आज की तारीख में यह सवाल उठता है कि भारत को अस्थिर करने के लिए चीन कभी भी कैसे भी कदम उठाने से नहीं चूकता है उसी कदम में ताज़ा प्रकरण करमापा लामा के रूप में देखा जा सकता है ? जिस तरह से अत्यधिक सुरक्षा वाली चीनी सीमा से पार होकर करमापा भारत आ गए थे तब भी कुछ लोगों को यह संदेह हुआ था कि आखऱि बिना चीन के सहयोग के कोई किस तरह से इधर आ सकता है ? अभी तक तो केवल यही चल रहा था कि पाक आतंकियों को इसी तरह से घुसपैठ करके भारत भेजता रहता था. करमापा को भारत ने जितना सम्मान दिया और अगर उसके बाद भी उन्होंने चीन के एजेंट की तरह ही काम किया होगा तो यह पूरे तिब्बत के लिए बहुत ही दुखद घटना होगी क्योंकि भारत ने अपना बहुत नुकसान हो जाने के बाद भी तिब्बत पर अपनी नीति से हटने से मना कर दिया था। चर्चा इसको लेकर भी हो रही है कि चीन का जासूस होने का आरोप झेल रहे तिब्बती बौद्ध धर्म गुरु करमापा उग्येन दोरजे के पास कोई कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए कोई राजनयिक विशेषाधिकार है और भारतीय कानूनों के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
दरअसल, हिमाचल प्रदेश में करमापा के मठ और दिल्ली के मजनू का टीला से 23 देशों की मुद्राओं में करीब 7 करोड़ रुपये की रकम बरामद की गई है। इस बरामदगी के बाद शक जताया जा रहा है कि करमापा के तार चीन से जुड़े हो सकते हैं। उधर, करमापा के कार्यालय की ओर से साफ किया गया है कि करमापा कानूनी कार्रवाई में सहयोग करने के लिए तैयार हैं। केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने कहा, 'भारत तिब्बत की सरकार को मान्यता नहीं देता है तिब्बत की किसी निष्कासित सरकार को भारत मान्यता नहीं देता है। भारत धर्मशाला में तिब्बतियों की सरकार को दलाई लामा का एक ब्यूरो भर मानता है। भारत के लिए तिब्बती शरणार्थी हैं, उनके पास कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए कोई अधिकार नहीं हैं। अधिकारी ने कहा कि कानून अपना काम करेगा।' हालांकि कोर्ट के एक आदेश के मुताबिक 1985 से पहले जन्मे तिब्बती शरणार्थी भारतीय नागरिकता ले सकते हैं। भारत सरकार ने साफ किया है कि करमापा दलाई लामा के संभावित उत्तराधिकारियों में से एक हैं, लेकिन अभी उन्हें चुना जाना बाकी है। वहीं, एक अन्य अधिकारी का कहना है कि भारत तिब्बती धर्मगुरुओं को धार्मिक नेता ही मानता है, इसलिए उनके साथ वही बर्ताव किया जाएगा तो भारतीय धर्मगुरुओं के साथ किया जाता है। केंद्र सरकार ने करमापा उग्येन दोरजे के हिमाचल प्रदेश स्थित अस्थायी आवास से करोड़ों रुपए की विदेशी मुद्रा बरामद होने पर गंभीर चिंता जताई है। सरकार को संदेह है कि संभवत: करमापा चीन के लिए एजेंट के रूप में काम कर रहा था। केंद्र सरकार इस मामले की जांच करेगी। इस संबंध में करमापा से पूछताछ भी हो सकती है और उन पर मुकदमा भी चलाया जा सकता है।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि दोरजे के चीन से संबंध स्पष्ट हैं। 