमक लकड़ी को करते हैं। दूसरा देश के भ्रष्ट लोगों ने जो काली कमाई स्वीस बैंक में जमा कर रखी है उसे वापस भारत लाने के लिए संघर्ष। यह सहमति संगठन स्तर पर ही नहीं रैली में शामिल हुए तमाम किसान और मजदूरों की भी थी।
रैली की शरूआत में बात रखने वालों में शामिल देश की प्रथम महिला आईपीएस रह चुकी किरण बेदी व मैगसेेसे पुरूष्कार से सम्मानित अर्विन्द केजरीवाल दोनों ने जोर देकर कहा भी कि इस देश में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ बने कमजोर कानून के कारण ही वे घबराते नहीं हैं और यही कारण है कि भ्रष्टाचार रूकने का नाम ही नहीं ले रहा है। इसका एक मात्र उपाय है कि लोकपाल बिल में ऐसा प्रावधान हो कि भ्रष्टाचारियों के बिरूद्ध निश्चित समय सीमा के अन्दर जांच पूरी कर उन्हें सजा देने नौकरी से निकालने व भ्रष्ट तरीके से अर्जित धन को वापस लेने का प्रवाधान भी होना चाहिए। इस बात से रैली में आए तमाम लोग सहमत थे। इनके संबोधन के बाद आयकर विभाग के पूर्व आयुक्त विश्वबंधु गुप्ता ने संबोधन करते हुए यह दावा किया कि वे आयकर आयुक्त के ओहदे पर रहने के कारण जो कुछ भी बात रखने जा रहे हैं, उन सबके सबूत उनके पास मौजूद हैं।
अपनी बात की शुरूआत करते हुए विश्वबंधु गुप्ता ने दावा किया कि उन्हांेने ही बाबा राम देव को कालेधन की जानकारी दी है। और कहा कि आज की रैली में बाबा राम देव के आग्रह पर ही शामिल हुआ हूं। अपनी बात के क्रम में पूर्व आयकर आयुक्त ने कहा कि एक मामले की जांच के दौरान एक ऐसा कंप्यूटर हमारे विभाग के हाथ लगा जिस पर विदेश में धन जमा करने वाले पंद्रह लोगों के नाम तो थे, किंतु उन पंद्रह नामों में से मात्र तीन नाम ही पढे़ जा सकते थे।
पूर्व आयकर आयुक्त ने दावा किया कि जो नाम पढ़े जा सकते थे उन नामों में विलास राव देश मुख का है जो कि वर्तमान समय में यूपीए सरकार में केन्द्रिय ग्रामीण विकास मंत्री हैं और अहमद पटेल का था जो कि सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव भी हैं। इसके अलावा उन्होंने एक नाम को और उजागर किया वह नाम था हसन अली का, जिसके विषय मंे उन्होंने कहा कि वह दाऊद कंपनी के करीबी लोगों में से है।
अपनी बात के क्रम को आगे बढाते हुए विश्वबंधु गुप्ता ने कहा कि विदेश में जमा भारतीय काला धन के संदर्भ में वे आयकर आयुक्त के ओहदे पर रहते हुए वर्ष 2005 में तत्कालीन केन्द्रिय वित्त मंत्री पी. चितंबरम से मिले और उसको राय दी कि वह इस मामले में उस देश को पत्र लिखें जिस देश में भारतीयों ने काला धन जमा कर रखा हैै। उनहोंने दावा किया कि चितंबरम ने उनकी राय को नहीं स्वीकारा। उन्होंने कहा कि चितंबरम के व्यवहार से ऐसा लग रहा था जैसे कि वे एक हिजड़े से बात कर रहे हैं। गुप्ता बीच-बीच में यह दावा भी कर रहे थे कि वे जो कुछ भी बोल रहे हैं उसके उनके पास सबूत भी मौजूद हैं।
भ्रष्टाचार और काले धन के विरूद्ध आयोजित रैली में केन्द्रिय मंत्री पी.चितंबरम को पूर्व आयकर आयुक्त का दावे के साथ यह कहना कि वह एक हिजड़ा है, उन्होंने देश और दुनिया में एक नई बहस को जन्म दे दिया कि आखिर उनको कैसे पता लगा कि पी.चितंबरम पुरूष न होकर एक हिजड़ा हैं ?
