ओ हो ... आप और आपका मुर्गा। यही तो बोला था उसने। कल ही। आॅफिस में। यूं तो मुर्गा कल खाया नहीं था, लेकिन उसका स्वााद ओ हो... पूरे दिन में कई बार याद आ ही जाता है। आपसी बातचीत में। क्या करूं ? आदत से लाचार। खाने के प्रति अधिक आसक्ति। तभी तो शायद उसने बोला कि आप और आपका मुर्गा।
तभी जेहन में आया कि मैं और मेरा मुर्गा, आखिर क्या है बला ? कितनी है आसक्ति ? लिख ही डालूं। याद तो रहेगा। कल हो न हो। समयगति को कौन जानता है भला! हालांकि, दो-तीन सप्ताह ही हुए होंगे, जब पहली बार मेरे सामने मुर्गे का लजीज व्यंजन परोसा हुआ था और मैंने नहीं खाया था। दुख भी था और सुकून भी। दुख इसलिए कि परोसे गए मुर्गे का लजीज व्यंजन नहीं खा सका। और, सुकून इसलिए कि सामने वाला खुश था। मैंने उसकी भावनाओं का सम्मान किया था। गोया उसने खाने के लिए बोला जरूर था। उसे भी थोड़ी हैरत हुई थी कि मैं और मेरा मुर्गा ? आखिर मिलन कैसे नहीं हुआ!
जब यह लिख रहा था, तो अचानक याद आए दीन दयाल शर्मा। जिन्होंने लिखा था,
मुर्गा बोला नहीं जगाता
अब तुम जागो
अपने आप
कितनी
घड़ियाँ और मोबाइल
रखते हो तुम अनाप-शनाप
मैं भी जगता मोबाइल से
तुम्हें जगाना
मुश्किल है
कब से
जगा रहा हूँ तुमको
तू क्या मेरा मुवक्किल है
समय पे सोना, समय पे जगना
जो भी करेगा
समय पे काम
समय बड़ा
बलवान जगत में
समय करेगा उसका नाम ।
हालांकि, मैं मुर्गे के इस गुण के कारण नहीं, बल्कि उसके लजीज व्यंजनों के कारण कायल हूं।
यह बात तो अधिकतम लोग जानते हैं कि मुर्गा एक ऐसा पक्षी है जो हमारी संस्कृति में रचा-बसा हुआ है। ऐसे साक्ष्य मिलते हैं कि मुर्गे की उत्पत्ति भारत भूमि पर हुई और यहां से ही पूरी दुनिया में मुर्गे को इंसान ले गया। यह भी माना जाता है कि आज मुर्गे की जितनी भी नस्लें सारे जहां में हैं वे सब लाल जंगली मुर्गे गैलस गैलस की वंशज हैं। यह दीगर बात है कि आज लाल जंगली मुर्गा खत्म होने के कगार पर हैं। वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि मुर्गे और मानव जीवन में काफी समानताएं हैं। मानव और मुर्गे के जीनोम में से 50 फीसदी जीन आपस में मेल खाते हैं। दरअसल उन जीनों की डीएनए पर जमावट में फर्क ही उनको स्तनधारी और पक्षी में स्थापित करते हैं। मानव जीनोम के बाद मुर्गा पहला पक्षी है जिसके जीनोम का खुलासा किया जा सका है। मुर्गे के जीनोम के खुलासे से जीव जगत में और खासकर इंसान और अन्य जंतुओं से अनुवांशिकी रिश्तों के राज खुलने की संभावनाएं हैं। नेशनल ह्यूमन जीनोम रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर फ्रांसिस एस कोलिन का कहना है कि जुतओं में जीने के तुलनात्मक अध्ययन से हम मानव के जीन की रचना और कार्य को समझकर मानव के बेहतर स्वास्थ्य की रणनीतियां तैयार कर पाएंगे। मुर्गे के जीनोम के खुलासे से जंतुओं में अनुवांशिकी कड़ियां और वंशवेल को समझने में मदद मिल सकेगी। इसी क्रम में पफर मछली के जीनोम भी पढ़ लिए गए हैं। यह देखने में आया है कि मछलियों में भी इन जीन के प्रतिरूप पाए जाते हैं। मुर्गे के जीनोम के अध्ययन से यह बात सामने आई है कि कैरेटीन नामक प्रोटीन का जीन चमड़ी के पर, पंजे आदि को बनाने में अहम भूमिका अदा करते हैं। इंसानों में यही केरेटीन बालों को बनाता है। वैसे मुर्गे में दूध के प्रोटीन को बनाने वाले, दांत बनाने वाले जीन मौजूद नहीं है। एक मजेदार बात यह है कि मुर्गे में गंध क्षमता कम होती है इसी प्रकार से पक्षियों को स्वाद का भी भान नहीं होता है। जीनों की खोज से कई बीमारियों ओर उनके उपचार के रास्ते खुल सकते हैं।
