रांची की सीबीआई कोर्ट ने चारा घोटाले में राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू यादव को दोषी करार दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने 44 और आरोपियों को भी दोषी करार दिया है। इस फैसले के तुरंत बाद लालू को हिरासत में ले लिया गया है। लालू सहित सभी दोषियों की सजा पर फैसला 3 अक्टूबर को होगी। तब तक दोषियों की सजा पर कोर्ट में बहस होगी। इस फैसले के साथ ही लालू के लिए संकट का नया दौर शुरू हो गया है। दोषियों में पूर्व मंत्री जगन्नाथ मिश्र, जेडीयू सांसद जगदीश शर्मा भी शामिल हैं। इन सभी पर 37 करोड़ 68 लाख रुपए के चारा घोटाले का आरोप है। दागी नेताओं से जुड़े अध्यादेश के खिलाफ बने माहौल के बीच लालू के इस केस पर पूरे देश की नजर थी। फैसले के मद्देनजर बिहार के सभी जिलों में अलर्ट जारी किया गया है, ताकि फैसले के बाद उनके समर्थक किसी तरह का हंगामा न कर सकें।
चारा घोटाले में लालू यादव को दोषी करार दिया गया है और अब सजा मिलने का इंतजार है। कोर्ट के फैसले के बाद बिहार की सियासी तस्वीर ही बदल जाएगी। नीतीश कुमार से दो बार मात खाने के बाद लालू यादव बिहार में अपनी जमीन वापस पाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे थे। लेकिन उनको सजा के बाद सबसे बड़ा सवाल यही होगा कि उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल का क्या होगा। क्या लालू अपनी पार्टी पर दबदबा कायम रख पाएंगे।
लालू यादव के बाद कौन, क्या राबड़ी आरजेडी की कमान संभालने के लिए आगे आएंगी या फिर बेटा तेजस्वी अपने पिता की पार्टी को संभालने के लिए पूरी तरह से राजनीति में उतर जाएगा। लालू को सजा होने की सूरत में बड़ा संकट पार्टी के भविष्य पर आएगा। बीस साल तक बिहार की सत्ता में बादशाह की तरह राज करने वाले लालू यादव अपनी धार, अपनी रफ्तार, अपनी चमक खोते जा रहे हैं। एक वक्त वो भी था जब लालू की पार्टी के विधानसभा में 130 से ज्यादा विधायक होते थी। लेकिन अब हालत ये है कि बिहार विधानसभा में आरजेडी के सिर्फ 22 विधायक हैं। लोकसभा में भी लालू को मिलाकर सिर्फ 4 सांसद हैं। यानि नीतीश के विकास की आंधी में लालू एक बार उखड़ने के बाद अपना पैर नहीं जमा पा रहे। लोग उस दौर को भूलने के लिए तैयार नहीं जब लालू के राज में बिहार गर्त में पहुंच गया था। लूट और अपहरण उद्योग में तब्दील हो गए थे। दिन में भी सड़कों पर निकलने में लोग घबराते थे। ऐसे में जब पार्टी का मुखिया ही सलाखों के पीछे होगा तो कमजोर होती इस पार्टी का साथ देने वाले कितने होंगे, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
सुरेन्द्र किशोर (पत्रकार) का मानना है कि फर्क तो पडेगा क्योंकि लालू बिहार के राजनीत में एक मजबूत स्तम्भ है। लेकिन सब कुछ सजा के ऊपर निर्भर करता है। हो सकता है की पार्टी में बहुत लोग अलग हो जाये क्योंकि ज्यादा लोगों की तो बिचार धारा मिलती जुलती है।
