शुक्रवार, 26 मार्च 2010

बेहतरी के लिए अँधेरा ही सही ...

अंधेरे में रहना भला किसे अच्छा लगता है, लेकिन यह अंधेरा धरती की बेहतरी के लिए हो तो यह कदम सचमुच ही तारीफ़ के काबिल है. धरती को ग्लोबल वार्मिग के खतरे से बचाने की इसी मुहिम के तहत एशिया प्रशांत, मध्य पूर्व और अमेरिका समेत दुनिया के 150 से अधिक देशों के हजारों शहर 27 मार्च यानी शनिवार की रात एक घंटे के लिए अंधेरे में डूब जाएंगे. वर्ष 2007 में ऑस्ट्रेलिया के शहर सिडनी से शुरु किए गए इस व्यापक जनअभियान को अर्थ आवर 60 का नाम दिया गया है जिसमें 60 अंक 60 मिनट की उस अवधि की ओर इशारा करता है जब सारे घरों और इमारतों की बत्तियां बुझी रहेंगी. पिछले वर्ष भारत भी इस अभियान के साथ जुड़ गया और 50 लाख से अधिक भारतवासियों तथा दिल्ली और मुंबई समेत देश के 56 शहरों ने एक घंटे तक अपने घरों और ऐतिहासिक इमारतों की बत्तियां बुझाकर करीब 1000 मेगावाट बिजली की बचत की थी. प्रकृति को बचाने की दिशा में काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था विश्व वन्य जीव कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ़) की ओर से आयोजित इस अभियान में आज दुनिया के करीब हर छोटे बड़े देश शामिल हो गए हैं. दुनिया का हर नागरिक, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, शिक्षण संस्थान एवं प्रत्येक समुदाय जलवायु परिवर्तन के खिलाफ़ एकजुट होने की अपील कर रहा है. शनिवार यानी 27 मार्च को एक खास संयोग यह भी है कि इस तारीख को दिन और रात की अवधि बराबर हो रही है.
इस अभियान को सफ़ल बनाने और अधिक से अधिक लोगों को इस मुहिम से जोड़ने में देश दुनिया की मशहूर हस्तियां और बड़े -बड़े उद्योग घराने भी आगे आए हैं. करोड़ों युवाओं के चहेते एवं मशहूर अभिनेता आमिर खान अर्थ आवर 2009 के ब्रांड अम्बेस्डर थे वहीं सचिन तेंदुलकर और अनिल कुंबले जैसे प्रसिद्ध क्रिकेटरों ने भी खुद को इस अभियान में शामिल किया है. इस बार युवा दिलों की धड़कन एवं बॉलीवुड अभिनेता अभिषेक बच्चन अन्य हस्तियों के साथ इस मुहिम से जुड़ गए हैं.
अर्थ आवर 2010 के मौके पर जिम्बाब्वे के सैकड़ों बच्चे विक्टोरिया जलप्रपात पर मोमबत्ती की रोशनी में पिकनिक मनाकर धरती को ग्लोबल वार्मिग से बचाने के लिए दुनिया को संदेश देंगे. वहीं गालापैगस द्वीप पर सांता क्रूज की मुख्य सड़कों पर एक घंटे तक मोमबत्तियां जलेंगी. अर्थ आवर के समय दुनिया की 812 महत्वपूर्ण इमारतों में बिजली बंद रखी जाएगी जिनमें दिल्ली का लाल किला, पेरिस का एफ़िल टावर, बैंकाक का ग्रैंड पैलेस, ऑकलैंड का स्काई टावर, लंदन का लंदन आइ और पिकाडिली सर्कस, बर्लिन का ब्रैंडेनबर्ग गेट, न्यूयार्क की एंपायर स्टेट बिल्डिंग, दुनिया की ऊंची इमारत दुबई की बुर्ज अल अरब, रियो डी जनेरो की क्राइस्ट द रिडीमर, मैक्िसको सिटी का अल एंजल, इटली का टेवी फ़ाउंटेन, जिम्बाब्वे का विक्टोरिया फ़ॉल्स, पेइचिंग की फ़ारबिडन सिटी, इटली की पीसा की झुकती मीनार और लंदन का बिग बेन शामिल हैं. पूरी दुनिया के एक अरब से अधिक लोग अर्थ आवर 2010 की तैयारी कर चुके हैं.धरती के बढते तापमान और इससे ग्लेशियरों के अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरे को देखते हुए एक साल में एक बार 60 मिनट के लिए बत्तियां बुझाकर बिजली की बचत करना ही काफ़ी नहीं है लेकिन बेहतर भविष्य के लिए कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के प्रति लोगों को जागरुक करने की दिशा में यह एक अच्छी पहल साबित होगी.



सादर साभार : प्रभात खबर

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

bhai Subhash ji aap to waise hi achchha likhte hain.Radha Krishna k bahane jo charcha rishton ko leker shuru hui us per mai agyani aadmi to kuchh keh nahi sakta. per aapka lekhan jordar hai.