उसका नाराज होना
उसका हक है
कोई दूसरों से कहां नाराज होता है
रूठता तो अपना ही है
अपनों से
गैरों को कहां फुर्सत है ?
उनका मुझसे क्या सरोकार है ?
मगर पता नहीं चलता मुझे
क्यों और कब रूठी वो मुझसे
जाहिरतौर पर रहीं होंगी मेरी ही कमियां
रहीं होंगी मेरी नादानियां
समझ नहीं पाया होउंगा उसके मन की व्यथा
उसके मन की पीड़ा
उसका संत्रास
कुछ तो होगा उसके मन में
मन को भला वो क्यों वांचेगी मेरे सामने ...
सुभाष चंद्र 05 जनवरी, 2015
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