जानकारो की मानें तो नीतीश कुमार जब दोबारा सत्ता में आये तब आरजेडी के कई नेता नीतीश कुमार का दामन थामने के लिए तैयार थे। लेकिन उस वक्त नीतीश कुमार को लोगो की जरूरत नहीं थी। नरेंद्र मोदी के नाम पर एनडीए से अलग होने के बाद अब नीतीश को भी राज्य के अलग अलग इलाकों में बीजेपी से मुकाबला करने के लिए नए चेहरे चाहिए। इसलिए माना जा रहा है कि लालू के जेल जाते ही बिहार की राजनीति में नाटकीय मोड़ आ सकता है। राजनीतिक विशलेष्क शैलाव गुप्ता का कहना है कि इससे बिहार के राजनीति में बहुत पड़ा फर्क पड़ेगा। लालू बिहार के राजनीति में बड़े नेता के तौर पर है। जानकारों की मानें तो लालू के फैसले पर नजरें गड़ाए नीतीश कुमार जानबूझ ही अपने मंत्रीमंडल का विस्तार नहीं कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो आरजेडी में फूट पड़ने की हालत में नीतीश बागी विधायकों को हाथों-हाथ लपकने के लिए तैयार हैं। हालांकि पिछले कुछ समय से लालू अपने अपने दोनों बेटों तेजस्वी और तेज प्रताप को आगे बढ़ा रहे हैं, लेकिन राजनीति की पिच पर अपने पिता जैसा खिलाड़ी बनने में उन्हें काफी वक्त लगेगा। लालू के जेल जाने के बाद बिहार के राजनीत में बडा परिवर्तन आ सकता है। जिसमें आरजेडी के नेताओ को अपनी पार्टी को सम्भलाने के साथ-साथ अपने लोगो को खोने से भी बचाना होगा।
दागी नेताओं से जुड़े अध्यादेश के खिलाफ देश में बने माहौल के बीच लालू के इस केस पर सबका ध्यान था। लालू दोषी पाए गए हैं और उन्हें 6 महीने से लेकर 7 साल तक की सजा हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद अगर उनकी सजा 2 साल से ज्यादा की हुई तो तुरंत ही संसद की सदस्यता खारिज हो जाएगी। सजा काटने के लिए बाद भी अगले 6 साल तक वो चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। जेल जाने के बाद पार्टी और बिहार की जमीन पर उनकी रही-सही पकड़ भी कमजोर होनी तय है। चाईबासा केस में लालू के अलावा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा और जेडीयू सांसद जगदीश शर्मा पर भी घोटाले में शामिल रहने का आरोप थे। चाईबासा केस के अलावा लालू पर और भी आरोप हैं। लालू पर चारा घोटाले के दौरान रांची के डोरंडा से 184 करोड़ की अवैध निकासी, दुमका कोषागार से 3.47 करोड़ की अवैध निकासी, देवघर कोषागार से 97 लाख की अवैध निकासी के मामले चल रहे हैं। मुकदमा करने वाले सरयु राय ने बताया कि यह घोटाला पहले से चला आ रहा था। लेकिन लालू के सत्ता में आते ही इसका पैमाना और बढ़ गया।
नब्बे के दशक में चारा घोटाला तब सुर्खियों में आया जब बिहार के पशुपालन विभाग में जानवरों के लिए चारे की खरीद और ढुलाई में तमाम गड़बड़ियां पाई गईं। जांच में ये तक सामने आया कि जानवरों के चारे की ढुलाई के लिए कागजों पर स्कूटर और मोटरसाइकिल तक का इस्तेमाल दिखाया गया। बवाल मचा तो लालू की गिरफ्तारी भी हुई। उस वक्त अपना दबदबा कायम रखने के लिए लालू ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनवा दिया था।
बेहद कम पढ़ी-लिखी राबड़ी का मुख्यमंत्री बनना उस समय बहुतों को अखरा। लेकिन लालू अपनी जिद पर अड़े रहे। कहते हैं खुद राबड़ी भी सीएम बनने के लिए तैयार नहीं थीं। लेकिन लालू ने उन्हें सीएम बनाकर जेल से ही बिहार की सत्ता पर राज किया। अब 17 साल बाद इस केस में फैसले की घड़ी आई है। 17 साल पहले सुर्खियो में आये चारा घोटाले में तब पचास से भी ज्यादा लोगों का नाम सामने आया था। जिसमें किसी की मौत हो गयी तो कुछ लोग बरी भी हो गये। लेकिन इस चारा घोटाले के आरोप में राजनेता बचते रहे।