शनिवार, 30 अक्तूबर 2010

खास है ओबामा को लेकर उड़ने वाला विमान


दुनिया के सबसे ताकतवर शख्स माने जाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति 6 नवंबर को भारत पहुंच रहे हैं। इस यात्रा में होने वाले समझौतों, राजनयिक साझेदारियों और कूटनीतिक चर्चा के अलावा एक बार फिर अमेरिका के राष्ट्रपति के भोजन, उनके यात्रा स्थलों की भी चर्चा हो रही है। अब बारी है उनके आने-जाने के साधनों की। बराक ओबामा एक बेहद खास विमान से भारत पहुंचेंगे। यह विमान है एयर फोर्स वन। आइए जानें कि एक खास शख्स को लेकर उड़ने वाले इस विमान की क्या खासियतें, अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा वहां की वायु सेना के जिस भी विमान में सफर करते हैं, उसे तकनीकी तौर पर 'एयर फोर्स वन' नाम से जाना जाता है। फिलहाल एयर फोर्स वन के बेड़े में बोइंग 747-200 बी सीरीज़ के दो विमान शामिल हैं। अमेरिका की वायु सेना ने इन जहाजों को जो कोड दिया है वह है वीसी-25 ए। दुनिया के सबसे ताकतवर शख्स को उनकी मंजिल तक पहुंचाने वाले यह विमान बेहद खास है। दरअसल, एयर फोर्स वन एक कॉल साइन है जो अमेरिकी एयर ट्रैफिक कंट्रोल के तहत सिर्फ अमेरिका के राष्ट्रपति के विमान के लिए तय है। यह परंपरा 1953 में तब शुरू हुई जब एक व्यवसायिक विमान अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति आइजेनहावर के विमान के हवाई क्षेत्र में दाखिल हो गया। अमेरिका के राष्ट्रपति को ले जाने के लिए कई विमानों का इस्तेमाल किया गया है। लेकिन 1990 से दो बोइंग विमानों वीसी-25ए का ही इस्तेमाल किया जा रहा है। यह बोइंग 747-200 बी सीरीज़ का विमान है। अमेरिका की वायु सेना अब इन दोनों विमानों को बदलने की योजना पर काम कर रही है। नए विमानों को सप्लाई करने की होड़ में सिर्फ बोइंग ही शामिल है। अमेरिका के राष्ट्रपति के लिए नया एयर फोर्स वन विमान 2017 में शामिल किया जाएगा। इन विमानों पर यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका लिखा हुआ है। साथ ही अमेरिकी झंडे की छाप और अमेरिका के राष्ट्रपति की मुहर भी इस विमान के बाहरी हिस्से में देखी जा सकती है।

इस विमान में हवा में ही ईंधन भरने की क्षमता है। एयर फोर्स वन की उड़ा क्षमता जबर्दस्त है। विमान के भीतर मौजूद इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों पर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों का कोई असर नहीं पड़ता है। इसके अलावा, एयर फोर्स वन में संचार की आधुनिकतम सुविधाएं मौजूद हैं, जिसकी खास बात यह है कि अमेरिका पर हमले की स्थिति में यह विमान मोबाइल कमांड सेंटर में तब्दील हो सकता है। विमान के तीन स्तरों में करीब 4 हजार वर्गफुट का क्षेत्रफल है, जिसका इस्तेमाल राष्ट्रपति और उनके सहयोगी करते हैं। इसमें राष्ट्रपति के एक सूट भी शामिल है। इस सूट में एक बड़ा दफ्तर, वॉश रूम और कॉन्फ्रेंस रूम शामिल है। एयर फोर्स वन में एक मेडिकल सूट भी है, जिसमें ऑपरेशन करने की सुविधा मौजूद है। विमान में राष्ट्रपति के साथ एक डॉक्टर हमेशा यात्रा करता है। विमान में दो फूड गैलरी हैं जहां एक बार में करीब 100 लोगों के भोजन का इंतजाम किया जा सकता है। इस विमान में अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ सफर करने वाले लोगों के लिए क्वॉर्टर भी है। इस विमान के आगे--आगे कई कार्गो विमान भी उड़ते हैं, जो आपातकाल या दूरदराज के इलाकों में राष्ट्रपति की जरूरतें पूरी कर सकें। एयर फोर्स वन के रखरखाव और संचालन का काम प्रेजिडेंशल एयरलिफ्ट ग्रुप करता है जो वाइट हाउस सैन्य दफ्तर का हिस्सा है...

