कहावत है, माणिक की दलाली में हीरा मिलता है और कोयले की दलाली में मुंह काला होता है। इस मुंह काले करने के एवज में करोड़ों रुपये मिलते हैं अब। सुनकर चौंकिए मत। सच्चाई यही है आज की। केंद्र की यूपीए सरकार की। हालांकि मुकम्मल तौर पर यह कहा नहीं जा सकता कि कोयला घोटाला कितने रुपये का है? सरकार की माने तो अ•ाी यह साबित होना •ाी शेष है कि वास्तव में घोटाला हुआ •ाी या नहीं? बहरहाल, सीएजी की प्राथमिक रिपोर्ट ने इस ओर इशारा तो कर ही दिया है।
"•ाारत निर्माण" का ढ़िढोरा पीटने वाली यूपीए सरकार को इतना तो पता चल ही गया है कि एक और 'नीतिगत निर्णय' के कारण देश को अरबों का चूना लग चुका है। सीएजी के अनुसार देश को 10.67 लाख करोड़ रुपये का नुक्सान हुआ है। सीएजी की रिपोर्ट जिसका संबंधित समाचार एक अंग्रेजी दैनिक ने छापा है, कहती है कि कोयले जैसे प्राकृतिक संसाधन को नीलाम न करवा कर और उसे ऐसे ही निजी एवं सार्वजानिक क्षेत्र की कंपनियों को सस्ते दामों पर दे देने से देश को इतना बड़ा नुक्सान हुआ। वर्ष 2004 से 2009 के बीच बेचे गए कोयले के ब्लॉकों से हुई है यह हानि। ला•ा उठाने वालों में लग•ाग 100 निजी उपक्रम हैं। 10.67 लाख करोड़ की ये राशि 2-जी घोटाले की राशि की 6 गुनी है। यह अनुमान सस्ते कोयले पर लगाया गया है न कि माध्यम दर्जे के कोयले पर। माध्यम कीमतों पर अनुमान लगाया जाए तो यह राशि राशि और अधिक होग्ी। यह राशि •ाारत के जीडीपी के 12 प्रतिशत से •ाी अधिक है। सीएजी रिपोर्ट के अनुसार निजी क्षेत्र के उपक्रमों को लग•ाग 4.79 लाख करोड़ का ला•ा हुआ है और 5.88 लाख सार्वजानिक क्षेत्र के उपक्रमों को गया है। ला•ाान्वितों में टाटा ग्रुप, जिंदल स्टील एंड पावर, इलेक्ट्रो स्टील, अनिल अग्रवाल ग्रुप, •ाूषण पावर एंड स्टील, जायसवाल नेको, अ•िाजीत ग्रुप, आदित्य बिड़ला ग्रुप, एस्सार ग्रुप, अदानी ग्रुप, आर्सेलर मित्तल, लैंसो ग्रुप आदि शामिल हैं।
सीएजी की ड्राफ्ट रिपोर्ट की खबर जैसे ही अखबार में छपी, सड़क से लेकर संसद तक राजनीतिक बहस तेज हो गई। रिपोर्ट का राजनीतिकरण हो गया। •ााजपा, सपा, वामदलों ने यूपीए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। आनन-फानन में सीएजी ने पीएमओ को चिट्ठी लिखकर सफाई दी। अपने पत्र में सीएजी ने कहा कि कोयला मंत्रालय की रिपोर्ट पर मीडिया में आई खबर गुमराह करने वाली है। नुकसान का सही आकलन नहीं है, क्योंकि रिपोर्ट अ•ाी तैयार की जा रही है। ये फाइनल ड्राफ्ट से •ाी पहले का दस्तावेज है। गौरतलब है कि सीएजी की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी खजाने को यह नुकसान 2004-09 के बीच हुआ। इस दौरान झामुमो नेता शिबू सोरेन कोयला मंत्री थे। हालांकि, कुछ समय के लिए यह मंत्रालय प्रधानमंत्री के पास •ाी था। •ााजपा ने इसी को आधार बनाकर प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांगा है। कोयला मंत्रालय का कहना था कि ऊर्जा क्षेत्र में कोयले को वास्तविक मूल्यों पर बेचा जाता है। इसके उत्तर में सीएजी ने कहा है कि कोयला प्राकृतिक संसाधन है और उसके विक्रय नीलामी कर के प्रतिस्पर्धी मूल्यों पर होना चाहिए। सीएजी ने सर्वोच्च न्यायालय के 2जी घोटाले के सन्दर्•ा में दिए गए निर्णय का •ाी नाम लिया है, जो कहता है कि सरकार को राष्ट्रीय सम्पदा का संरक्षक एवं न्यासधारी बन कर निर्णय करने चाहिए।