गुप्ता के कथन के मुताबिक विलास राव देश मुख और अहमद पटेल का स्विस बैंक में काला धन जमा किया हुआ है। इससे उन्होंने दूसरा सवाल यह पैदा किया कि आखिर आयकर आयुक्त के ओहदे पर रहते हुए वे इनके विरूद्ध कार्रवाही करने में असफल क्यों रहे और उन्होंने इस बात का खुलासा उस दौरान ही क्यों नहीं किया ? किंतु भले ही वे यह काम अपने ओहदे पर रहते हुए नहीं कर पाए हों लेकिन आज भी ऐसे तमाम सबूतों को वे सार्वजनिक कर सकते हैं जिनके आधार पर वे दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस के इन दो नेताओं का धन स्वीस बैंक में जमा है। जिसके आधार पर इन नेताओं के विरूद्ध कार्रवाही संभव हो पाय।
इस तरह की जानकारी जब गुप्ता के द्वारा दी जा रही थी तब तक उसपर इस लिए यकीन किया जा रहा था क्योंकि वे दावा कर रहे थे कि वे जन सभा में जो कुछ भी बोल रहे हैं उन सबके सबूत भी उनके पास हैं। किंतु इसके बाद विश्वबंधु गुप्ता ने दावा किया कि अहमद पटेल सोनिया गांधी का ऐसा राजनीतिक सचिव है जो रात्रि को बारह बजे से तीन बजे के बीच में ही सोनिया को राजनीति की सलाह देता है यही नहीं गुप्ता ने दावा किया कि अहमद पटेल सोनिया के घर गाड़ियां बदल-बदल कर जाता है। और इस कथन के साथ ही पूर्व आयकर आयुक्त ने सोनिया गांधी को चुनौती देते हुए कहा कि इस देश में यह कैसी राजनीति हो रही है सोनिया जवाब दे ? जिस आसय के साथ गुप्ता यह सब कह रहे थे उससे एक बात तो साफ हो चुकी थी कि भले ही रैली भ्रष्टाचार और काले धन के विरूद्ध आयोजित की गई हो लेकिन वे इस रैली का उपयोग राजनीति में सम्मानित एक महिला के चरित्र का चीर हरण करने से भी नहीं चूके।
अपने संबोधन में पूर्व आयकर आयुक्त ने यह दावा भी किया कि बोफोर्स तोप की दलाली में जिय क्वात्रोची का नाम शामिल है उसके बेटे का होटल लीमेरिडियन में कार्यलय है जिसमें बैठ कर वह अपने कारोबार को संचालित करता है।
पूरे देश मंे हर जगह लोग भ्रष्टाचार और काले धन के बिरूद्ध संघर्ष करने वालों को सुनने को तैयार है लेकिन किसी भी ऐसी महिला जो किसी की मां हो किसी की पत्तनी रही हो किसी की बहु रही हो उसके चरित्र का चीरहरण करने की इजाजत कंही भी नहीं है
खासकर अपने भारत में जो कि सदियों से ऋषि मुनियों और सूफी सन्तों का देश रहा है वहां तो इस प्रकार की भाषा कोेई सहन नहीं कर सकता है।
दुर्भाग्य से जिस मंच से विश्वबंधु गुप्ता मानव जाति को शर्मशार करने वाले सवाल पैदा कर रहे थे उस समय रैली के मंच पर विराजमान आंदोलन के हमारे वरिष्ठ साथी अन्ना हजारे, स्वामी अग्निवेश, सहित अरविन्द केजरिवाल सहित आध्यात्तमिक जगत और राजनीति से जुड़े हुए ऐसे लोग भी मौजूद थे जो कभी न कभी ऐसे आन्दोलनों का हिस्सा भी रह चुके हैं जिन आन्दोलनों में ऐसे नारे भी लगते हैं कि ‘‘महिलाओं के सहयोग बगैर हर बदलाव अधूरा है’’ इसके अलावा चंद्रशेखर आजाद, राज गुरू और भगतसिंह के परिवार के सदस्य भी थे।
