गुरुवार, 15 जनवरी 2015

क्यों किरन की हुई भाजपा ?


देष ही पहली आईपीएस अधिकारी और सामाजिक सरोकारों से जुड़ी रहने वाली तेज-तर्रार महिला किरन बेदी भारतीय जनता पार्टी की झंडा के नीचे आ गई। बीते कई वर्षों से राजनीति और किरन बेदी के बीच मानो लुकाछिपी का खेल चल रहा था। किरण बेदी आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और गांधीवादी नेता अन्ना हजारे की सक्रिय सहयोगी रह चुकी हैं। केजरीवाल के राजनीतिक पार्टी बनाए जाने से खफा होकर उन्होंने अरविंद का साथ छोड़ दिया था। इसके बाद उन्होंने कई मौकों पर आप की जमकर खिंचाई भी की।

सूर्य ने अपनी गति बदली। मकर संक्रांति के दिन जैसे ही सूर्य उतरायण हुआ, कुछ ही घंटों बाद पूर्व आईपीएस अधिकारी किरन बेदी भगवाई हो गई। भगवा यानी भाजपा। विरोधी राजनीतिक दल तो कम से कम भाजपा को इसी नाम से आपसी चिरौरी में पुकारते हैं। 11, अषोक रोड पर भाजपा मुख्याल में भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह पार्टी के दिल्ली प्रभारी प्रभात झा और केंद्रीय मंत्री और बड़े रणनीतिकार अरुण जेटली की मौजूदगी में भाजपा का सदस्य बनाया। सीधे तौर पर अमित षाह ने ऐलान भी कर दिया कि किरन बेदी के आने से भाजपा की दिल्ली यूनिट को मजबूती मिलेगी। वहीं, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि किरन बेदी की एक विश्वसनीय छवि है और क्रूसेडर के रूप में उनका करियर रहा है और इससे पार्टी को काफी शक्ति मिलेगी।
भला इस मौके को किरन बेदी कैसे जाने देती ? मीडियाकर्मी भी तो किरन बेदी की बात सुनने को बेताब थे। लिहाजा, किरन बेदी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह का विश्वास मुझ पर जताया है, उसके लिए मैं आभारी हूं। मैं मोदी के प्रेरक नेतृत्व की वजह से आज यहां हूं। अपने 40 साल का अनुभव दिल्ली और देश को समर्पित करने आई हैं। दिल्ली को अब मैं अपना पूरा समय दूंगी। दिल्ली को आज स्थायी सरकार की जरूरत है। मुझे काम करना आता है और मुझे काम करवाना भी आता है। पब्लिक और सिटिजन्स को प्रशासन से जोड़ा जाएगा। पुलिस में अपने कार्यकाल के दौरान भी मैंने ऐसा ही किया। मैं अब मिशन मोड में हूं। हम दिल्ली को हिंदुस्तान का दिल बनाएंगे। भाजपा ने मुझे इसका मौका दिया है कि मेरे पास जो है, वह मैं अपने देश को दे सकूं।
उल्लेखनीय है कि किरण बेदी भारत की पहली महिला पुलिस आईपीएस अधिकारी हैं। उन्होंने स्वेच्छा से रिटायरमेंट लेने के पश्चात समाज सेवा में भूमिका निभाने का निर्णय लिया। किरण बेदी ने 1972 में पुलिस सर्विस को ज्वाइन किया। उन्होंने ईमानदारी से ड्यूटी करते हुए समाज को नई दिशा दिखाने का प्रयास किया। 27 नवबंर 2007 में उन्होंने स्वेच्छा से रियाटरमेंट लेने के बाद किरण बेदी समाज सेवा में जुट गई। लोकपाल बिल को लेकर शुरू किये गये आंदोलन में उन्होंने समाज सेवक अन्ना हजारे व अरविंद केजरीवाल के साथ धरने प्रदर्शनों में हिस्सा लिया। इसके बाद उन्हें कुछ घंटों के लिए हिरासत में भी लिया गया। किरन बेदी अरविंद केजरीवाल की सहयोगी रही हैं। उन्होंने अन्ना के जनलोकपाल आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी लेकिन जब अरविंद केजरीवाल ने राजनीतिक पार्टी बनाने का ऐलान किया तो उन्होंने खुद को दूर कर लिया। किरन बेदी के भाजपा में शामिल होने की चर्चा पिछले दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान भी चली थी, लेकिन तब बात सिर नहीं चढ़ पाई थी। कई बार किरन बेदी को भाजपा की ओर से दिल्ली के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने की भी खबरें उड़ीं, लेकिन अब तक ऐसा कुछ हुआ नहीं था। अरुण जेटली ने भी कहा कि जब भी दिल्ली में चुनाव हुए इस तरह की अटकलें लगाई गईं। 
हालांकि, सवाल आज भी हैं। क्या किरन बेदी को भाजपा दिल्ली में किस विधानसभा से प्रत्याषी बनाएगी ? क्या भाजपा किरन बेदी को बतौर मुख्यमंत्री उम्मीदवार प्रोजेक्ट करेगी ? या फिर दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को लेकर दांव खेलेगी और उसके बाद हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड की तर्ज पर बाद में मुख्यमंत्री घोषित करेगी? असल में भाजपा किरन बेदी को दिल्ली में ‘आप’ नेता अरविंद केजरीवाल का तोड़ मानकर चल रही है। इसकी एक वजह यह भी मानी जा रही है कि पार्टी नेतृत्व किरन बेदी को बड़ा रोल देने से पहले दिल्ली भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का मन टटोलना चाहता है। किरन बेदी को लेकर पार्टी में वरिष्ठ नेताओं में असंतोष भी उभर सकता है। माना तो यह भी जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी किरन बेदी की भूमिका पर सस्पेंस बनाए रखकर आम आदमी पार्टी को आखिरी समय तक उलझाए भी रखना चाहती है।



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