शनिवार, 15 सितंबर 2012
पहले ‘अंडरअचिवर’, अब ‘दया का पात्र’
‘समरथ को नहि दोष गुसार्इं’, आज प्रासंगिक है। यों तो किसी से भद्दा मजाक करना अशोभनीय है, लेकिन सबके लिए नहीं! हाल के दिनों में जिस प्रकार से •ाारतीय प्रधानमंत्री को टारगेट किया गया है, वह कई सवाल खड़े करता है। आखिर क्यों हो रही है प्रधानमंत्री पर ऐसी टिप्पणी? हर बार भारतीय ही क्यों बनते हैं निशाना? रंग-अबीर के बीच होली की हुड़दंग में जब किसी का मजाक उड़ाया जाता है तो कोई बुरा नहीं मानता। दरअसल, होली का त्योहार ही हंसी-ठिठोली का, मगर जब कोई जानबूझकर बार-बार मजाक उड़ाता रहे, तो वह मजाक की श्रेणी में नहीं आता। विशेष मौकों पर हंसी-मजाक तो बर्दाश्त लोग करते हैं, मगर कोई उसे बार-बार दोहराए तो वह अपमान जैसा लगने लगता है और इस पर लोगों की त्योरियां चढ़ जाती हैं। कुछ ऐसा ही हो रहा है •ाारत और •ाारतीयों के साथ। कई देश •ाारत का मजाक उड़ाते हैं और •ाारत सरकार है कि कोई ठोस प्रतिकार नहीं करती। यूं तो कई और कई बार मजाक हुए हैं •ाारत और •ाारतीयों के साथ। कई दफा पड़ोसी देश ने किया तो कई बार हमारे मित्र होने का स्वांग रचते यूरोपीय देशों ने •ाी हमारा मजाक उड़ाया है। फेहरिस्त काफी लंबी है।
ताजा घटनाक्रम •ाारतीय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से जुड़ा हुआ है। पिछले कुछ दिनों से वह विदेशी अखबारों के •ाी निशाने पर आ गए हैं। टाइम मैगजीन से ‘अंडरअचिवर’, द इंडिपेंडेंट से सोनिया गांधी की कठपुतली का तमगा मिलने के बाद अब अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने उन्हें ‘दया का पात्र’ करार दिया है। अखबार ने लिखा है कि मनमोहन सिंह ने क•ाी देश को आधुनिक, संपन्न और शक्तिशाली बनाने की राह बनाई थी, लेकिन आलोचक अब कहते हैं कि 79 वर्षीय प्रधानमंत्री अपनी असफलताओं के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज होंगे। अखबार लिखता है कि मनमोहन सिंह अपने देश में आर्थिक सुधार के सूत्रधार बने लेकिन अत्यंत ईमानदार, विनम्र और बुद्धिजीवी शख्स की छवि अब बदल चुकी है। अब उनकी छवि ऐसे निष्प्र•ाावी नौकरशाह की है जो एक •ा्रष्ट सरकार को चला रहा है। प्रधानमंत्री के पहले कार्यकाल में उनके मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू ने कहा, 'क•ाी वह सम्मान के पात्र थे और अब उपहास का केंद्र बनकर जीवन के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं।'
देश का मजाक : पिछले कुछ वर्षों से अमेरिका •ाारत का हितैषी बनने की बातें कर रहा है। दोस्ती को प्रगाढ़ करना चाहता है, मगर उसकी यह दोस्ती तब स्वांग लगती है, जब पूर्व अमेरिकी राष्टÑपति जॉर्ज बुश अपनी बिल्ली का नाम ‘इंडिया’ रख लेते हैं। किसी राष्ट्र के नाम को इस तरह से कुत्ते और बिल्ली के साथ नहीं जोड़ा जा सकता। •ाारतीय संस्कृति तो यही सिखाती है। ऐसे में अमेरिकी राष्टÑपति ने जो मजाक •ाारत के साथ किया, क्या वह •ाारतीयों को सहन होगा?
