गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011

तैयार है हिरण, तैयार है रांची


34वें राष्ट्रीय खेल आधी-अधूरी तैयारियों से अब तक छह बार टल चुका है, मगर इस दफा मेजबान राज्य के मुख्यमंत्री तथा आयोजन समिति के पदेन अध्यक्ष होने के नाते अर्जुन मुंडा ने खुद इसके सफल आयोजन की कमान संभाली हुई है। प्रदेश के दूसरे कार्यों की अपेक्षा मुख्यमंत्री का पूरा ध्यान इस आयोजन पर है। वे कहते हैं, '34वें राष्टï्रीय खेलों का सफल आयोजन झारखंड की प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है। प्रदेशवासी हर तरह से इसे सफल बनाने के लिए कृतसंकल्पित हैं।Ó
उल्लेखनीय है कि 34वें राष्ट्रीय खेल आयोजित कराने की मेजबानी वर्ष 2002 में रांची को मिली थी। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार पहले ये खेल 15 से 28 नवंबर 2007 में आयोजित होने थे, लेकिन आधारभूत सुविधाओं की अधूरी तैयारियों के चलते इनके आयोजन की तारीख को एक से 13 दिसंबर 2008 कर दिया गया। बाद में इसे 15 से 28 फरवरी 2009 किया गया और फिर एक बार इसे पीछे खिसकाकर एक से 14 जून 2009 किया गया था। तारीख आगे खिसकने के बाद भी खेलों के लिए स्टेडियमों का निर्माण पूरा नहीं हो पाया तो इसे 21 नवंबर से पांच दिसंबर 2010 और फिर नौ दिसंबर से 22 दिसंबर 2010 में आयोजित कराने का निर्णय लिया गया। झारखंड में पंचायत चुनाव के कारण एक बार फिर राष्ट्रीय खेलों की आयोजन तारीख आगे बढ़ाई गई और तब जाकर इसे 2011 के फरवरी में आयोजित कराने का निर्णय लिया गया।
गौर करने योग्य तथ्य यह भी है कि 10 फरवरी को खरसावां विधानसभा का उपचुनाव भी है, जहां मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा प्रत्याशी हैं। भाजपा के उम्मीदवार के रूप में बेशक, मुंडा चुनाव मैदान में हो लेकिन इनके समर्थन में झामुमो और आजसू के नेता भी हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि अर्जुन मुंडा भाजपा के नहीं, बल्कि सरकार के प्रत्याशी हैं। 19 जनवरी को खरसावां में नामांकन के बाद चुनाव की पूरी जिम्मेदारी निवर्तमान विधायक सोए पर सौंपकर अर्जुन मुंडा राष्टï्रीय खेल आयोजन पर पूरा ध्यान दे रहे हैं। गठबंधन की सरकार ने इसे प्रदेश की प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है।
वैसे तो खेलों का मुख्य आयोजन मुख्य रूप से राजधानी रांची में ही निर्धारित है, लेकिन कुछ स्पर्धाएं जमशेदपुर और धनबाद में भी होनी हैं। खेल आयोजन से जुड़े निर्माण कार्यों को लेकर शुरुआत से भ्रष्टïाचार की बात होती रही है। उपकरणों की खरीद तथा अन्य निविदाओं में हुए करोड़ों रुपये के घपले की जांच विभिन्न एजेंसियां कर रही हैं। इन खेलों को अब तक का सबसे महंगा राष्ट्रीय खेल आयोजन माना जा रहा है और अव्वल तो यह कि इसके लिए खरीदे गए कई उपकरण बेकार हो चुके हैं।
झारखंड ओलंपिक संघ के महासचिव तथा आयोजन समिति के सचिव एसएम हाशमी ने लगभग एक साल पहले ही राष्ट्रीय खेलों के आयोजन पर कुल खर्च की राशि को लगभग एक हजार करोड़ रुपये आंका था।
बहरहाल, इस बार रांची पूरी तैयार दिख रही है। राज्य के प्रशासनिक महकमे के सबसे आला अधिकारी मुख्य सचिव एके सिंह कहते हैं, 'मैं खेलों की तैयारियों से संतुष्ट हूं। थोड़ा विलंब हुआ है, पर मुझे पूरा विश्वास है कि आयोजन के लिहाज से ये अब तक के सर्वोत्कृष्ट राष्ट्रीय खेल साबित होंगे। अब कोई घपला घोटाला भी नहीं होगा। इसकी गारंटी लेता हूं। जमशेदपुर में आयोजित होने वाली पांच स्पर्धाओं तीरंदाजी, बाक्सिंग, भारोत्तोलन, महिला फुटबॉल और घुड़सवारी की तैयारियों से मैं संतुष्ट हूं। आगंतुक खिलाडिय़ों के ठहरने की व्यवस्था के मामले में कुछ कमियां हैं, जिन्हें दूर करने के लिए स्थानीय आयोजन समिति को निर्देश दे दिए गए हैं। हमारी प्राथमिकता इन्हें मितव्ययिता पूर्ण और पारदर्शी तरीके से आयोजित करने की है।Ó मुख्य सचिव का यह भी कहना है कि खेलों को भव्य और अभूतपूर्व बनाने के लिए तैयारियां युद्ध स्तर पर जारी हैं। दैनिक समीक्षा के जरिए सभी कमियों को दूर किया जा रहा है। रेल मंत्रालय से भी आग्रह किया गया है कि खेलों के एक प्रमुख आयोजन स्थल जमशेदपुर से हावड़ा के बीच लगभग आठ माह से बंद रात्रिकालीन रेल सेवा को फिर शुरू कर दिया जाए।
खेलों के आयोजन को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए मुख्य सचिव के साथ राज्य के खेल सचिव सुखदेव सिंह, विशेष खेल सचिव एनएम कुलकर्णी, खेल निदेशक अमिताभ चौधरी, झारखंड ओलंपिक संघ के कोषाध्यक्ष मधुकांत पाठक और स्थानीय समन्वय समिति की अध्यक्ष सह उपायुक्त हिमानी पांडेय लगातार कार्य स्थलों का जायजा ले रहे हैं।




यादगार होगा खेल आयोजन : सुदेश महतो, उपमुख्यमंत्री व खेल मंत्री
सरकार चाहती है कि खेल तय समय पर और शानदार तरीके से हों। सरकार के पास समय कम है। खेलों से जुड़ा भ्रष्टाचार का मुद्दा जरूर है, पर इससे आयोजन में बाधा नहीं आएगी। सफल आयोजन के लिए हम सबको मिल कर कोशिश करनी है। राष्ट्रीय खेलों के इतिहास में पहली बार खिलाडिय़ों को कोलकाता स्थित भारत सरकार के टक्साल में गढ़े गए कीमती स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक दिए जाएंगे। इनकी औसत कीमत करीब पांच हजार रुपये होगी। राज्य सरकार ने राष्ट्रीय खेलों को अविस्मरणीय बनाने के लिए न सिर्फ आठ सौ करोड़ की लागत से 18 अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम तैयार कराए हैं, बल्कि खिलाडिय़ों को कीमती पदक देने के लिए एक करोड़ 40 लाख रुपये देने का फैसला किया है।

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