आमतौर पर कहा जाता है कि आतंकी संगठनों का फैलाव मुस्लिम देशों में होता है और केंद्र भी। पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका ने आतंकी संगठनों को सफाया करने का ठान लिया है। अफगानिस्तान में अल-कायदा के नाम पर अमेरिकी सैनिकों ने जो तांडव दिखाया, वह जगजाहिर है। अल-कायदा सहित तालिबान का केंद्र अफगानिस्तान और पाकिस्तान माना जाता रहा है। यही से इन संगठनों को पालन-पोषण और संचालन किया जाता रहा है। मगर हाल के दिनों में संकेत मिलने लगे हैं कि तालिबान और अल कायदा दक्षिण और मध्य एशिया के साथ-साथ अब यूरोपीय देशों जैसे जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस और तो और अमेरिका से भी भर्ती कर रहे हैं। भर्ती किए गए सदस्यों को आतंकवाद के प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान और अफगानिस्तान भेजा जा रहा है।
अमेरिकी एजेंसी अल कायदा और तालिबान के निशाने पर आए नए देश अपने नागरिकों को इन संगठनों में जाने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। जर्मन खुफिया सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि जनवरी से कम से कम 30 जर्मन नागरिक आतंकवाद का प्रशिक्षण लेने के लिए पाकिस्तान जा चुके हैं। सूत्रों के अनुसार, जर्मनी में जर्मन तालिबान नामक एक समूह का अस्तित्व में आना भी खतरे का संकेत है। कुछ दिनों पूर्व जर्मन अधिकारियों ने बताया कि इस साल के शुरू में हैम्बर्ग से दस सदस्यों का एक समूह पाकिस्तान के लिए रवाना हुआ। इसका नेतृत्व सीरियाई मूल का एक जर्मन नागरिक कर रहा था। इस समूह में जातीय तुर्क और जर्मनी के ऐसे मूल निवासी शामिल थे जिन्होंने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था। एक सदस्य अफगान मूल का भी था।
अन्य यूरोपीय देश भी अपने नागरिकों को अर्धसैनिक प्रशिक्षण लेने के लिए पाकिस्तान जाने से रोक रहे हैं। अगस्त में पाकिस्तानी अधिकारियों ने उत्तर वजीरिस्तान जा रहे 12 विदेशियों को गिरफ्तार किया था जिनमें चार स्वीडिश नागरिक थे। इसी प्रकार कहा जा रहा है कि बेल्जियम और फ्रांस के कुछ नागरिकों को भी पाकिस्तान और अफगानिस्तान में आतंकवाद प्रशिक्षण शिविरों में प्रशिक्षण दिया गया। एक खुफिया रिपोर्ट में डच खुफिया एजेंसी ने हाल ही में कहा था कि अल कायदा की हमले करने की क्षमता में पिछले कुछ वर्षों में इसलिए अधिक वृद्धि हुई है कि इसने अन्य उग्रवादी समूहों के साथ गठजोड़ किया है। एजेंसी के अनुसार, अब इन समूहों के जेहादियों का एजेंडा अंतरराष्ट्रीय हो रहा है और पश्चिम में खतरा बढ़ा है। अमेरिका में भी अधिकारियों ने कांग्रेस की बैठकों और खुफिया रिपोर्टों में अल कायदा तथा तालिबान द्वारा अमेरिकी नागरिकों की भर्ती किए जाने को लेकर चिंता जताई है। इस साल अमेरिका में अधिकारियों ने मिनियापोलिस से लेकर न्यूयार्क तक ऐसे कई लोगों को गिरफ्तार किया जिनकी तालिबान या अल कायदा ने भर्ती की थी और आतंकवाद का प्रशिक्षण दिया था। गौर करने योग्य तथ्य यह भी है कि अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन अल कायदा ने चेतावनी दी है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का पतन मुस्लिम जगत के हाथों होगा। 11 सितंबर के आतंकवादी हमले की आठवीं बरसी पर जारी 106 मिनट के नए वीडियो में यह चेतावनी दी गई है। आतंकवादी संगठन की वेबसाइट पर जारी किए गए इस अरबी भाषा के वीडियो में अमेरिका को यह चेतावनी दी गई। कूटनीतिक दृष्टिï से अलकायदा के इस अभियान को काफी संजीदगी के संग देखा जा रहा है। मुस्लिम देशों के लोगों को अमेरिका सहित अन्य यूरोपीय देश में आना-जाना मुश्किल होता है, लेकिन अपने नागरिकों को कोई भी देश उस प्रकार के शक की निगाहों के साथ नहीं देखता है। सो, अलकायदा ने अपना फैलाव यूरोप व अमेरिका की ओर किया।
इधर, अल कायदा के वांछित कमांडर अबु याह्या अल लिबी ने चीन के खिलाफ जिहाद छेडऩे का आह्वान किया है क्योंकि वह मुस्लिम बहुल शिनजियांग क्षेत्र का दमन कर रहा है। अल लिबी ने उयघुर निवासियों से चीन के शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष छेडऩे का आह्वान किया और मुस्लिमों से उयघुरों की मदद करने का अनुरोध किया। ऐसा पहली बार हुआ है जब अल कायदा ने अपनी संगीनें चीन पर तान दी हैं और उसके नेताओं को धमकी दी है कि उनका हश्र भी वैसा ही होगा जैसा अफगानिस्तान में रूस का हुआ था। लिबी ने वेबसाइट पर डाली गई वीडियो रिकार्डिंग में कहा,' यह आज के मुस्लिमों का फर्ज है कि वे पूर्वी तुर्कीस्तान में अपने भाइयों के साथ खड़े हों और जब तक वे जिहाद के लिए गंभीर रूप से तैयार नहीं होंगे, तब तक इस प्रभाव से बचा नहीं जा सकेगा।Ó
1 टिप्पणी:
चिन्ताजनक जानकारी है धन्यवाद्
एक टिप्पणी भेजें