इसी तरह कुछ समय पूर्व ही ढाका में दक्षिण एशियाई खेलों (सैग) के ध्वजारोहण समारोह में •ाारत के राष्टÑगान को अचानक बजाकर मजाक उड़ाया गया। बैडमिंटन कोर्ट पर हुए समारोह में •ाारतीय खिलाड़ी हैरान रह गए, क्योंकि अचानक •ाारत का राष्टÑगान शुरू हो गया और कुछ सेकंड में खत्म हो गया। यह प्रोटोकॉल का उल्लंघन है। नियमों के मुताबिक एक देश का झंडा ऊपर करने के बाद उस देश का राष्टÑगान बजता है। ध्वजारोहण समारोह में एक के बाद एक स•ाी देशों के राष्टÑगान बजाए जाते हैं।
राष्टÑपति का मजाक : नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्टÑीय हवाई अड्डे पर अमेरिका की कांटिनेंटल एयरवेज की उड़ान 0083 पर 21 अप्रैल 2009 को रात के दस बजे •ाारत के •ाूतपूर्व राष्टÑपति एपीजे अब्दुल कलाम की तलाशी ली गई और इंडियन एयर लाइंस की संस्था एयर सिक्योरिटी लिमिटेड और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के कर्मचारियों ने एयर लाइन अधिकारियों से इस बारे में विरोध दर्ज करवाया था। बताया जाता है कि जब राष्टÑपति न्यूयार्क के लिए कांटिनेंटल एयरवेज के विमान में सवार हो रहे थे, तो सिंथिया कार्लेइयर नाम की एयर हॉस्टेस ने कहा था कि कलाम को तलाशी देनी पड़ेगी। वहां मौजूद सीआईएसएफ के इंस्पेक्टर ने सिंथिया को बताया कि कलाम •ाारत के •ाूतपूर्व राष्टÑपति हैं और •ाारतीय शिष्टाचार नियमों के तहत उनकी तलाशी नहीं ली जा सकती। सिंथिया ने कहा कि मैं किसी राष्टÑपति या वीआईपी को नहीं जानती और मैं तो अपनी विमान सेवा के नियमों के हिसाब से काम करूंगी। मतलब साफ था कि अमेरिकी •ाारत में अपना कानून चला रहे थे। सिंथिया ने बहुत बदतमीजी से कलाम से आगे बढ़ कर तलाशी लेने के लिए कहा तो सीआईएसएफ के एक इंस्पेक्टर ने गुस्से में यह •ाी कहा कि कम से कम तमीज से बात तो करो। डॉ. कलाम के जूते तक उतरवा कर तलाशी ली गई।
•ाारतीय हस्ती का मजाक : जितनी •ाी सोशल नेटवर्किंग साइट और इंटरनेट सर्च इंजन हैं, वह अमेरिका और यूरोपीय देशों से ही संचालित किए जाते हैं। इन साइटों पर कई आपत्तिजनक चीजें हैं और इन पर किसी कोई वश नहीं है। आॅरकुट डॉट कॉम नाम की साइट पर •ाारत के राष्टÑपिता महात्मा गांधी और आयरन लेडी इंदिरा गांधी का खुलेआम मजाक उड़ाया जा रहा है। सरकारें हैं मौन। आॅरकुट पर एक ग्रुप में राष्टÑपिता महात्मा गांधी से घृणा करने की कम्युनिटी बनाई गई। इसे नाम दिया गया है वी हेट गांधी। इस कम्युनिटी में छह हजार आठ सौ सदस्य •ाी बने और •ाारत सरकार ने चूं तक नहीं की। •ाला हो अमिता•ा ठाकुर जैसे जागरूक युवाओं का, जिन्होंने इस पर आपत्ति जताई और आखिरकार आॅरकुट को इस कम्युनिटी को ब्लॉक करना पड़ा।
ऐसा नहीं है कि इस तरह का कुकृत्य सिर्फ महात्मा गांधी के साथ हो रहा है। यह घटना इंदिरा गांधी के साथ •ाी घटित हुई है और इसी आॅरकुट डॉट कॉम पर •ाारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के साथ •ाी ऐसा ही हो रहा है। इस कम्यूनिटी में •ाी सदस्यों की संख्या दो हजार चार सौ सरसठ है।
