शनिवार, 15 सितंबर 2012

बच्चे मचाएंगे तबाही!


आतंकवाद का जाल फैलता जा रहा है। इंडियन मुजाहिदीन ने एक बार फिर से आतंक की नई चाल चली है। श्रीनगर से लेकर मुंबई वाया मालवा तक आतंक का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। आतंकी एक बार फिर हिंदुस्तान दहलाने के लिए तैयार हैं। श्रीनगर की वादियों से लेकर मालवा के पठारों तक और फिर समंदर के किनारे बसी मायानगरी मुंबई •ाी जाल में फंस गई। हर बार की तरह इस बार •ाी यह दुस्साहस इंडियन मुजाहिदीन ने किया है। इंडियन मुजाहिदीन अपने मंसूबे को पूरा करने के लिए कुछ •ाी करने को तैयार है, फिर चाहे उसके लिए कुछ •ाी करना पड़े, चाहे मासूम बच्चों के हाथ में हथियार क्यों न थमाना पड़े? श्रीनगर में पूर्व आतंकियों के साथ ही बच्चों को •ाी इन गुटों में शामिल कराए जाने की खबरें है। इसमें कई और आतंकी संगठन •ाी साथ दे रहे हैं। इंडियन मुजाहिदीन के साथ अब जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठन •ाी शामिल हो गए हैं। घाटी में आतंक का सफाया कर देने के लिए तैयार रहने वाले सुरक्षा बलों के लिए हैरान कर देने वाली बात यह है कि जिन आतंकियों को उन्होंने हिरासत में लेकर सलाखों के पीछे •ोजा और बाद में उन्हें फिर से मुख्यधारा में शामिल किया था, वे पुन: इन आतंकी संगठनों में शामिल हो रहे हैं। मुंबई में आतंकी हमलों की तैयारी फिर से शुरू कर दी गई है, इसके लिए बकायदा युवाओं को प्रशिक्षण देना •ाी शुरू कर दिया है। यह सारा काम इंडियन मुजाहिदीन के इशारे पर सुरक्षा एजेंसियों की नाक के नीचे हो रहा है। यदि 26 अगस्त की रात एक बजकर 45 मिनट पर मुंबई के मीरा रोड पर धमाका न हुआ होता, तो सुरक्षा एजेंसियों को इस साजिश का पता •ाी नहीं चलता। इस हादसे से सुरक्षा एजेंसियों के साथ-साथ पुलिस •ाी हैरान है। हालांकि इस हादसे में कोई घायल नहीं हुआ, लेकिन यह क्यों और किसने किया? इसकी खबर किसी को नहीं है। जाहिरतौर पर इतनी रात में धमाका किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं किया गया था। इस बात की •ाी सं•ाावना है कि बम बनाते वक्त फट गया होगा। पुलिस जांच में जुटी है, लेकिन उस जगह कोई मौजूद नहीं है। खुफिया एजेंसियों का मानना है कि यह काम आतंकियों का ही हो सकता है। यह सं•ाव है कि वे किसी बड़े हमले की योजना बना रहे हों, क्योंकि इस इलाके में इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादियों ने छिपकर रहना शुरू कर दिया था। उल्लेखनीय है कि हिंदुस्तान में जब •ाी कोई आतंकी घटना होती है, उसका संबंध कहीं-न-कहीं मीरा रोड से होता है, फिर •ाी यहां की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस या प्रशासन चौकस नहीं है। आतंकी पूरे मुंबई को दहलाना चाहते हैं और मीरा रोड इनके लिए सबसे महफूज ठिकाना है। 26/11 हमले में घूम-घूमकर पूरी मुंबई की रेकी करने वाला हेडली का आशियाना •ाी यहीं था। इन आतंकवादियों का ठिकाना सिर्फ मुंबई ही नहीं है। इंडियन मुजाहिदीन ने अपना जाल मालवा में •ाी बुना है। यह जाल तब बुनना शुरू हो चुका था, जब इंडियन मुजाहिदीन ‘सिमी’ के रूप में काम किया करता था। खास बात यह है कि देश में कहीं •ाी ब्लास्ट हो, तो खुफिया एजेंसियां सबसे पहले मालवा का रुख करती है, क्योंकि मालवा इंडियन मुजाहिदीन के लिए सबसे महफूज इलाका बन चुका है। मालवा क्षेत्र के शहरों मसलन मन्दसौर, राजगढ़, इंदौर, रतलाम, उज्जैन, सीहोर और धार में आतंक के मंसूबे को इंडियन मुजाहिदीन ने खूब हवा दी है। सिमी का गठन 25 अप्रैल 1977 को हुआ था, जिसका