बुधवार, 10 फ़रवरी 2010

सीधी ऊँगली से

वह पढ़ी-लिखी समझदार लड़की थी। दहेज की कट्टïर विरोधी, उसने यह शादी की ही इस शर्त पर थी कि दहेज की कोई माँगें नहीं होगी। उसके पिता ने अपने हैसियत के हिसाब से जो भी बन पड़ा, दिया था।
कुछ दिन बीते भी। उसकी सास ने उसे दहेज के ताने देने शुरू कर दिया।
तुम्हारे बाप ने यह नहीं दिया, वह नहीं दिया। मायके से यह लाओ, वह लाओ। उसे यह सब सुनकर बहुत गुस्सा आता। पर वह बोलती कुछ नहीं। उसका पति दहेज का लालची तो नहीं था। लेकिन अपनी माँ के सामने कुछ बोल नहीं पाता था। वह भी घंूट-घूट कर मरने वाली नहीं थी। उसने भी तय कर लिया था कि सासुजी का दिमाग ठिकाने लगा कर रहेगी। बस कोई तरकीब हाथ लगनी चाहिए। आखिर उसने इस समस्या का समाधान खोज ही लिया।
एक दिन उसने मौका व मूड देखकर सास से कहा - माँ जी चाहती तो मैं भी हँू कि मेरे पिताजी स्कूटर, टीवी, फ्रिज वगैरह दें। अब देखिए न... अगर टीवी मिलेगा तो प्रोग्राम तो मैं भी देखूंगी न? फ्रिज का ठंडा पानी मैं नहीं पिउँुगी? पर समस्या है कि मेरे पापा हैं बहुत कंजूस। सीधी ऊँगलीे से घी निकलने वाला नहीं । आप एक पत्र लिखिए कि फलां-फलां चीजें अगर पंद्रह दिनों के अंदर न भिजवाया तो आप मुझे जलाकर मार डालेंगी। वह पत्र लेकर मैं मायके जाऊँगी तो पिताजी मेरी जान बचाने के लिए सब देने को तैयार हो जाएंगे।
सास चक्कर में आ गई। उसने वैसा ही पत्र लिखकर बहू को दे दिया। साथ में मायके जाने की आज्ञा भी। मायके पहँुचते ही बहू ने पत्र की कॉपी थाने में रपट के साथ दे दी।
आजकल वह और उसके पति सुख से जीवन बिता रहे हैं ओर सासु जी पूजा-पाठ में लगी रहती हैं।

2 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

सासु जेल में पूजा पाठ कर रही हैं या घर में? :)

रानीविशाल ने कहा…

आदरनीय,
लिखा तो बहुत खुब आपने मगर आज कल सासे बहु से ज्यदा smart हो गई है :)
सादर
http://kavyamanjusha.blogspot.com/