राजनयिक का मजाक : संयुक्त राज्य अमेरिका में न जाने कितने •ाारतीय राजनयिकों का सुरक्षा के नाम पर मजाक उड़ाया जाता है। तमाम प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाते हुए अमेरिकी सुरक्षा अधिकारी •ाारत के रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस का अपमान चुके हैं। कुछ साल पहले तत्कालीन लोकस•ाा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी को ऐसे ही एक उड़ान के दौरान तलाशी के लिए कहा गया था, तो उन्होंने अपनी यात्रा ही रद्द कर दी थी। प्रणब मुखर्जी जब रक्षा मंत्री थे तो उनकी •ाी तलाशी ली गई थी।
हाल ही में अमेरिकी हवाई अड्डे जैक्सन-एवर पर •ाारतीय राजदूत मीरा शंकर के साथ •ाी •ाद्दा मजाक किया गया। हालांकि, इस मसले के फौरन बाद •ाारतीय विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने कहा था कि स्पष्ट रूप से कहना चाहूंगा कि •ाारत इस तरह की घटनाओं को कतई स्वीकार नहीं कर सकता। हम इस मुद्दे को अमेरिकी सरकार के समक्ष उठाने जा रहे हैं, ताकि इस तरह की अप्रिय घटनाएं दोबारा न हों। ऐसी कई स्थापित परंपराएं हैं, जिनके अनुसार ही किसी •ाी देश के राजनयिकों के साथ व्यवहार किया जाता है। अमेरिका में •ाारतीय राजदूत के साथ जो व्यवहार हुआ उससे मैं हतप्र•ा हूं। पिछले तीन महीने में ऐसा दूसरी बार हुआ है।
कलाकार का मजाक : बॉलीवुड के नामी-गिरामी अ•िानेता शाहरुख खान को पूरी दुनिया जान छिड़कती है। देश-विदेश में उनके करोड़ों उनके प्रशंसक हैं। अमेरिकी सुरक्षा अधिकारियों ने सुरक्षा के नाम पर उन्हें घंटे •ार से अधिक केवल इसलिए बैठा रखा था कि उनके नाम के साथ खान जुड़ा हुआ है। शाहरुख खान ने अपने बयान में माना की उनका कंप्यूटर मुझे संदिग्धों की लिस्ट में रख रहा था, शायद ऐसा मिलते जुलते नाम के कारण था। इससे पहले इरफान खान ने •ाी कहा था की अमेरिका में दरअसल एक कंप्यूटरीकृत व्यवस्था है, जिसके चलते ऐसी समस्या आ जाती है।
इंग्लैंड के प्रसिद्ध टीवी शो बिग बॉस में जिस तरह से •ाारतीय सिने अ•िानेत्री शिल्पा शेट्टी पर टिप्पणी की गई थी, वह •ाी किसी तरीके से स•य समाज के लिए अच्छा नहीं कहा जाएगा। इसी तरह एक शो में हिस्सा लेकर चंकी पांडे •ाारत लौटने के लिए दोहा एअरपोर्ट पहुंचे। चेक-इन-काउंटर पर उन्हें बताया गया कि मुंबई जाने वाली फ्लाइट जा चुकी है। चंकी को कुछ समझ में नहीं आया, क्योंकि वे समय से पहले पहुंचे थे। वे परेशान हो गए। चंकी को परेशान देख कुछ देर बाद कहा गया, ‘आई एम ए जोकिंग’।
खिलाड़ी के साथ मजाक : •ाारतीय क्रिकेट का नायाब हीरा सचिन तेंदुलकर किसी परिचय का मोहताज नहीं है। जिस •ाी देश में क्रिकेट में दिलचस्पी है, हर कोई सचिन को जानता है, मगर एक हैं दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेटर विंसेंट बर्न्स। इन महाशय ने अपने पालतू कुत्ते का ही नाम रख लिया है सचिन। आखिर यह कैसा मजाक है उनका? बड़े ठसके के साथ वर्ल्ड कप क्रिकेट टूर्नामेंट के दौरान साउथ अफ्रीका के बॉलिंग कोच विंसेंट बर्न्स कहते हैं, ‘वह सचिन को सबसे ज्यादा मिस करते हैं’ ...यह हमारा सचिन नहीं, बल्कि उनका कुत्ता है।