17वें करमापा को हमेशा से ही चीन का आदमी माना जाता रहा है। चीन हिमालय सीमा लद्दाख से तवांग पर स्थित सभी बौद्ध मठों पर अपने नियंत्रण का प्रयास करता रहा है और करमापा उसकी मदद करता आया है। सूत्रों के मुताबिक करमापा पहले चीन में रहता था और फिर भारत आया था। उस पर काफी पहले से ही संदेह रहा है। करमापा की गतिविधियों को लेकर भी संशय रहा है क्योंकि यह देखा गया कि वह धार्मिक भावनाओं की आड़ लेकर चीन का एंजेडा चला रहा था। सूत्रों के मुताबिक खुफिया एजेंसियों ने करमापा पर काफी समय से नजर रखी हुई थी।
करमापा उग्येन त्रिनले दोरजे को उनके सिद्धबाड़ी स्थित अस्थायी निवास पर अघोषित नजरबंद कर दिया गया है। ग्यूतो तांत्रिक विवि सिद्धबाड़ी स्थित करमापा के कार्यालय व आवास के बाहर सशस्त्र पुलिस बल तैनात किया गया है। पुलिस करमापा सहित उनके अन्य प्रमुख सहयोगियों से किसी भी समय पूछताछ कर सकती है। उधर, शुक्रवार को दलाईलामा कर्नाटक के लिए रवाना हो गए। करमापा को भारत ने सामान्य तिब्बती की तरह शरण दे रखी है। ऐसे में सशस्त्र पहरे के कदम को अलग नजर से देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा का समर्थन हासिल कर चुके करमापा उग्येन त्रिनले दोरजी से पुलिस ने पूछताछ की, जबकि उनके द्वारा समर्थित एक ट्रस्ट के कार्यालयों से 7.5 करोड़ रुपये मूल्य की विदेशी मुद्रा जब्त किए जाने के सिलसिले में दो और लोगों को गिरफ्तार किया गया है। करमापा ने चीन के साथ किसी तरह के संबंध होने की बात से इनकार करते हुए कहा है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप निहायत काल्पनिक और बेबुनियाद हैं। राज्य के पुलिस अधिकारियों की एक टीम ने सिधबारी स्थित गयुतो मठ में करमापा से 50 सवाल पूछे, लेकिन उन्होंने विदेशी मुद्रा और वहां से बरामद दस्तावेजों से पूर्ण अनभिज्ञता जताई। पुलिस ने कहा कि उन्होंने करमापा को धन की बरामदगी और मठ के कामकाज से जुड़े प्रश्न पूछे, लेकिन उन्होंने इस घटनाक्रम से पूरी तरह से खुद को अलग करते हुए कहा कि ट्रस्ट का कामकाज शक्ति लामा और गोम्पु शेरिंग देखते हैं और उनकी भूमिका सिर्फ धार्मिक प्रमुख के रूप में शिक्षा देने की है। पुलिस महानिरीक्षक पीएल ठाकुर के अनुसार, उना के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक केजी कपूर के नेतृत्व में एक टीम ने अंग्रेजी में करमापा से प्रश्न पूछे, जिसका जवाब उन्होंने एक दुभाषिये के जरिये दिया। जांच कार्य जारी है तथा और अधिक सूचना मिलने के बाद करमापा से दोबारा पूछताछ की जा सकती है। करमापा ने सभी आरोपों का खंडन किया और कहा कि यह धन श्रद्धालुओं ने दान में दिया था, जो समूची दुनिया से आते हैं और ट्रस्ट से जुड़े हैं। धर्मशाला आधारित व्यवसायी केपी भारद्वाज के आवास और होटल पर छापा मारने के बाद उन्हें और कॉरपोरेशन बैंक के अंबाला शाखा के प्रबंधक डीके धर को शनिवार रात गिरफ्तार कर लिया गया। इस संबंध में भारद्वाज से पूछताछ के दौरान कुछ सुराग हाथ लगे हैं।