देश की प्रथम आईपीएस रह चुकी किरण बेदी सहित स्वामी रामदेव और विभिन्न साधु-सन्त, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता यह सुनकर कैसे और क्यों मौन रह गये। जैसे कि पूर्व आयकर आयुक्त रह चुके व्यक्ति ने दावा किया कि वे रामदेव को सलाह देते रहे हैं और आज की सभा में रामदेव के अनुरोध पर ही शामिल हुए हैं, स्वामी रामदेव की चुपी समझ में आती है। लेकिन दुःख और आश्चर्य इस बात का है कि आन्दोलन के वरिष्ठ साथी अन्ना हजारे, स्वामी अग्निवेश और अन्य ने इस व्यक्ति को निम्न स्तर की भाषा बोलने की इजाजत कैसे दे दी ? उम्मीद थी कि ये लोग उसे रोकेंगे, लेकिन उन्होंने तो बाद में इस व्यक्ति के द्वारा कहे गये अपशब्दों की निन्दा तक नहीं की। सोनिया जैसी प्रतिष्ठत महिला के लिए अपशब्दों का प्रयोग उस मंच से हो जिस मंच पर समाज की लड़ाई लड़ने के अगवा विराजमान हों तो हर किसी को कष्ट होना स्वाभाविक है। हैरानगी इस बात की भी है कि देश की प्रथम आईपीएस रह चुकी किरण बेदी भली भांति जानती हैं कि देश और दुनिया में सामाजिक, राजनीतिक और सेवा क्षेत्र में महिलाओं को पुरूषों के साथ मिलकर ही काम करने पड़ते हैं। यह कतई संभव नहीं हो सकता कि महिलाएं इन क्षेत्रों में अकेले ही तमाम काम पूरे कर सकें ? इस लिए उनको संबोधन के दौरान ही अपना विरोध दर्ज करना चाहिए था। हो सकता है कि आयकर आयुक्त के ओहदे पर रहते हुए विश्व बंधु गुप्ता को सायद ऐसा अवसर प्राप्त न हुआ हो।
जिस देश के धार्मिक ग्रन्थ यत्र नार्यास्तु पूज्यंते रमन्ते तत्र देवता की शिक्षा देते हों वहां साधु और सन्तों के बीच में बड़े ओहदे में रहकर बने बुद्धिजीवी होने का दावा करने वाले व्यक्ति के द्वारा सोनिया गांधी की इज्जत का चीरहरण किया गया। ऐसा लग रहा था जैसे कि धृतराष्ट्र की सभा में द्रोपदी का चीरहरण चल रहा है और मंच पर विराजमान सभी लोग पितामह भीष्म की तरह इसलिए विवश थे कि कहीं बाबा रामदेव रूष्ट न हो जायं। असल में सबकी घबराहट का कारण एक और भी था कि वक्ता बार-बार यह दावा कर रहा था कि मैं आयकर आयुक्त के ओहदे के कारण जो कुछ बोल रहा हूॅं उस सबके सबूत मेरे पास मौजूद हैं। हालांकि उसने जनता में कोई भी सबूत सार्वजनिक नहीं किया।
राष्ट्र की एक सम्मानित ऐसी महिला जो कि किसी की मां, बहन, बेटी और बहू भी है, उसके चरित्र पर मंच से एक व्यक्ति ने आरोप लगाने का परियास कर समस्त नारी जाति का अपमान करने का काम किया है। वह घोर निंदनीय है।
बाबा रामदेव, अन्ना हजारे, स्वामी अग्निवेश सहित आंदोलन के हमारे साथियों को राष्ट्र के लोगों की भावनाओं का एहसास हो जाना चाहिए कि लोग उनके नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुट हुए हैं न कि किसी के खिलाफ जबरदस्ती कीचड़ उछालने। बेहत्तर होता कि सोनिया गांधी को अनावश्यक निशाना बनाने के बजाय भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी मुहिम को मंजिल तक पहंुचाने का ऐजेंडा और रणनीति पर बाबा रामदेव द्वारा आमंत्रित पूर्व आयकर आयुक्त अपनी राय सार्वजनिक करता। इस व्यक्ति के भाषण के उपरान्त यह खतरा पैदा हो चुका है कि भविष्य में भ्रष्टाचार और काले धन के विरूद्ध जारी लड़ाई कहीं भटक कर किसी राजनितीक पार्टी के विरूद्ध जाकर न ठहर जाय। आंदोलन के तमाम साथियों को समय रहते हुए इस दिशा में गम्भीर चिंतन मनन करने की जरूरत है। कहीं ऐसा न हो कि राष्ट्र की जनता आंदोलन से कटने लगे।
