हरियाणा में हो रहे दुष्कर्म की घटनाएं रूकने का नाम नहीं ले रही है। बीते दिनों जिस प्रकार से घटनाएं बढ़ी हैं, उसने कई सवालों को जन्म दिया है। सिलसिला लगातार जारी है, लेकिन सरकार और पुलिस, दोनों ही खामोश हैं। नागरिकों की सुरक्षा की अंतिम जिम्मेदारी जिस राज्य सरकार की है, उससे •ाी कोई सवाल पूछने वाला नहीं है। सूबे में कांग्रेस की सरकार है और कांग्रेस अध्यक्षा प्रदेश में आकर कह जाती हैं कि यह सच है कि बलात्कार की घटनाएं बढ़ी हैं, लेकिन ऐसा सिर्फ हरियाणा में नहीं, देश के स•ाी राज्यों में हैं।
दूसरी ओर प्रदेश में बढ़ रहे महिला विरोधी अपराध के लिए खाप पंचायतें शादी की उम्र को बड़ा कारण मान रही हैं। खाप पंचायतों ने गत दिनों इस सिलसिले में यह सुझाव दिया कि लड़कों के विवाह की उम्र 20 वर्ष से घटा कर 18 और लड़कियों के विवाह की उम्र 18 से घटाकर 15 वर्ष कर देनी चाहिए। खाप का कहना है कि यदि विवाह की उम्र घटाई जाए, तो दुष्कर्म की घटनाओं पर विराम लग सकता है। खाप के एक प्रतिनिधि सूबे सिंह ने कहा था कि लड़के और लड़कियों की शादी 16 साल की उम्र में हो जानी चाहिए, ताकि वे ‘पथ•ा्रष्ट’ नहीं हो सकें। इससे बलात्कार की घटनाओं में कमी आएगी। खाप के एक अन्य सदस्य ने यह •ाी कहा था कि बच्चों के बडेÞ होते ही उनमें यौन आकांक्षाएं आने लगती हैं, लेकिन जब वे पूरी नहीं होती हैं, तो वे पथ•ा्रष्ट हो जाते हैं। इस वजह से शादी के लिए कोई न्यूनतम उम्र सीमा नहीं होनी चाहिए। खाप के समर्थन में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला •ाी आ गए हैं, जाहिरतौर पर इस मुद्दे पर राजनीति तेज हो गई है। समाज से जुड़ा हर तबका •ाी अपनी-अपनी अलग-अलग राय दे रहा है। सामाजिक संगठनों की राय पर ही बाल-विवाह रोकने के लिए बनाए कानून में बदलाव करने से सरकार और शिक्षित वर्ग साफ इंकार कर रहा है। हरियाणा की कई खाप पंचायतें दुष्कर्म और अपहरण की घटनाएं बढ़ने का मूल कारण लड़के और लड़की की शादी की उम्र 18-21 वर्ष होने को मान रहे हैं। सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग लड़कियों की शादी की उम्र कम करने को गलत ठहरा रहे हैं, तो खाप पंचायत उम्र घटाए जाने की जिद पर अड़ी हैं।
आपसी सहमति नहीं है खापों की
वहीं, कुछ खाप पंचायतें इस बात से इत्तेफाक नहीं रखती हैं। दादरी क्षेत्र की सांगवान खाप के प्रधान कर्नल रिसाल सिंह के मुताबिक, लड़कियों की शादी की उम्र घटाने से दुष्कर्म की घटनाएं नहीं रुकेंगी। इसके लिए तो समाज की मानसिकता बदलने, सामाजिक चेतना उत्पन्न करने की जरूरत है। अगर छोटी उम्र में किसी लड़की का विवाह कर दिया जाता है, तो उसके साथ संबंधों को एक प्रकार का दुष्कर्म ही कहा जाएगा। फौगाट खाप के कार्यकारी प्रधान बोबी फौगाट के अनुसार, कुछ खापों का बलात्कार की घटनाओं को रोकने के लिए लड़कियों के विवाह की उम्र कम करने का फार्मूला किसी •ाी सूरत में ठीक नहीं कहा जा सकता है। बड़ी मुश्किल से समाज सुधारकों ने बाल विवाह पर रोक लगवाई थी। लड़कियों की विवाह की आयु कम से कम 20 वर्ष की जानी चाहिए। दुष्कर्म की घटनाओं को रोकने के लिए कन्या विवाह की उम्र घटाने की मांग, सुझाव पूरी तरह अव्यवहारिक है। श्योराण खाप 25 के प्रधान बिजेन्द्र सिंह बेरला और खाप के कानूनी सलाहकार एडवोकेट रतन सिंह डाडमा के अनुसार, हिंदू मैरिज एक्ट में लड़कियों की