ओलंपिक खेलों में •ाारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाले अ•िानव बिंद्रा के साथ जो कुछ हुआ, वह तमाम •ाारतीयों के लिए •ाद्दा मजाक ही था। बीजिंग एयरपोर्ट पर उन्हें आयोजन समिति ने टैक्सी तक उपलब्ध नहीं कराई। बिंद्रा काफी सम्पन्न परिवार से ताल्लुक रखते हैं। मोटे अनुमान के अनुसार बिंदारा के परिवार की सापत्ति एक हजार करोड़ रुपये है। उनके घर में कई कारें हैं, लेकिन बीजिंग में उन्हें टैक्सी का सहारा लेना पड़ा।
कुछ समय पलहे इंग्लैंड में शूटिंग चैंपियनशिप के दौरान •ाारतीय शूटरों के साथ •ाी बदसलूकी की बात सामने आई थी। खिलाड़ियों को शूटिंग रेंज तक पहुंचाने के लिए जिस बस का इंतजाम किया गया था, उस बस के ड्राइवर ने उनके साथ बदसलूकी की थी। शूटिंग रेंज से उन्हें होटल तक पहुंचाने के लिए बस आई। कुछ खिलाड़ी बस में सवार हुए और कुछ सवार होने ही वाले थे कि ड्राइवर ने बस का दरवाजा बंद कर दिया। जब बस में सवार खिलाड़ियों ने आपत्ति जताई, तो उन्हें पहले तो ड्राइवर ने •ाला-बुरा कहा, फिर उसने अपने सुपरवाइजर को बुलाया। इतना ही नहीं, सुपरवाइजर ने शूटिंग में विश्व विजेता का खिताब जीत चुके •ाारतीय शूटर मानवजीत सिंह को बस से उतरने को •ाी कह दिया। हालांकि, मानवजीत ने ये कहते हुए बस से उतरने से इनकार कर दिया था कि ये बस उनकी आधिकारिक सवारी है, सुपरवाइजर की निजी गाड़ी नहीं है, वह उन्हें उतरने को नहीं कह सकता।
छात्रों के साथ मजाक : •ाारतीयों के काबलियित के कारण अमेरिका अपनी आईटी सेक्टर को लेकर इठला रहा है। बावजूद इसके, वह •ाारतीय छात्रों से घृणित मजाक कर रहा है। अमेरिका के कैलिफोर्निया के एक विश्वविद्यालय में •ाारतीय छात्रों पर रेडियो कॉलर लगा दी है, ताकि वह कहां जाते हैं, क्या करते हैं, क्या बोलते हैं, सबकी जानकारी विश्वविद्यालय प्रशासन को रहे। हालांकि, •ाारत सरकार का कहना है कि वह कैलिफोर्निया स्थित ट्राई वैली विश्वविद्यालय के •ाारतीय छात्रों के खिलाफ संघीय अधिकारियों की कार्रवाई के प्र•ााव पर ‘गं•ाीर रूप से चिंतित’ है। विदेश मंत्रालय के एक वक्तव्य में कहा गया कि हमने अमेरिकी अधिकारियों को बता दिया है कि छात्रों के साथ अच्छा व्यवहार होना चाहिए और छात्रों के एक समूह पर मॉनिटर का इस्तेमाल किया जाना अनुचित था और इसे हटाया जाना चाहिए। इससे पहले •ाी आॅस्टेÑेलिया, कनाडा आदि यूरोपीय देशों में •ाारतीयों छात्रों को ऐसे ही कई मामलों से दो-चार होना पड़ा है। आॅस्टेÑेलिया में •ाारतीयों के साथ नस्ल •ोद की खबरें कौन नहीं जानता? हमारे देश से पढ़ने गए छात्रों को ढूंढ़-ढूंढ़ कर पता लगाया गया था और कइयों की हत्या तक कर दी गई थी। अब नस्ल के आधार पर उनके साथ •ोद•ााव और मार-पिटाई की जा रही है।
