शनिवार, 28 नवंबर 2009

जो उजड़ेंगे, कहां जाएंगे

विस्थापित किसानों के पुनर्वास के लिए राज्य सरकार की ओर से कई कदम उठाए जाने की बात हो रही है। सरकार का कहना है कि 7 हजार एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है, मगर कोई ठोस कार्ययोजना नहीं है। राज्य में विभिन्न परियोजनाओं के लिए 30,000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाना है, अब तक विभिन्न परियोजनाओं के लिए 7 हजार एकड़ जमीन का किया जा चुका है।
नई औद्योगिक परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण की वजह से विस्थापित होने वाले लोगों के पुनर्वास के लिए पश्चिम बंगाल सरकार के पास कोई ठोस नीति नहीं नजर आ रही है, जबकि जमीन पर अधिकार को लेकर इस राज्य में कई हिंसक घटनाएं हो चुकी हैं। सच तो यह भी है कि परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण पर हिंसक विरोध तक झेल चुकी पश्चिम बंगाल सरकार अब विस्थापित किसानों के जख्मों पर पैकेज का मरहम लगा रही है। विस्थापित किसानों के पुनर्वास के लिए अब राज्य सरकार की ओर से बेहतर कदम उठाए जा रहे हैं। विस्थापित किसानों को जेएसडब्ल्यू बंगाल स्टील और भूषण स्टील की ओर से मुफ्त में शेयर देने की घोषणा के बाद अब मुफ्त में जमीन देने की बात की जा रही है।सूत्रों के मुताबिक, कंपनी के इस तरह के पुनर्वास पैकेज को पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम (डब्ल्यूबीआईडीसी) को सौंप दिया गया है। इसके तहत अधिग्रहण से प्रभावित लोगों को मुआवजा के अलावा जमीन भी दी जाएगी।
कहा जा रहा है कि प्रदेश सरकार को विभिन्न औद्योगिक परियोजनाओं के लिए 30,000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करना है। इसमें से 7,000 एकड़ जमीन का आवंटन किया जा चुका है और शेष जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया के अलग-अलग चरणों में है, लेकिन इससे प्रभावित होने वाले लोगों के लिए कोई ठोस व्यवस्था किया जाना फिलहाल बाकी है। प्रदेश सरकार में वणिज्य एवं उद्योग मंत्री निरुपम सेन और जमीन एवं भूमि सुधार मंत्री अब्दुर रज्जाक मुल्ला का कहना है कि आंकड़ों को इक_ा किया जाना अभी बाकी है। बकौल सेन, 'हम केवल महत्वपूर्ण एवं बड़ी परियोजनाओं के लिए जमीन का अधिग्रहण कर रहे हैं। ज्यादातर कंपनियों ने जमीन की सीधी खरीदारी की है।Ó मुल्ला का कहना है कि जिला कलेक्टरों से आंकड़े एकत्र करने होंगे। प्रस्तावित परियोजनाओं में लोहे और इस्पात की हिस्सेदारी सबसे अधिक है। वहीं, पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम के सूत्रों का कहना है कि जमीन खोने वालों की पूरी जानकारी तभी मिल पाएगी जब परियोजनाएं आवंटित कर दी जाएंगी।
दरअसल, यह पैकेज भूषण स्टील के प्रस्तावित बीस लाख टन के स्टील प्लांट और 1,000 मेगावाट क्षमता वाले बिजली संयंत्र के लिए सौंपा गया है। गौरतलब है कि यह परियोजना कोलकाता से 260 किलोमीटर की दूरी पर आसनसोल के पास सालनपुर औद्योगिक क्षेत्र में बनाया जाना है। चालू परियोजनाओं के विस्तार के अलावा 1,09,550 करोड़ रुपये निवेश की 10 अन्य इस्पात परियोजनाएं प्रस्तावित हैं। इनकी सामूहिक उत्पादन क्षमता 2।8 करोड़ टन की होगी, जिनके लिए 23,590 एकड़ जमीन अधिग्रहण की जरूरत पड़ेगी। इसके अलावा कई विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) भी प्रस्तावित हैं। वर्ष 2006 से लेकर अब तक 14 सेज को सैद्धांतिक और अन्य 14 सेजों को औपचारिक मंजूरी मिल चुकी है। हालांकि इनमें बहु-उत्पाद वाले सेज की संख्या केवल 3 है, जिनके लिए 8,000 एकड़ जमीन की जरूरत होगी। लेकिन इतनी सारी जमीन का अधिग्रहण कोई आसान काम नहीं है। कम-से-कम पश्चिम बंगाल में तो ऐसा कतई नहीं है।
जानकारों का कहना है कि इस दिशा में सबसे बड़ी बाधा प्रदेश में वाम गठबंधन सरकार की सबसे प्रसिद्ध भूमि सुधार योजना की वजह से पैदा हुई है। इसके कारण राज्य में औसत जमीन स्वामित्व का दायरा एक एकड़ से भी कम रह गया है। यही वजह है कि सिंगुर में 997 एकड़ जमीन अधिग्रहण के चलते करीब 13,000 लोगों ने जमीन गंवाई थी। इसके अलावा राजनीतिक दलों की ओर से समर्थन लेकर नक्सलियों ने भी इस मसले को उलझा रखा है।

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