शादी की आयु घटाने पर अ•ाी किसी खाप ने अ•ाी खुलकर फैसला नहीं लिया है। अ•ाी स•ाी अपने-अपने तर्क पेश कर रहे हैं। इस विषय के कई पक्ष हैं तथा इस पर व्यापक बहस की जरूरत है। जाट महास•ाा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश मान और ााकियू अध्यक्ष धर्मपाल बाढड़ा •ाी कहते हैं कि लड़कियों के विवाह की आयु घटाने के बारे में अंतिम फैसला नवंबर में होने वाली महापंचायत में लिया जाएगा। कई खापों के लोगों की राय है कि हरियाणा के खानपान के कारण कई अशिक्षित लड़किया समय से पहले शादी के लायक हो जाती हैं, इसीलिए आॅनर किलिंग, दुष्कर्म, घर से •ाागने जैसी घटनाओं को रोकने के लिए विवाह की आयु इसका एक उपाय है। हालांकि यह एक तरफा तर्क है। इसके अन्य पहलुओं पर •ाी विचार किया जाना जरूरी है।
शुरू हुई राजनीति
जहां सच्चाखेड़ा के पीड़ित परिवार से सहानु•ाूति जताने आई कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने खाप के सुझाव अस्वीकार कर दिया, वहीं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने खापों के फामूर्ले को सही ठहराया है। चौटाला ने यह •ाी कहा कि मुगल शासनकाल में •ाी लड़कियों को तत्कालीन शासकों की बुरी नजर से बचाने के लिए कम उम्र में उनकी शादी कर दी जाती थी और अब हरियाणा में •ाी इस समय यही स्थिति पैदा हो रही है। सरकार इस समस्या से निपटने में नपुंसक साबित हो रही है। चौटाला के अनुसार, दुष्कर्म की घटनाएं रोकने के लिए यदि राज्य सरकार ने समय रहते कारगर कदम उठाए होते तो आज यह हालत न होती। •ााजपा-हजकां गठबंधन के महिला विंग ने •ाी प्रदेश सरकार को हर मोर्चे पर असफल करार देते हुए राज्यपाल जगन्नाथ पहाड़िया से सरकार की बर्खास्तगी की मांग कर डाली।
हुड्डा के पक्ष में उतरी कांग्रेस
दुष्कर्म की बेरोक-टोक हो रही घटनाओं से घिरे हरियाणा के मुख्यमंत्री •ाूपेंद्र सिंह हुड्डा के बचाव में कांग्रेस •ाी उतर आई। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बयान के बाद पार्टी प्रवक्ता रेणुका चौधरी ने •ाी कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध पूरे देश में ही बढ़ रहे हैं और हुड्डा कोई हाथ बांधकर नहीं बैठे हैं। यह सही नहीं है कि ऐसे मामलों में अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है।
आंकड़ें हैं •ायावह
सच तो यह •ाी है कि 1.2 अरब की जनसंख्या वाले इस देश में दुष्कर्म सबसे तेजी से बढ़ने वाले अपराधों की श्रेणी में शामिल है। कानूनी रूप से बेशक मृत्युदंड जैसी कड़ी सजा पर कई बार विचार और बहस की गई है, लेकिन व्यावहारिक स्तर पर ऐसा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे इस पर अंकुश लगाया जा सके। स्थिति यह है कि एक •ाारतीय महिला के साथ दुष्कर्म होने की आशंका पिछले दो दशक में दोगुनी हो गई है, जबकि अपराधी को दंडित किए जाने और न्याय मिलने की दर नीचे गिर गई है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े इस बात की तसदीक •ाी करते हैं। स्थिति इतनी गं•ाीर है कि हर 20 मिनट में •ाारत में किसी न किसी महिला के साथ दुष्कर्म किया जाता है। इन पीड़ितों में से हर तीसरी पीड़ित कोई बच्ची होती है। ये आंकड़े वर्ष 2011 में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट पर आधारित हैं। दुष्कर्म के मामलों में मध्य प्रदेश का पहला नंबर है। पिछले वर्ष वहां दुष्कर्म के सबसे ज्यादा मामले रिपोर्ट किए गए। हरियाणा की स्थिति •ाी बेहद बुरी है, जहां बीते एक महीने के अंदर दर्जन •ार से अधिक दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज की गई है।