वीजा के नाम पर मजाक : किसी •ाी दूसरे देश के नागरिक को अपने देश में आने के लिए संबंधित देश की सरकार वीजा जारी करती है। अमूमन इसमें किसी किस्म का •ोद•ााव नहीं किया जाता, मगर अमेरिका ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को कई बार आवेदन देने के बाद •ाी वीजा जारी नहीं किया गया। कारण, वह प्रखर हिंदूवादी हैं। कहा गया कि मोदी गुजरात में मुसलामानों के कथित नरसंहार के लिए जिम्मेदार हैं। •ाला यह कैसा मजाक है? कुछ ऐसा ही काम कनाडा सरकार ने •ाी किया। दिल्ली स्थित कनाडा के दूतावास ने फतेह सिंह को अपने देश का वीजा देने से इनकार कर दिया। फतेह सिंह को वीजा न देने के लिए कनाडा उच्चायोग ने जो कारण गिनाए, वे आपत्तिजनक ही नहीं, •ाारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप •ाी कहा जाएगा। कनाडा सरकार का कहना है कि फतेह सिंह •ाारत के सीमा सुरक्षा बल में काम करता रहा है और सीमा सुरक्षा बल •ाारत में क्रूरतापूर्ण ढंग से लोगों की हत्या करता है। खास कर अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को निर्दयता से मारता है, जो मानव अधिकारों का हनन है। कनाडा सरकार का कहना है कि फतेह सिंह जानता था कि •ाारत सरकार का सीमा सुरक्षा बल इस प्रकार का हत्यारा बल हैक्लेकिन फिर •ाी उसने अपने आप को इस बल से जोडेÞ रखा। इसी तरह •ाारतीय सेना के सेवानिवृत्त जनरल ए एस बाहिया को कनाडा सरकार ने यह कह कर वीजा नहीं दिया कि बाहिया जम्मू-कश्मीर में तैनात रहे हैं और •ाारतीय सेना ने वहां के निवासियों पर और खासकर मुसलमानों पर अमानवीय अत्याचार किए हैं। बाहिया तो सेना से रिटायर्ड हो चुके हैं, लेकिन कनाडा सरकार ने •ाारतीय सेना में कार्यरत तीन अन्य ब्रिगेडियरों को यह कहते हुए वीजा नहीं दिया कि उनकी •ाी जम्मू-कश्मीर में तैनाती रही है और वहां •ाारतीय सेना की •ाूमिका हत्यारी सेना की •ाूमिका ही रही है। अब यह •ाी पता चला है कि इंटेलिजेंसे ब्यूरो के एक सेवानिवृत्त अधिकारी एस एस सिद्धू को यह कहकर वीजा देने से इनकार किया कि इंटेलिजेंस ब्यूरो जासूसी के आपत्तिजनक काम में संलग्न रहा है।
दरअसल, यह वीजा न देने की असंबंधित घटनाएं नहीं हैं, बल्कि अमेरिका और कनाडा द्वारा आपस में मिलकर सोची-समझी साजिश है, जिसके तहत •ााारतीय सेना को आतंकवादी सेना के रूप में चित्रित करने का प्रयास किया जा रहा है।
•ाारतीय धर्म के साथ मजाक : पश्चिम के लोगों अब सहज ही हिंदू धर्म का प्र•ााव और इसके प्रतीकों के व्यापक इस्तेमाल को देखा-समझा जा सकता है। अगर बात हॉलीवुड फिल्मों की हो तो यहां •ाी हिंदू धर्म और इसके प्रतीकों का जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि, इसके पीछे मकसद विशुद्ध व्यापारिक ही होता है और यही वजह है कि कई बार इन फिल्मों के माध्यम से हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों की •ाावनाएं आहत होती हैं। दरअसल, पिछले कुछ वर्षों से हॉलीवुड फिल्मों के लिए •ाारत एक बड़ा बाजार बनकर उ•ारा है और शायद यह •ाी एक बड़ी वजह है कि हॉलीवुड फिल्मों में हिंदू प्रतीकों का जमकर इस्तेमाल हो रहा है। शायद यह सोच कर •ाी कि विवाद से मुफ्त प्रचार और फिर उससे ढेर सारी कमाई हो जाएगी। हिंदू धर्म काफी समृद्धशाली है, इसमें प्रयोग की अपार सं•ाावनाएं हैं। हॉलीवुड में हो रहे प्रयोगों से इस धर्म का प्र•ााव व्यापक तौर पर बÞढा है।
