बिहार में हिंसक आतंकी वारदात भले न हुई हो, लेकिन देशद्रोही तत्व यहां जाली नोटों का कारोबार तेजी से फैला रहे हैं। खासबात यह है कि इनमें बड़े नोटों मसलन हजार और पांच सौ रुपये के जाली नोटों का चलन बढ़ा है। पिछले करीब साढ़े पांच साल में सिर्फ पुलिस ने 69 लाख से अधिक के जाली नोट पकड़े हैं।
एक तरफ सीमा पर पाक गोलीबारी कर रहा है, तो इधर उसका आइएसआइ जाली नोट फैलाने में लगा है। पांच साल में लगभग 25 करोड़ के जाली नोट बिहार लाए गए। लगभग पांच करोड़ रुपये मूल्य के जाली भारतीय नोट हर साल बांग्लादेश से मालदा हो कर बिहार पहुंच रहे है। पिछले पांच वर्षो में एक करोड़ 21 लाख रुपये मूल्य केजाली नोट बरामद किए गए हैं, इसके साथ ही 356 तस्करों को गिरफ्तार किया गया है। वर्ष 2013 में अब तक 25 लाख 40 हजार 440 रुपये मूल्य के जाली नोट बरामद किए गए हैं, वहीं 26 तस्करों को गिरफ्तार किया गया है। बिहार में पहुंच रहे जाली नोटों में ज्यादातर हजार व पांच सौ रुपये के हैं।
गौर करने योग्य यह है कि वर्ष 2008 से 2010 तक जाली नोटों का विस्तार मिला है। जब्त नोटों के आंकड़ों से भी इसकी पुष्टि हुई है। इसका दूसरा पक्ष यह भी हो सकता है कि इस दौरान पुलिस और अन्य एजेंसियों की सक्रियता बढ़ी हो, जिसके चलते उन्हें यह कामयाबी हासिल हुई। कहा जा रहा है कि नेपाल के रास्ते ये नोट बिहार पहुंच रहे हैं। इसके पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ माना जा रहा है। बिहार में इस धंधे से जुड़े करीब 500 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है। नेपाल से सटे जिलों में लगने वाले पशु हाट-बाजार में जाली नोटों के चलन की बात सामने आई है। इसको रोकने के लिए सशस्त्र सीमा बल ने अपने पोस्टों पर जाली नोट पकड़ने वाली मशीन लगाई है। ऐसे हाट और मेलों में भी मशीनें का इस्तेमाल किया जा रहा है। नोटों की पहचान के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने राज्य पुलिस को सीडी उपलब्ध कराई है। इस सीडी में डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से यह दिखाया गया है कि जाली नोटों की पहचान कैसे की जा सकती है। सभी जिलों के एसपी को यह सीडी भेजी गई है जिसका प्रदर्शन हाट-बाजार में आम लोगों के बीच किया जाना है। जिलों में एंटी फेक करेंसी सेल का भी गठन किया जा रहा है। नकली नोटों की जांच में एक और बात सामने आई है जिसमें यह कहा जा रहा है कि इसमें भी आॅरिजनल और डुप्लीकेट हैं। अधिकारियों के अनुसार आईएसआई द्वारा तैयार नोटों को उसके धंधेबाज ‘आईएसआई’ के नाम से ही जानते हैं। आईएसआई कोड का मतलब है ‘आॅरिजनल नकली नोट’। दूसरा है लोकल मेड।
राज्य पुलिस मुख्यालय के आलाधिकारियों का मानना है कि जितने जाली नोट पकड़े जा रहे है, उसका पांच गुना कारोबार बिहार के रास्ते से हो रहा है( दूसरी ओर, भारत नेपाल सीमा क्षेत्र से गिरफ्तार किए गए आतंकी अब्दुल करीम टुंडा ने बिहार सहित देश भर में जाली भारतीय करेंसी की हो रही खपत को लेकर महत्वपूर्ण जानकारियां दी हैं। एनआइए सूत्रों के अनुसार टुंडा ने माना है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने लश्कर- ए- तैयबा के सहयोग से भारत में जाली करेंसी की खपत बढ़ाई है। इस काम में पंजाब मूल के लोग प्रारंभिक सहयोग कर रहे हैं। इसके साथ ही नेपाल सीमा से जाली भारतीय करेंसी को भारत में पहुंचाया जा रहा है। एडीजी (मुख्यालय) रवींद्र कुमार के अनुसार, बांग्लादेश के रास्ते प बंगाल में जाली भारतीय करेंसी पहुंचती है। इसके बाद इसे बिहार में भेजा जाता है। हाल के पुलिस आॅपरेशनों में गिरफ्तार किए गए े तस्करों से हुई पूछताछ में इसकी पुष्टि हुई है। पुलिस सूत्रों की मानें, तो आतंकी टुंडा द्वारा जाली नोटों के दम पर बोधगया में बम ब्लास्ट को अंजाम दिए जाने की भी जांच की जा रही है। टुंडा अधिक पैसा देने का लालच दिखा कर युवकों को आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए प्रेरित करता रहा है। आर्थिक अपराध के मामलों की जांच की जिम्मेवारी इओयू को दी गई है।
बताया जाता है कि बिहार पुलिस मालदा व पश्चि बंगाल की ओर से आ रहे जाली नोट के कंसाइनमेंट को अकेले दम पर रोक पाने में विफल साबित हो रही है। इस कारोबार में नोटों के कंसाइनमेंट लेकर चलने वालों में महिलाओं व राज्यों से पलायन कर जाने वाले मजदूरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जहां सूचनाएं मिल रही हैं, वहां ट्रैप कर लिया जा रहा है, लेकिन अधिकतर कंसाइनमेंट पुलिस को सूचना मिले बगैर आगे फारवर्ड हो जा रहे हैं। उत्तर बिहार में तो जाली नोट के कारोबारियों ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी कि फारबिसगंज, कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया सहित आस-पास के इलाकों के चट्टी- बाजारों में जाली नोट पहुंच चुके हैं। सीबीआई के आलाधिकारी भी मानते हैं कि उत्तर-पूर्वी बिहार के कोसी क्षेत्र में स्थित बैंकों में भी जाली नोट पहुंच चुके हैं। जाली नोट के कंसानइमेंट को पकड़ने में डीआरआई भी लगी हुई है। उत्तर बिहार में सीबीआई, डीआरआई व बिहार पुलिस की कार्रवाई के बाद जाली नोट के तस्करों में हड़कंप मचा हुआ है। बीते समय में डीआरआई ने 20 लाख के 1000 रुपये के नकली नोट मशरिकी चंपारण के पीपरा कोठी में दो दिसंबर को एक बस से बरामद किये थे। इसके साथ ही मग्रीबी बंगाल के मालदा के मोहनपुर रिहायसी अशरफुल आलम को गिरफ्तार किया गया था। एक दूसरी वारदात में पटना पुलिस और एसटीएफ ने जॉइंट कार्रवाई में पटना में 75000 रुपये के नकली नोट को बरामद किए थे। 13 दिसंबर को 10 लाख रुपये के जाली नोट के साथ 10 सेलफोन,10 पासपोर्ट और छह नेपाली सिम के साथ मशरिकी चंपारण के प्रमोद कुशवाहा को गिरफ्तार किया गया था। उसने कबूल किया था कि पाकिस्तान के रास्ते जाली नोट बिहार लाए गए थे।
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