दूसरी तरफ करमापा 17 वें करमापा उग्येन त्रिनले दोरजी पर कार्रवाई से सिक्किम में उनके अनुयायी मायूस हैं। करमापा अवतार होने के दो अन्य दावेदार थाई दोरजी व दावा जांगपो के विरोध के बावजूद उग्येन त्रिनले दोरजी के समर्थन में राज्य के ज्यादातर बौद्ध धर्मानुयायी उठ खड़े हुए हैं। इसमें राज्य के अन्य बौद्ध सम्प्रदायों निंगमापा, गेलुकपा व साक्यापा के गुम्पा मठ , खुलकर सामने आए। राज्य के प्रमुख गुम्पा उत्तरी सिक्किम स्थित फूदोंग,ल्हाचूंग.ल्हाचेन व पश्चिम सिक्किम स्थित पेमायांगची व टासिडिंग गुम्पा ने करमापा के मठ के खिलाफ पुलिस कार्रवाई का विरोध किया है। करमापा स्वागत समिति के प्रवक्ता केएन तोबदेन का कहना है कि पुलिस कार्रवाई के बावजूद करमापा के प्रति हमारी आस्था में कमी नहीं आई है। हम उन्हें रूमतेक गुम्पा के रिक्त गद्दी पर बैठाने का प्रयास जारी रखेंगे। हमारी कमेटी केंद्र सरकार से उन्हें सिक्किम में प्रवेश की इजाजत देने की मांग पर अडिग है। आवश्यकता पड़ी तो उनके समर्थन में सिक्किम में रैली निकलेगी। पूर्वी सिक्किम रूमतेक स्थित करमापा के निर्वासित मुख्यालय धर्मचक्र केंद्र व गुम्पा में उग्येन त्रिनले दोरजी की प्रतिमा की रोज पूजा अर्चना होती है। इन दिनों इसकी जिम्मेदारी गोशिर ग्यालसाप रिमपोचे पर है। गुम्पा की संपत्ति का हिसाब.किताब करमापा रिगपे दोरजी अर्थात करमापा ट्रस्ट के नाम पर होता है। इसमें रूमतेक गुम्पा के तीन व राज्य सरकार के धर्म मामलों के विभाग के एक अधिकारी सचिव सदस्य के रूप में है।
उल्लेखनीय है कि करमापा के अवतार होने की दावेदारी के चलते वर्ष1993 से विधि व्यवस्था बनाए रखने के लिए रूमतेक गुम्पा में केंद्रीय अर्द्ध सैनिक बल आइटीबीपी को तैनात किया गया है। अनुयायियों व घरेलू पर्यटकों को पूजा अर्चना के लिए गुम्पा के द्वार हमेशा खुले रहते हैंए लेकिन करमापा के अवतार के तीनों दावेदारों को उसमें प्रवेश की अनुमति केंद्र सरकार ने नहीं दी है।
सच तो यह भी है कि करमापा के तिब्बतियों के अध्यात्मिक गुरु होने के कारण भारत ने उन्हें भी पूरी सुविधाएँ और सहयोग प्रदान किया है पर जिस तरह से उनके यहाँ से करोड़ों रूपये की विदेशी मुद्रा की बरामदगी जारी है उससे कहीं न कहीं यह पैसा हवाला या अन्य माध्यमों से लाया लगता है उससे तो यही कहा जा सकता है कि कहीं न कहीं करमापा लामा की गतिविधियाँ संदिग्ध प्रतीत होने लगती हैं ? अब यह आवश्यक है कि इस मसले पर पूरी पारदर्शिता के साथ काम किया जाए क्योंकि यह मामला चीन से जुड़ा होने के कारण बहुत ही संवेदन शील हो चुका है और हिमाचल सरकार या केंद्र सरकार इसे केवल धार्मिक मुद्दा मानकर नहीं चल सकती है ? अब समय आ गया है कि इस तरह से चलने वाले किसी भी धार्मिक, सामाजिक या अन्य गतिविधियों के धन और दान पर पूरी नजऱ रखने के लिए एक ठोस निगरानी तंत्र को विकसित किया जाए। भारतीय धर्म गुरु भी जिस तरह से पूरी दुनिया में घूमते रहते हैं उसके बाद उनके धन के लें दें पर निगरानी रखनी बहुत आवश्यक हो गयी है।
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