सोनिया गांधी अपने राजनीतिक सचिव से किस समय राजनीति पर चर्चा करती है और उनके राजनीतिक सचिव किस गाड़ी के द्वारा उनके आवास पर आना-जाना करता है इसका भ्रष्टाचार को मिटाने या विदेशों में जमा काले धन को वापस भारत लाने की मुहिम से क्या लेना-देना है।
स्विस बैंक में जमा कालाधन वापस लाने का दावा कर हम अपने देशवासियों को आंदोलन करने के लिए प्रेरित तो कर सकते हैं ताकि सरकार पर दबाव बना कर देश में ऐसी जन लोक पाल व्यवस्था कायम हो सके जिसके उपरांत कोई भी भ्रष्टाचार करने का साहस न जुटा सके। लेकिन हमें यह भी देखना होगा कि स्विस बैंकों की जवाब देही हमारे भारत देश की बजाय अपने ग्राहकों और उनके द्वारा निवेश किये गये धन के पक्ष में है। यही उसकी सफलता का कारण भी है।
हम कितने शक्तिशाली हैं यह हमारे साथ-साथ पूरी दुनिया जानती है। एनडीए की सरकार के कार्यकाल में भारतीय जेल में बंद खूंखार पाकिस्तानी उग्रवादियों को हमारे देश के मंत्री कंधार तक बाइज्जत छोड़कर आये। ऐसे छोडे गये उग्रवादियों का न केवल नाम है बल्कि उनके फोटो, उनके हाथ पांव के निशान हमारे देश के पास मौजूद हैं और वे पाकिस्तान में पहुंचकर निरन्तर हमारे देश के विरूद्ध आतंकवादी युद्ध लड़ रहे हैं। हम न तो उन्हें वापस भारत लाने की ताकत रखते हैं और ना ही पाकिस्तान में घुसकर उनको ठिकाने लगाने की। इसलिए हम कैसे स्विस बैंक को उनके ग्राहकों के विरूद्ध कदम उठाने के लिए विवश कर सकते हैं जिनके कारण ही ऐसे बैंक का अस्तित्व कायम है।
इसलिए हमारे वरिष्ठ साथी अन्ना हजारे की राय के मुताबिक लोकपाल बिल तैयार करने के लिए सरकार ऐसे समिति का गठन करे जिसमें पचास फीसदी सदस्य गैर सरकारी हों और उस मसौदे में सामाजिक संगठनों के द्वारा इंडिया अगेंस्ट करपशन की मुहिम को मिले जनता के सुझावों पर भी गौर किया जाय। भ्रष्टाचार को रोकने का यही कारगर तरीका भी हो सकता है न कि राजनीति में शक्रिय लोगों के चरित्र पर प्रश्न चिन्ह लगा कर !
वक्त रहते भ्रष्टाचार के बिरूद्ध व काले धन के खिलाफ जारी मुहिम में शामिल बाबा राम देव सहित मंच पर बिराज मान रहे तमाम सामाजिक कार्यकर्ताओं को अपनी राय सार्वजनिक करनी चाहिए कि वे विश्वबंधु गुप्ता की राय से सहमत हैं या असहमत। इससे यह बात सार्वजनिक हो पाएगी कि यह मुहिम जिस ओर बढ रही है उसकी मंजिल कंहा है ?
( लेखक- जनसंघर्ष वाहिनी के संयोजक और भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी मुहिम में शामिल हैं।)
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