रविवार, 13 फ़रवरी 2011

कब और क्यों होगी तबाह धरती

भविष्य को जानने की उत्सुकता हर मनुष्य की होती है। चाहे अच्छा हो या बुरा... आगे क्या होने वाले है, वह हमारे लिए कैसा होगा? हमारे परिजनों के लिए कैसा रहेगा? हर कोई जानना चाहता है। इसी उत्सुकता के अति उत्साह में कई बार विभिन्न अध्ययनों और अनुमानों के आधार पर कही जाती है कि हमारी धरती तबाह होने वाली है। कोई इसकी समय-सीमा 2012 तय करता है तो कोई धरती पर जलजला आने की बात 2036 में करता है। सबके अपने-अपने तर्क और साक्ष्य। मगर, सवाल यह भी मौजूं है कि जब 21वीं सदी का विज्ञान यह बताने में समर्थ है कि अमुक वर्ष में धरती तबाह हो सकती है तो क्या यह पहल नहीं होगी कि इसे कैसे रोका जाए? या फिर यह कोरी कल्पना है, बिलकुल मुंबइया फिल्मी गॉसिप की तरह।
हालिया घटनाक्रम में कुछ वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2036 के पहले धरती का विनाश हो सकता है। इन वैज्ञानिकों की माने तो 23,000 मील प्रति घंटा की रफ्तार से आ रहे विशालकाय क्षुद्र ग्रह के टकराने से धरती तबाह हो सकती है। वैज्ञानिकों के अनुसार धरती के काफी निकट स्थित 275 मीटर चौड़ा क्षुद्रग्रह धरती के काफी शक्तिशाली गुरूत्वीय केंद्र की होल से अप्रैल 2029 में गुजरेगा और सात साल बाद लगभग 13 अप्रैल 2036 को यह धरती से टकरायेगा। गौरतलब है कि धरती के गुरूत्वाकषर्ण के काफी शक्तिशाली होने के कारण जब यह क्षुद्र ग्रह इसके काफी निकट से गुजरेगा तो इस बल की वजह से यह क्षुद्रग्रह अपने रास्ते से विचलित हो जायेग।
नासा के नीयर अर्थ आब्जेक्ट प्रोग्राम कार्यालय के निदेशक डोनाल्ड योमांस के अनुसार, धरती के गुरूत्वाकषर्ण की वजह से यह क्षुद्र अपने रास्ते से विचलित होगा और इस बात की संभावना बनती है कि यह धरती से टकरा जाये। यह स्थिति 13 अप्रैल 2029 को हो सकती है। क्षुद्र ग्रह के धरती के काफी निकट होने के कारण ऐसा हो सकता है लेकिन हमनें इस समय धरती के टकराने संबंधी संभावनाओं को पूरी तरह खारिज कर दिया है। उनके अनुसार, 'अगर यह धरती के काफी करीब यानी की होल के पास से गुजरता है तो यह अपने रास्ते से विचलित होगा और 13 अप्रैल 2036 को सीधा धरती से आ टकरायेगा।Ó नासा वैज्ञानिक ने कहा कि यह टक्कर वैसी नहीं होगी जिस तरह 2036 में क्षुद्र ग्रह के टकराने की भविष्यवाणी रूस के वैज्ञानिक कर रहे है। काबिलेगौर है कि सेंट पीटसबर्ग सरकारी विविद्यालय के प्रोफेसर लियोनिड सोकोलोव पहले ही भविष्यवाणी कर चुके है कि 3,7000 से 3,8000 किलोमीटर की रफ्तार से चल रहा क्षुद्र ग्रह 13 अप्रैल 2029 को धरती से टकरा सकता है। प्रोफेसर सोकोलोव के अनुसार, 'यह संभव है कि 13 अप्रैल 2036 को धरती से यह क्षुद्र ग्रह टकरा जाये। हमारा काम इसके विकल्पों पर विचार करना है और इस क्षुद्र ग्रह में भविष्य में होने वाले परिवर्तनों के आधार पर वैसी स्थिति का निर्माण करना है।Ó
इससे पहले भी देश-विदेश के प्रमुख वैज्ञानिकों ने आशंका व्यक्त की थी कि आगामी कुछ वर्ष में सूर्य की प्रचंड लपटों से 'सौर सुनामीÓ के कारण ऐसी खतरनाक स्थिति पैदा हो सकती है, जिससे भारत समेत विभिन्न देशों के उपग्रह ध्वस्त हो सकते है और संचार प्रणाली ठप हो सकती है। उस समय कहा गया था कि सूर्य की प्रचंड लपटों से सैंकडों हाइड्रोजन बम के बराबर ऊर्जा निकलेगी जिससे पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित होगा। इसके असर से अंतरिक्ष में तैनात उपग्रह ध्वस्त हो सकते है और उनसे प्रेषित होने वाली सूचना प्रणाली भी काम करना बंद कर देगी। खतरनाक सौर आंधी बीते वर्ष अप्रैल में अमेरिका के 'गैलेक्सी 15Ó संचार उपग्रह को चौपट कर चुकी है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी 'नासाÓ की रिपोर्ट में सौर सुनामी के पृथ्वी पर असर के बारे में भयावह तस्वीर पेश की गई थी । रिपोर्ट में बताया गया कि सूर्य का यह तूफान पृथ्वी की संचार प्रणाली में तबाही मचा सकता है। सौर आंधी से उच्च क्षमता वाली रेडियोधर्मिता पैदा होगी जिसके असर से ट्रेनें और विमान सेवा ठप हो सकती है, जीपीएस प्रणाली रेडियों और मोबाइल नेटवर्क गायब हो सकता है, बैंकिंग तथा वित्तीय बाजार में अफरा-तफरी मच सकती है। पूरी दुनिया की संचार प्रणाली पर इस खतरनाक सौर सुनामी का असर कुछ घंटों से लेकर कई माह तक चल सकता है। वैज्ञानिक पिछले 11 वर्षो से सूर्य की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। पिछले कुछ वर्ष से आग का यह गोला शांत है लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि यह तूफान के पहले का सन्नाटा है। यदि इसकी विनाश लीला पृथ्वी तक पहुंच गई तो धरती के समस्त तेल और कोयला भंडार से जितनी ताप ऊर्जा निकलेगी उसका सौ गुना ज्यादा ऊर्जा इससे पैदा होगी। सूर्य की ज्वाला से निकलने वाले कण 400 से 1000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घूमते हुए एक या दो दिन में पृथ्वी के वातावरण में पहुंच जाएंगे जिससे धरती का चुंबकीय क्षेत्र विचलित हो जाएगा।

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