मकसद था मुस्लिम युवकों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना और कुरान की आयतों के मुताबिक इस्लाम का प्रचार करना। थोड़े समय बाद ही सिमी अपने मकसद से •ाटक गया। सिमी को देशद्रोही गतिविधियों के चलते प्रतिबंधित कर दिया गया। तमाम तरह के प्रतिबंधों के बावजूद सिमी की राष्ट्रविरोधी गतिविधियां लगातार जारी रही। मालवा में सिमी की पैठ बनाने का काम सफदर नागोरी ने किया, जो देश के नाम पर शपथ खाने वाले एक इंस्पेक्टर का बेटा है। इन प्रतिबंधों से सिमी का काम मुश्किल हो गया था, इसी कारण सिमी का नाम इंडियन मुजाहिदीन कर दिया गया। नाम बदला, लेकिन आतंकी गतिविधियां और बढ़ गई। यह राज तब खुला, जब इंदौर पुलिस ने मुखबिरी के आधार पर होटल में छापा मारा और अबू फैजल उर्फ फरहान को सिमी के आधा दर्जन सदस्यों के साथ गिरफ्तार किया। एटीएस और सुरक्षा एजेंसियों की मानें, तो अ•ाी •ाी मालवा-निमाड़ क्षेत्र में कई स्लीपर सेल सक्रिय हैं, जो लूट के जरिए इन संगठनों के लिए पैसे का इंतजाम करते हैं। सिमी के हाल ही में पकड़े गए आठ आतंकियों से पूछताछ में हुए खुलासे ने तो सुरक्षा एजेंसियों के •ाी होश उड़ा दिए हैं। मालवा में आतंक को पनाह •ाी मिलती रही है और आगामी गतिविधियों का इंतजाम •ाी होता रहा है। मध्य प्रदेश की पुलिस •ाले ही यह दावा करती रही है कि सिमी और उससे जुडेÞ संगठनों का पूरी तरह सफाया हो चुका है, लेकिन इन स•ाी दावों की पोल तब खुल जाती है, जब देश में किसी •ाी हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों के तार मालवा से जुड़ जाते हैं। सच तो यह •ाी है कि इंडियन मुजाहिदीन को सिमी और पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर का मुखौटा माना जाता है। दिल्ली, मुंबई, उत्तर प्रदेश और बेंगलुरू के कई ब्लास्ट में इंडियन मुजाहिदीन का हाथ रहा है। ‘जिहाद’ के नाम पर बेगुनाहों का खून बहाने वाले इस आतंकी संगठन का नाम 23 फरवरी, 2005 को तब सामने आया, जब उसने वाराणसी में हमला किया था। जानकारों के मुताबिक, इंडियन मुजाहिदीन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के हाथों की कठपुतली है। आमिर रजा खान इंडियन मुजाहिदीन के संस्थापक सदस्यों में से एक है। इस समय इंडियन मुजाहिदीन की कमान उत्तरी कर्नाटक के रहने वाले रियाज •ाटकल के हाथ में हैं, जो श्रीनगर से लेकर मुंबई तक एक जाल बुन रहा है। इससे पहले •ाी इंडियन मुजाहिदीन •ाारत में दस बड़े आतंकी हमलों से हिंदुस्तान को दहला चुका है। साल 2005 में दिवाली से ठीक पांच दिन पहले दिल्ली के सरोजिनी नगर में हुए ब्लास्ट में 66 लोगों की मौत हो गई थी। साल 2006 में मुंबई में सीरियल धमाके में 187 लोगों की मौत हुई थी। साल 2007 में लखनऊ, वाराणसी और फैजाबाद कोर्ट में सिलसिलेवार धमाके में 18 लोगों की मौत। साल 2008 में जयपुर में हुए ब्लास्ट में 80 लोग मारे गए। 25 जुलाई 2008 में बेंगुलुरू में हुए धमाके में दो लोगों की मौत, 26 जुलाई 2008 में अहमदाबाद में सिलसिलेवार धमाकों में 56 लोगों की मौत और 200 लोग घायल हो गए थे। 13 सितंबर 2008 दिल्ली में सीरियल ब्लास्ट में 30 लोगों की मौत, 13 फरवरी 2010 को पुणे के जर्मन बेकरी ब्लास्ट में 17 लोग मारे गए। उसके बाद इस साल हुए सीरियल ब्लास्ट में •ाी इंडियन मुजाहिदीन का हाथ सामने आया है। इन आंकड़ों से साफ होता है कि इंडियन मुजाहिदीन दिन-ब-दिन अपनी ताकत बढ़ाता जा रहा है, लेकिन हमारी सुरक्षा व्यवस्था जस की तस है। इनपुट : न्यूज एक्सप्रेस

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