सोमवार, 28 दिसंबर 2009

कब्र में खड़े रहेंगे मुर्दे

समय बदल रहा है। मान्यताएं बदल रही है। समस्या का निराकरण प्राथमिकता है। सो, अब मुर्दों को लेकर भी समाधान ढूंढ़ा जा रहा है। एक तरफ ग्लोवल वार्मिंग को लेकर पृथ्वी को बचाने की जद्दोजहद तो दूसरी ओर जनसंख्या विस्फोट। भारत-चीन सरीखें देश तो पहले ही परेशान हैं जनसंख्या से, अब यूरोप सहित दूसरे देश भी इस समस्या का समाधान तलाश रहे हैं। घटती जमीन और बढ़ते लोग। समस्या जटिल है। जीवन के साथ भी और जीवन के बाद भी।
सच तो यह भी है कि समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है और दुनिया की जमीन सिकुड़ रही है। कई छोटे देशों, तटीय इलाकों और टापुओं के अस्तित्व पर संकट आन पड़ा है। ऐसे में बची हुई जमीन का सही और पूरी तरह इस्तेमाल करना एक मूलभूत सवाल है। इसके लिए आस्ट्रेलिया की एक फ्यूनरल कंपनी ने नायाब नुस्खा पेश किया है। कंपनी की योजना है कि कब्र में मुर्दे को सीधे खड़े करके दफनाया जाए। इससे काफी जगह बचाई जा सकेगी और देश में तेजी से फैल रहे कब्रिस्तान के दायरे की रफ्तार कम हो जाएगी। यह योजना जल्द ही मेलबर्न में अमल में लाई जाने लगेगी। कंपनी ने इसे आसान, कम जमीन और कम लागत वाला नुस्खा बताया है।
आस्ट्रेलियाई कंपनी अपराइट बरियल्स शव को सबसे पहले एक बयोडिग्रेबल बैग में रखेगी और फिर इसे तीस इंच चौड़े और साढ़े नौ फीट गहरे गड्ढे में दफना दिया जाएगा। इस फ्यूनरल कंपनी का दावा है कि दुनिया में वह पहली बार ऐसी स्कीम पेश कर रही है। इसका एक फायदा यह भी है कि इसके पारंपरिक तरीके से शव दफनाने के मुकाबले कार्बनडाइ ऑक्साइड का कम उत्सर्जन होगा।
कंपनी के प्रबंध निदेशक टोनी डुप्लीक्स ने कहा, 'दरअसल, पारंपरिक तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले ताबूत लकड़ी या फाइबर के होते हैं। इन पर प्लास्टिक की एक ट्रे भी होती है। यह काफी जगह घेरता है। लेकिन हमारे प्रस्ताव में ऐसा कुछ भी नहीं है। इसमें जब कब्रिस्तान की जगह भर जाएगी इसे एक चारागाह की तरह छोड़ दिया जाएगा। कब्र पर स्मारक पत्थर भी नहीं होगा। इसके बदले सभी मृतकों के नाम एक जगह क्रम से होंगे। बाद में यहां आने वाले परिजनों को यह बताया जाएगा कि उनके प्रियजन को कहां दफनाया गया है।
क्षेत्रफल के लिहाज से ऑस्ट्रिेलिय को बेशक छोटा देश माना जाए लेकिन वैश्विक संकट में जिस प्रकार से वहां की कंपनी ने उदाहरण पेश किया है, वह अप्रतिम है। भारतीय परिप्रेक्ष्य में बात की जाए तो जाने-माने पत्रकार-संपादक-स्तंभकार खुशवंत सिंह ने भी बीते दिनों इसी प्रकार की अपनी रायशुमारी दी थी।

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

पढ़ा था इस विषय में..

यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।

हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.

मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.

नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

आपका साधुवाद!!

नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!

समीर लाल
उड़न तश्तरी