अमेरिका के राष्ट्रपति अगर हवा में बेहद खास विमान से उड़ते हैं तो ज़मीन पर उनके सफर का इंतजाम भी कहीं से भी कमतर नहीं है। अमेरिका के राष्ट्रपति लिमो वन: द बीस्ट नाम की कार से चलते हैं। द बीस्ट एक लिमो कार है जिसमें अमेरिका के राष्ट्रपति चलते हैं। दुनिया में जहां कहीं भी राष्ट्रपति जाते हैं, यह कार उनकी सेवा में हाजिर रहती है। यह कार बेहद सुरक्षित है। कार का कोड नेम 'स्टेजकोच' है। लेकिन इसका वजन, वीलबेस और बंकर जैसी सुरक्षा इस कार को खास बनाती है। जनरल मोटर (जीएम) ने इसका निर्माण किया है। यह कार बराक ओबामा के शपथ ग्रहण समारोह के दिन, 20 जनवरी, 2009 से उनकी सेवा में है। हालांकि, सुरक्षा पहलुओं के मद्देनजर इस कार की कई खासियतें सार्वजनिक नहीं की गई हैं। अमेरिका के प्रोटेक्टिव ऑपरेशंस के सीक्रेट सर्विस ऑफिस के पूर्व सहायक निदेशक निकोलस ट्रोटा ने कहा, इस कार की सुरक्षा और संचार प्रणाली कोड आधारित है। जीएम और सीक्रेट सर्विस पर इस कार की देखभाल का जिम्मा है। कार में आधुनिक संचार सुविधाएं मौजूद हैं, जिसमें फोन, सेटेलाइट, इंटरनेट शामिल हैं। कार की कीमत करीब 1.35 करोड़ रुपये है। ओबामा की कार उनसे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति रहे जॉर्ज बुश की कार कैडिलैक डीटीएस का आधुनिक संस्करण है। लिमो वन का वज़न सात से आठ टन है। कार में डीज़ल इंजन लगा है। कार में जीएम के मीडियम ड्यूटी ट्रक चेसिस का इस्तेमाल किया गया है। दरवाजों पर लगी धातु की चादर की मोटाई करीब आठ इंच है। हर दरवाजे का वजन तकरीबन बोइंग 747 विमान के केबिन के दरवाजे के बराबर है। गाड़ी के ऊपर सेना द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला आर्मर चढ़ाया गया है। इस आर्मर को बनाने में स्टील, एल्युमिनियम, टाइटेनियम और सेरेमिक जैसी धातुओं और पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है। कार में शीशे के तौर पर बैलिस्टिक ग्लास लगाई गई है, जिसकी मोटाई करीब पांच इंच है। अमेरिका के मशहूर अख़बार लॉस एंजिलिस टाइम्स के मुताबिक कार की फर्श में केवलार मैट (चटाई) का इस्तेमाल किया गया है, ताकि विस्फोट से इस कार को बचाया जा सके। कार में रासायनिक हमले की स्थिति में सांस लेने के लिए एयर रिसर्कुलेशन सिस्टम भी मौजूद है। ओबामा की इस शानदार कार में अंदरूनी साजसज्जा के लिए चमड़े का खूब इस्तेमाल किया गया है। राष्ट्रपति के मनोरंजन के लिए कार में एक सीडी सिस्टम भी है। डेट्रॉएट न्यूज के मुताबिक जनरल मोटर्स (जीएम) ने इस तरह की महज 25 कारों का निर्माण किया है, जो सिर्फ ओबामा प्रशासन के इस्तेमाल के लिए हैं। इन कारों की औसत उम्र एक दशक है, लेकिन राष्ट्रपति की कार हर चार साल में बदल दी जाती है। राष्ट्रपति द्वारा खाली की गई कारों का इस्तेमाल उप राष्ट्रपति और अमेरिका आने वाले विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्ष करते हैं।


साभार

1 टिप्पणी:

sagar ने कहा…

avahi jahaj hai ya chalta phirta hotal.