पुराना विवाद है उम्र का
विवाह की उम्र को लेकर एक लंबे अरसे से विवाद चलता आ रहा है। इसे बहुत से लोगों ने अपने-अपने तरीकों से परि•ााषित •ाी किया है। 5 जून को दिए दिल्ली हाईकोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने 15 वर्ष की उम्र में हुए एक मुस्लिम लड़की के विवाह को जायज ठहराया, हालांकि •ाारतीय संविधान के हिंदू मैरेज एक्ट के अनुसार, विवाह की मानित उम्र लड़कियों के लिए 18 और लड़कों के लिए 21 तय की गई है। इसमें मुस्लिम, पारसी, ईसाई और जेविश धर्म का जिक्र नहीं किया गया है। इस्लामिक कानून के मुताबिक, कोई •ाी मुस्लिम लड़की बिना अपने माता-पिता की इजाजत के शादी कर सकती है, बशर्ते उसने प्यूबर्टी हासिल कर ली हो। अगर उसकी उम्र 18 साल से कम •ाी है, तो उसे अपने पति के साथ रहने का हक है। उस समय कई लोगों ने कहा था कि इसका सीधा अर्थ यह है कि अदालत इस स्वीकार करती है कि अगर पंद्रह साल की लड़की हिंदू है, तो उसकी शादी अवैध है और पंद्रह साल की लड़की मुसलमान है, तो उसकी शादी वैध है। कहा गया कि राजनीतिकों के लिए मुस्लिम समाज से जुड़ा हर सवाल वोटों की गिनती का सवाल बन जाता है। लिहाजा, इस सवाल पर किसी की कोई खास प्रतिक्रिया नहीं आई। आॅल इंडिया मुसलिम परसनल लॉ बोर्ड ने दिल्ली अदालत के इस फैसले का सबसे आगे बढ़ कर स्वागत किया था।
दूसरे देशों की बात करें, तो मुस्लिम देशों को छोड़कर अधिकतर पश्चिमी देशों में विवाह की उम्र लड़कों के लिए 18 और लड़कियों के लिए 16 है। हालांकि एशिया महाद्वीप में अधिकतर जगह लड़कों के साथ-साथ लड़कियों की •ाी उचित उम्र 18 ही है। ईरान में लड़कियों की न्यूनतम आयु 9 साल निर्धारित की गई है और ब्रुनेई में तो इससे जुड़ा कोई नियम ही नहीं है, यानी वहां बाल विवाह आज •ाी जायज है। गौर करने योग्य यह •ाी है कि करीब डेढ़ साल पहले कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में सुनाया था कि बिना माता-पिता की अनुमति की कोई •ाी लड़की 21 साल से कम की उम्र में विवाह नहीं कर सकती।
सोच में आया है बदलाव
यौन विशेषज्ञों के अनुसार, लड़कियों का शरीर 12-13 साल की उम्र में ही यौन संबंध स्थापित करने के लायक हो जाता है, लेकिन उस समय उसका शरीर गर्•ाधारण के लायक नहीं होता। 17-18 साल की उम्र के बाद उसका शरीर गर्•ाधारण के लिए तैयार हो जाता है। इसलिए 18 साल की उम्र के बाद ही उनकी शादी होनी चाहिए। इसलिए कानूनी तौर पर लड़कियों के शादी की उम्र 18 वर्ष कर दी गयी और 18 साल से कम उम्र में लड़कियों की शादी को गैर कानूनी करार दिया गया। आज स्थिति बदल चुकी है। अब लड़कियों के शादी की औसत उम्र 25-26 साल हो गई है, बल्कि पढा़ई में संलग्न और अपने कैरियर बनाने के प्रति सचेत लड़कियां तो अब 30 साल की उम्र से पहले शादी के बारे में सोचती ही नहीं हैं। उनके माता-पिता •ाी अपनी लड़कियों की शादी को लेकर परेशान नहीं रहते हैं, बल्कि उनकी •ाी यही इच्छा होती है कि पहले लड़की का कैरियर बन जाए उसके बाद शादी करना उचित रहेगा। इंटरनेशनल प्लान्ड पैरेन्टहुड फेडरेशन के अनुसार, विश्व में प्रत्येक साल कम से कम 20 लाख युवतियां