शुक्रवार, 15 जनवरी 2010

आँसुओं का न कहें...

पहले आंसुओं को संभालने-संजोने की बात होती रही है लेकिन अब आप जल्दी ही आंसुओं को गहनों की तरह पहने लोगों को भी देख सकते हैं। युवतियों में आजकल जिस तरह फैशनेबल कपड़ों का क्रेज बढ़ रहा है, उसी तरह डिजाइनर ज्वेलरी भी उन्हें लुभा रही हैं। कुछ ऐसा ही शगल आज के हुनरमंद प्रोफेशनल्स का भी है। आभूषण के डिजाइन बनाने का काम अब सिर्फ सुनारों का नहीं रह गया है। यह काम सुनारों की दुकानों से निकलकर अब डिग्रीघारी प्रोफेशनल्स के पास आ गया है। तभी तो हर दिन नए प्रयोग किए जा रहे हैं।
इसका ताजा उदाहरण है 'आँसू की ज्वैलरीÓ यानी टियर ज्वैलरी। आंसुओं को संभालने-संजोने की बात तो जाने कितने कवियों और शायरों ने की है, लेकिन अब आप जल्दी ही आंसुओं को गहनों की तरह पहने लोगों को भी देख सकते हैं। जी हां, टैटू और शरीर छिदवाने के बाद ये है अनूठे अलंकारों का नया ट्रेंड, टियर ज्वैलरी। लोगों को सहज विश्वास नहीं हो रहा है। लेकिन सच्चाई तो यही है। एक जमाना था जब लोग निवेश के तौर पर ज्वेलरी खरीदते थे, लेकिन आज यह निवेश नहीं बल्कि लाइफ स्टाइल तथा स्टेटस सिंबल हो गया है। रही सही कसर सास—बहू के सीरियलों ने पूरी कर दी है। अब लोग डिजाइनर ज्वेलरी न सिर्फ पहनते हैं, बल्कि अपने घर को भी सजाने में कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इस प्रकार बदलते ट्रेंड के चलते ज्वेलरी डिजाइनिंग एक बढिय़ा करियर के रूप में युवाओं को अकर्षित कर रहा है। इतना ही नहीं आकर्षण के साथ दिनों दिन इस क्षेत्र में करियर की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं।
तभी तो ज्वैलरी डिजाइनिंग में नित्य नवीन अनुसंधान हो रहे हैं। कुछ समय पूर्व डेली वियर और फैशन को देखते हुए ज्वेलरी के क्षेत्र में नई पहल शुरु हो गई है। सस्ती और फैशनेबल ज्वेलरी को मार्केट में उतारा जा रहा है। यही वजह है कि बीडेड और ग्लास ज्वेलरी का क्रेज बढ़ा है, जो बेहद सस्ती होने के साथ-साथ स्टाइलिश भी है। वजन और डिजाइन में तो यह नंबर वन है। बच्चों से लेकर बुजुर्गो की पसंद को देखते हुए ज्वेलरी उपलब्ध है, जिसमें नेकलेस सेट, ब्रेसलेट, पायल, झुमके, बेल्ट, बैग, रिंग, हेयर बैंड, बिछिया आदि हैं। बीडेड और ग्लास की बनी ये ज्वेलरी डिफरेंट कलर्स में है। टीनएजर्स के लिए ज्यादातर ब्राइट कलर अपनाए गए हैं। वैसे बीडेड और ग्लास ज्वेलरी सौ अलग-अलग रंगों में उपलब्ध है।
तो हालिया घटनाक्रम में लोगों को बेसब्री से 'आँसू के गहनेÓ की लालसा जग गइ्र्र है। ये सचमुच के आंसू नहीं, बल्कि आंसू से दिखने वाले ऐसे गहने हैं जिन्हें आंखों में पहना जा सकता है। क्रिस्टल और फूलों जैसे अलग-अलग आकार वाले यह आंसू महीन तार की मदद से कांटैक्ट लैंस से जुड़े होते हैं, जिन्हें आप आंखों में पहन सकते हैं। धूप में यह ऐसे चमकते जैसे इसे पहनने वाला वाकई रो रहा हो। इसे डिजाइन करने वाले एरिक क्लेरेनबीक कहते हैं कि यह इतनी आरामदायक हैं कि पहनने वाले को पता ही नहीं चलता कि कुछ पहना हुआ है। इससे आपकी आंखों को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचता। आपकी पुतलियों के हिलने के साथ ही यह ज्वैलरी भी हिलती है। बकौल एरिक, ' मैंने इसे प्रायोगिक तौर पर उतारा था लेकिन लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रिया देखते हुए मैं इसे बड़े पैमाने पर बेचने की सोच रहा हूं। फिलहाल तो यह ज्वैलरी एरिक के आनलाइन स्टोर से 200 पौंड में खरीदी जा सकती है।Ó मगर लोगों को उम्मीद है कि जल्द ही यह सामान्य बाजारों में उपलब्ध होगी और चाहने वाले अपनों के सामने आँसू के साथ होंगे। है न नया शगल।
दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैम्पस की छात्रा सृष्टिï कहती है कि अभी तक ज्वेलरी पहनने का क्रेज एक उम्र के बाद ही माना जाता है। छोटी उम्र में ज्वेलरी पहनने का शौक कम हो रहा है, लेकिन बीडेउ और ग्लास ज्वेलरी का नया टें्रड इस मान्यता को बदल रहा है। कुछ लोग ज्वेलरी सिर्फ इसलिए नहीं पहनते , क्योंकि महंगे होने के साथ इनके खो जाने का खतरा बना रहता है। लेकिन बीडेड और ग्लास ज्वेलरी के साथ ऐसा नहीं है, क्योंकि यह सस्ती और स्टाइलिश है। बेहद सस्ती होने के कारण वर्किंग वूमेन को भी ये ज्वेलरी खूब भा रही है। जबसे हमने सुना है कि टियर ज्वैलरी भी बाजार में आने वाली है तो हमारा दिल तो उस पर ही लगा है। कब यहां क्े बाजारों में मिले और हम देेखें।
इसका कारण जहां इस क्षेत्र में प्रोफेशनल्स का आना और टीनएजर्स के च्वाईस में वेरायटी आना है वहीं दूसरी ओर यह बाजार के कारण भी हो रहा है। विशेषकर, पिछले दिनों जिस प्रकार से पारंपरिक धातु सोने के दामों में वृद्घि हुई उसके कारण भी लोग आर्टिफिशिलय ज्वैलरी की ओर मुड़े। एमजीएफ माल स्थित गिफ्ट शाप आर्चीज के संचालक धीरज के मुताबिक इन दिनों आर्टीफिशियल ज्वेलरी की डिमांड बढ़ गई है। वह बताते हैं कि पहले तो सिर्फ युवतियां ही इस तरह की ज्वलेरी के प्रति आकर्षित थी लेकिन अब बड़े-बुजुर्ग भी आर्टीफिशियल ज्वेलरी लेना पसंद कर रहे हैं। वह बताते हैं कि जो ब्रांडेड ज्वेलरी होती है वह अपनी डिजाइन तथा पालिशिंग के चलते महंगी आती है तथा लोग उसे लेने में कोई गुरेज नहीं करते क्योंकि सोना अब लोगों की पहुंच से बाहर होता जा रहा है। सोने के दाम हो या फिर झपटमारी की घटनाएं इन कारणों से आर्टीफिशियल व डिजाइनर ज्वलेरी की न सिर्फ मांग बढ़ी दी है बल्कि उनके भाव भी बढ़ा दिए हैं।

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