मंगलवार, 22 मई 2012

.अब जेलर करेंगे कैदी को सैल्यूट

एक पुरानी कहावत है, दिन धरावे तीन नाम। कुछ ऐसा ही है राजा भैया के संग। जिन जेलों में वह सजायाफ्ता कैदी रह चुके हैं, वहां के जेलर अब उनके चौखट पर शीश झुकाएंगे। हाय रे किस्मत... कुछ ऐसा ही है भारतीय लोकतंत्र। जहां कुछ भी हो सकता है। चुनावी गणित किसी को रंक तो किसी को राजा बना सकता है। कुछ भी पहले से तय नहीं। कब उल्टी गंगा बहने लगे, कह नहीं सकते। अब, उत्तरप्रदेश के मंत्री राजा भैया को ही ले लें। वर्षों जेल में रहे, अब जेलर सलामी ठोकेंगे। हाय रे किस्मत। मंत्री तो बन गए, पर जेल से नाता नहीं टूटा। रघुराज प्रताप सिंह का। इस नाम से इन्हें कम लोग जानते हैं। राजा भैया के नाम से जगप्रसिद्ध हैं। बड़े-बड़े आरोपों के चक्कर में कई दफा जेल जा चुके राजा भैया के खाते में एक बार फिर जेल ही आया। उत्तरप्रदेश के नए मंत्रिमण्डल में उन्हें मंत्रिपद मिला और जेल का मंत्रालय सौंपा गया। अब बतौर मंत्री उत्तर प्रदेश की सेवा करेंगे और इनकी सेवा का क्षेत्र होगा जेल। कई संगीन मामलों में आरोपी होने के चलते जेल जा चुके राजा भैया यूपी के नए जेल मंत्री हैं। पोटा और गैंगस्टर एक्ट समेत कई संगीन मामलों में आरोपी रहे कुंडा के निर्दलीय विधायक राजा भैया मुलायम सिंह की सरकार में साल 2005 में भी मंत्री रह चुके हैं। शपथ ग्रहण के बाद बतौर सीएम अखिलेश यादव ने कहा था कि राजा भैया के खिलाफ सभी मुकदमे राजनीतिक साजिश के तहत दर्ज किए गए हैं। राजा भैया के खिलाफ 45 आपराधिक मुकदमे लंबित हैं। हालांकि, पोटा के आरोपों से वे बरी हो गए हैं। दिसंबर 2010 में एक स्थानीय नेता ने निकाय चुनावों के दौरान राजा भैया और एक सांसद, एक विधायक और एक विधान परिषद सदस्य समेत 13 लोगों के खिलाफ जान से मारने की कोशिश का मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में राजा भैया को गिरफ्तार करके उनके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया। इससे पहले साल 2002 में भाजपा विधायक पूरन सिंह बुंदेला ने उन पर अपहरण करने का आरोप लगाया। कुंडा विधानसभा सीट पर राजा भैया की निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर यह लगातार पांचवी जीत है। वह अपने क्षेत्र में कई स्कूल और कॉलेज चलाते हैं, जिससे स्थानीय लोगों में उनकी पैठ मजबूत हो गई है। कुंडा रियासत के भदरी घराने से आने वाले राजा भैया जेल में रहकर सजा भी काट चुके हैं। राजा भैया का जन्म 1969 में हुआ। इनके पिता उदय प्रताप सिंह हैं। दादा राजा बजरंग बहादुर सिंह पंत नगर यूनिवर्सिटी के फाउंडर वाइस चांसलर थे। बाद में वह हिमाचल प्रदेश के पहले राज्यपाल बने। राजा भैया दून स्कूल से शिक्षा ग्रहण करने के बाद, लखनऊ यूनिवर्सिटी से स्नातक की शिक्षा ली। वह अपने खानदान के पहले व्यक्ति थे, जिसने राजनीति में कदम रखा। 1993 में हुए विधानसभा चुनाव से कुंडा की राजनीति में कदम रखने वाले राजा भैया को उनकी सीट पर अभी तक कोई हरा नहीं सका है। उनसे पहले कुंडा सीट पर कांग्रेस के नियाज हसन का डंका बजता था। हसन 1962 से लेकर 1989 तक कुंडा से पांच बार विधायक चुने गए। राजा भैया 1993 और 96 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी समर्थित, तो 2002 और 2007 के चुनाव में सपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधायक चुने गए। राजा भैया, भाजपा की कल्याण सिंह सरकार और सपा की मुलायम सिंह सरकार में भी मंत्री बने। मुलायम सरकार में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री बनने के बाद उन्हें जेड-श्रेणी की सुरक्षा भी मिल चुकी है। राजा भैया की छवि एक ऐसे शख्स के रूप में है जो तत्काल न्याय दिलाता है। उनके गांव में एक तालाब है, जिसमें कई मगरमच्छ हैं। इस तालाब की तलाशी में कई साल पहले इंसानी और जानवरों की हड्डयिां भी मिलने की बात सामने आई थी। राजा भैया का आपराधिक इतिहास रहा है। वह अब भंग हो चुके पोटा कानून के तहत जेल में रहे हैं और उनके घर पर रेड मारने वाले पुलिस आॅफिसर की हत्या के आरोपी हैं। संदेहास्पद परिस्थिति में पुलिस अधिकारी की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। सीबीआई अभी भी इस मामले की जांच कर रही है। इसके अलावा भी उनके खिलाफ मुकदमों की लंबी लिस्ट है। इस विधानसभा चुनाव के दौरान राजा भैया ने चुनाव आयोग में जो हलफनामा जमा किया है, उसके मुताबिक उनके खिलाफ लंबित आठ मुकदमों में हत्या की कोशिश, अपहरण और डकैती के मामले भी शामिल हैं। उत्तर प्रदेश गैंगेस्टर ऐक्ट के तहत भी उनके खिलाफ मामला चल रहा है। साल 2002 में भाजपा के विधायक पूरन सिंह बुंदेला ने अपहरण और धमकाने का आरोप लगाते हुए राजा भैय्या के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के आदेश पर राजा भैया को 2 नवंबर की रात तीन बजे उनके घर से गिरफ्तार कर लिया गया। मायावती सरकार ने राजा भैया पर पोटा लगाया। साल 2003 में फिर से सूबे में मुलायम सिंह की सरकार आई और सरकार आने के 25 मिनट के भीतर ही राजा भैया से पोटा संबंधी आरोप हटा दिए गए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने बाद में सरकार को पोटा हटाने से रोक दिया। 2004 में राजा भैया पर से पोटा आखिरकार हटा लिया गया। वर्तमान में उत्तरप्रदेश के नए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी कह दिया है कि राजा भैया पर राजनीतिक साजिश के तहत आरोप लगाए गए हैं। ऐसे में माना जा सकता है कि मंत्रीपद मिलने के बाद सबकुछ एडजस्ट हो जाएगा। कहीं, इसी एडजेस्टमेंट के तहत उन्हें जेल का महकमा तो नहीं दिया गया है। यह सवाल कई लोगों के जेहन में है। परिचय नाम : रघुराज प्रताप सिंह चर्चित नाम : राजा भैया पिता : उदय प्रताप सिंह दादा : राजा बजरंग बहादुर सिंह, हिमाचल प्रदेश के पहले राज्यपाल जन्म : 1969 व्यवसाय : राजनीति चर्चा में : पोटा और गैंगस्टर एक्ट को लेकर। 45 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज। मंत्री बनने के बाद भी उम्र विवाद का साया। रिकॉर्ड : कुंडा विधानसभा सीट पर लगातार पांच बार निर्दलीय विधाय

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