गैरकानूनी गर्•ापात कराती हैं। मनोचिकित्सकों के अनुसार अवैध शारीरिक संबंध स्थापित करने वाली लड़कियों को हर समय उनकी चोरी पकड़े जाने का डर रहता है इसलिए वे हर समय अपराध बोध से ग्रस्त रहती हैं और कई तरह के मानसिक रोगों का •ाी शिकार हो जाती हैं। ऐसी लड़कियां शादी के बाद अपने पति के साथ यौन संबंध स्थापित करने से डरती हैं या वे यौन संबंध स्थापित ही नहीं कर पातीं। इस कारण वे वैवाहिक जीवन का आनंद नहीं उठा पातीं। इसलिए लड़कियों का विवाह 18-20 वर्ष की उम्र में ही कर देना चाहिए।
•ाारत तालिका में सबसे ऊपर
20 से 40 साल उम्र समूह में, 27 प्रतिशत •ाारतीय महिलाओं की 18 वर्ष की उम्र तक शादी हो चुकी होती है। टाइम्स आॅफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ये आंकड़ा दक्षिण मध्य एशिया और अफ्रिका दोनों की औसत से अधिक है। ये आंकड़े वॉशिंगटन सहित पॉपुलेशन रेफ्रेरेंस ब्यूरो द्वारा उत्पादित 2011 के डाटा पत्रक ‘द वर्ल्ड्स वूमेन एंड गर्ल्स’ से लिए गए हैं। बांग्लादेश में तो बाल-विवाह की दर •ाारत से •ाी अधिक है। पाकिस्तान, जहां 18 वर्ष से पूर्व विवाह की दर •ाारत की दर से करीब आधी है, क्षेत्रीय औसत दर को कम कर देता है। युनीसेफ के आंकड़ों के मुताबिक, बाकी देशों की तरह ही •ाारत में बाल विवाह की दर पिछले 20 वर्षों में करीब 7 प्रतिशत नीचे गिरी है। •ाारतीय कानून में विवाह-योग्य उम्र महिलाओं के लिए 18 और पुरुषों के लिए 21 है, लेकिन इस नियम का उल्लंघन बहुत व्यापक पैमाने पर होता है। युनीसेफ के हिसाब से, विश्व में होने वाले बाल विवाहों में से 40 प्रतिशत तक सिर्फ •ाारत में होते हैं।
लिंगानुपात से है संबंध
राष्टÑीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से कहा गया है कि हरियाणा में दुष्कर्म की घटनाएं राज्य में लिंगानुपात में कमी तथा लड़कियों के प्रति समाज के नजरिए को प्रदर्शित करती हैं। आयोग की अध्यक्ष शांता सिन्हा के अनुसार, लैंगिक तथा जातिगत •ोद•ााव हरियाणा में खराब लिंगानुपात में प्रदर्शित होते हैं। सामाजिक संगठनों तथा सरकार की ओर से मिलकर इस दिशा में कारर्वाई करने की जरूरत है, ताकि लड़कियों के खिलाफ इस तरह की हिंसा न हो।
यूनीसेफ कस चुका है कमर
संयुक्त राष्ट्र पहला ‘अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस’ मनाने की तैयारी में है, जिसमें बाल विवाह को खत्म करने पर फोकस होगा और •ाारत, बांग्लादेश तथा सोमालिया जैसे देशों में लड़कियों की जिंदगी पर इस मानवाधिकार उल्लंघन के होने वाले प्र•ााव पर प्रकाश डाला जाएगा। यूनीसेफ के जेंडर एवं राइट्स सेक्शन की ओर से कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र और इसके सहयोगी दल अब तक हुई प्रगति और जारी चुनौतियों पर प्रकाश डालने के लिए एक साथ आ रहे हैं। यूनीसेफ ने कहा कि •ाारत दुनिया के उन देशों में है, जहां बड़ी संख्या में लड़कियों की शादी 18 वर्ष की उम्र से पहले हो जाती है, लेकिन यहां राष्ट्रीय स्तर पर बाल विवाह की दर में कमी आई है और वर्ष 1992-93 में 54 फीसदी से घटकर 2007-08 में यह लग•ाग स•ाी राज्यों में 43 फीसदी पर आ गई है। बदलाव की दर धीमी है। यूनीसेफ के आकलन के मुताबिक, 20 से 24 वर्ष उम्र के बीच करीब सात करोड़ युवतियों की शादी 18 वर्ष से पहले हो जाती है और इनमें 2.3 करोड़ की शादी 15 वर्ष की उम्र से पहले ही हो जाती है।