बुधवार, 9 सितंबर 2009

ईशारा


ये मौत भी,

मेरे ही ईशारों पर हुई है।

छल किया था,

धोखा दिया था उसने।

मैने उसे समझाया,

चेतावनी दिया,

अपनी गलतियों से बाज आए।

बहुत उपर तक पहुंच है मेरी।


एक अद्रुश्य शक्ति के समक्ष,

जो स्रुष्टि का निर्माता भी है

और चलाता भी है।

मैने क्षमा न करने

और न्याय पाने की

मौन स्वीक्रुति दे दी।

ये मौत भी,

मेरे ही ईशारों पर हुई है।



- अरविन्द झा
bilaspur

2 टिप्‍पणियां:

निर्मला कपिला ने कहा…

मैने क्षमा न करने

और न्याय पाने की

मौन स्वीक्रुति दे दी।

ये मौत भी,

मेरे ही ईशारों पर हुई है।
लाजवाब अभिव्यक्ति है शुभकामनायें

Unknown ने कहा…

bahut hi achhi kavita----our kya kahen.