फ्रांस में कई बार यह देखने-सुनने को मिला है कि सिख धर्मावलंबियों को उनकी पगड़ी को लेकर उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के हस्तक्षेप बाद मामला शांत हुआ था। कई देशों में तो हिंदू देवी-देवताओं के चित्र के साथ •ाी •ाद्दा मजाक होता रहा है। अमेरिकी चैनल एनबीसी के एक शो में •ागवान गणेश की सूंड़ का मजाक उड़ाए जाने पर हिंदू समुदाय काफी नाराज हुए थे। रात के शो में हॉलिवुड ऐक्टर जिम कैरी •ागवान गणेश की सूंड़ को ड्रामेटिक इफेक्ट से सेक्शुअल आॅर्गन की तरह दिखाकर इसका मजाक उड़ाते नजर आए थे।
•ाारतीय सेना की खिल्ली : चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से संबद्ध अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने •ाारतीय सेना पर अप्रिय टिप्पणियां की हैं। एक तरफ तो •ाारतीय सेना को ‘एशिया में सर्वाधिक सक्रिय’ बताकर इशारे से कहा गया है कि •ाारत के इरादे आक्रामक हैं और दूसरी तरफ इसे बुजदिल बताया गया है, क्योंकि •ाारतीय सैनिकों को ‘युद्धबंदी बनने में शर्म नहीं आती।’ हालांकि ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने 1962 में •ाारत पर चीन के हमले का सीधा जिक्र नहीं किया है, मगर इशारा बहुत साफ है।
आपसी संबंधों का मजाक : हाल के वर्र्षों में •ाारत-अमेरिका संबंधों में प्रगाढ़ता देखने को मिली है। जब-तब सार्वजनिक मंचों पर दोनों देश के नुमाइंदे इसका जिक्र •ाी करते हैं, मगर सच्चाई इससे अलग है। बहुत ज्यादा समय नहीं बीता, जब आतंकवाद पर दोहरे मापदंड का नमूना पेश करते रहे अमेरिका की कथनी और करनी में फर्क का एक और बड़ा खुलासा हुआ था। संयुक्त राष्टÑ सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सदस्यता के •ाारत के दावे पर मुहर लगाकर अमेरिकी राष्टÑपति बराक ओबामा अमेरिका लौटे, मगर उनकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन की राय इस मामले में ठीक उनके विपरीत ही रहीं। ‘विकिलीक्स’ के पिटारे से निकले इस खुलासे ने यूएनएससी सुधार को लेकर •ाारत की मुहिम पर अमेरिका के दोहरे मापदंड को बेनकाब कर दिया है। इसके अनुसार, पिछले साल 31 जुलाई को क्लिंटन ने •ाारत समेत 33 मुल्कों में तैनात अमेरिकी राजदूतों को टेलीग्राम •ोजकर संयुक्त राष्टÑ सुधारों को अहम मुद्दा बताया था और कहा था कि स्थायी सदस्यता की दौड़ में •ाारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान खुद ही अपने को प्रमुख दावेदार बता रहे हैं। इस खुलासे से •ाारतीय खेमे में खलबली मचनी स्व•ााविक थी, मगर •ाारतीय विदेश राज्यमंत्री प्ररणीत कौर का बयान देखें- ‘विकिलीक्स के खुलासों से जुड़ा मुद्दा बेहद संवेदनशील है। टिप्पणी का यह उपयुक्त समय नहीं है। हमें और प्रतीक्षा करनी चाहिए।’
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