खदान आवंटन से जुड़ी 110 पन्नों की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कोयला मंत्रालय का पक्ष •ाी शामिल है। सूत्रों का कहना है कि यह रिपोर्ट फाइनल रिपोर्ट की तरह ही है। संसद में आम बजट पारित होने के बाद इसे पेश किए जाने की उम्मीद थी। प्रत्येक ब्लॉक के 90 फीसदी रिजर्व के आधार पर कैलकुलेशन को देखें तो कुल मिलाकर सीएजी ने 33,169 मिलियन टन कोयला •ांडार पर अपनी रिपोर्ट दी है। उद्योग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, इतना कोयला 150,000 मेगावॉट बिजली पैदा करने के लिए पर्याप्त है। बगैर नीलामी आवंटन से निजी और सराकरी, दोनों क्षेत्र की कंपनियों को फायदा पहुंचा है। निजी कंपनियों के खजाने में करीब 4.79 लाख करोड़ की रकम गई, तो सरकारी कंपनियों ने 5.88 लाख करोड़ रुपये का मुनाफा जोड़ा।
जदयू के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने दावा किया कि इस विषय पर प्रधानमंत्री ने उनसे कहा कि कोयला ब्लॉकों का आवंटन एक नीति के तहत किया गया था, यह सीएजी की प्रारं•िाक रिपोर्ट है और कोई घोटाला नहीं हुआ है। जदयू नेता का कहना है कि उनकी पार्टी प्रधानमंत्री से सीएजी रिपोर्ट पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग करती है। बिहार में पावर प्लांट को कोल लिंकेज नहीं दिया जा रहा है और सीएजी की रिपोर्ट में कोयला ब्लॉक के आवंटन में इस तरह के घोटाले की बात सामने आती है। वहीं, •ााजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि कोयला खदानों का घोटाला बहुत ही गं•ाीर मुद्दा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता इस मुद्दे पर आगे की रणनीति तय करेंगे। बीजेपी का मानना है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इसके लिए जिम्मेदार हैं और सरकार को इस्तीफा देना चाहिए। कांग्रेस के प्रवक्ता शकील अहमद ने यह कहते हुए सरकार का बचाव करने की कोशिश की है कि यह कोई घोटाला नहीं है, बल्कि इसमें सिर्फ घाटा हो सकता है। सीएजी ने अ•ाी इस मामले में ड्राफ्ट रिपोर्ट ही तैयार की है। सीएजी को इस बाबत अंतिम रिपोर्ट अ•ाी तैयार करना बाकी है।
बहरहाल, वर्तमान का सच यही है कि देश के अब तक के सबसे बड़े 10. 7 लाख करोड़ के कोयला घोटाले को छिपाने के लिए यूपीए सरकार के सारे ' बहाने ' एक-एक कर फेल होते जा रहे हैं। अब ब्रिटेन के अखबार ने •ाी साफ किया है कि सीएजी का वह ड्राफ्ट करीब-करीब फाइनल फॉर्म में है। कोयला ब्लॉक आवंटन को लेकर लीक हुई ड्राफ्ट रिपोर्ट पर मची हायतौबा को थामने के लिए अब सरकार •ाी हमलावर हो गई है। इस मुद्दे पर आक्रामक विपक्ष को सरकार ने करारा जवाब दिया है। यूपीए सरकार के संकटमोचक और वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने खुद कमान सं•ाालते हुए कहा कि सीएजी की आरं•िाक रिपोर्ट का 90 फीसदी हिस्सा अंतिम रिपोर्ट बनने तक खारिज हो जाता है। इसलिए इस मसले को बेवजह तूल नहीं दिया जाना चाहिए।
गुरुवार, 29 मार्च 2012
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