जंच-पड़ताल में तो यह भी सामने आई है कि मुर्गे में जो जीन अंडे के खोल के निर्धारण के लिए होता है वहीं इसका प्रतिरूप स्तनधारी में हड्डियों में कैल्सिफिकेशन के लिए होता है। पक्षियों के अलावा यह जीन औरों में नहीं देखा गया है। एक और दिलचस्प बात यह है कि मानव में वे जीन मौजूद नहीं है जो अंडे में अलब्यूमिन बनाने के लिए होता है। यानी वे जीन केवल मुर्गे में ही मौजूद हैं। मुर्गे में इंटरल्यूकिन-26 भी होता है जो कि प्रतिरोधक क्षमता के लिए जिम्मेदार जीन होता है। यह जीन मानव में देखा गया है। मुर्गे को पालतू बनाने के कारणों में से प्रमुख है इनकी दिलचस्प लड़ाई। ऐसा माना जाता है कि मुर्गा काफी साहसी होता है। और इस साहसी गुण के कारण ही इसको पालतू बनाया गया। आचार्य भाव प्रकाश द्वारा लिखी आयुर्वेदिक पुस्तक में बताया गया है कि इंसान में बहादुरी के कोई 20 लक्षणों की यदि फेहरिस्त बनाई जाए तो उसमें से चार गुण उसने मुर्गे से पाए हैं। ईसा के जन्म के पहले मुर्गे को नीली घाटी में नहीं देखा गया था। तब न तो मिस्र के दरबार में ही इसका कभी जिक्र हुआ और न ही इस सुन्दर पक्षी पर किसी चित्रकार ने कोई बढिया चित्र बनाया है। इजिप्टवासियों ने भी ऐसा कोई पक्षी नहीं देखा था जो एक बार में काफी अंडे देता हो। जब मुर्गे को पालतू बनाया गया तो इसके बारे में काफी कुछ लिखा गया। एक ऐसा पक्षी जिसके माथे पर चटक लाल रंगी कलगी और शरीर खूबसूरत लाल-काले हरे किंतु चमकदार पंखों से ढका हुआ जब चलता है तो उसकी शान में उसको रास्ता दे दे तो हर कोई अपना काम छोड़कर उसकी बांग की ओर ध्यान दे। जब वह मिस्र के राज दरबार में पहली दफा पहुंचा तो उसे देखने वालों की खासी भीड़ जुटी। ऐसा माना जाता है कि लाल जंगली मुर्गे को सबसे पहले मोहन जोदड़ो और हड़प्पा में 2500-2100 ईसा पूर्व पालतू बनाया। इस दौर के बनाए चित्रों में मुर्गा दिखाई देता है। और अनेक मिट्टी के खिलौनों में भी नर और मादा मुर्गे को दिखाया गया है।
अब बात जरा, मुर्गे का लजीज व्यंजन की। पंजाबी चिकन करी का तो कहना ही क्या। यह चिकन की ऐसी डिश है जिसको देखते ही आपके मुंह में पानी आ जाएगा और आप सोचेगें की इसको झट से बना डाला जाए। पंजाबी चिकन करी को धीमी आंच पर बनाने पर एक अलग ही टेस्ट आता है; आइए पंजाबी चिकन करी डिश बनाते हैं। चार प्याज, दो चम्मच करी पाउडर, आधा कप तेल, एक कप टमैटो सॉस, एक फ्राई चिकन, तीन चैथाई कप गरम पानी। एक पैन में घी डालें। उसमें कटे प्याज और करी पाउडर डालकर 10-15 मिनट तक भूने। उसमें टमैटो सॉस और नमक मिलाएं। अब चिकन डालें। अच्छी तरह मसाले डालकर बिना ढके हुए इसे भूने। जब तक उसमें सॉस पूरी तरह से समा न जाए तब तक इसे भूनते रहें. पकने के बाद चैक करें कि चिकन हुआ या नहीं। अब मिक्सचर में गरम पानी डाल कर पैन को ऊपर से ढंक दें। धीमी आंच पर पांच मिनट तक पकाएं। रोटी के साथ सर्व करें।
क्या आप चिकन की वही रेसिपी खा-खा कर बोर हो चुके हैं ? तो अब समय है कि आप कुछ यूनीक और टेस्टी चिकन रेसिपी ट्राई करें। यहां पर एक बिल्कुल ही अलग और मसालेदार मस्टर्ड चिकन करी बनाने कि विधि बातएंगे। यह चिकन रेसिपी एक बंगाली डिश है, जहां पर हर खाना सरसों के उपयोग से बनता है। इस चिकन रेसिपी में सरसों की महक और स्वाद समाया हुआ है। इस रेसिपी को बनाने के लिये आपको बहुत सारे सफेद राई का उपयोग करना होगा क्योंकि इससे हम पेस्ट बना कर चिकन को मैरीनेट करेंगे और थेाड़ी सी राई ग्रेवी में भी डालेंगे।
सबसे पहले राई के दानों को हरी र्चि के साथ्ज्ञ एक चम्मच पानी डाल कर गाढा पेस्ट पीस लें। इसके बाद चिकन के पीस को धो कर मध्यम आकार में काट कर इस पेस्ट से और मैरीनेड के नीचे दी हुई सामग्रियों से मैरीनेट कर लें। मैरीनेट किये हुए चिकन को फ्रिज में 1 घंटे के लिये रखें। पैन में तेल गरम करें, उसमें चीनी डालें और मध्यम आंच पर उसे भूरा होने दें। फिर कटी हुई प्याज डाल कर 6 मिनट तक भूनें। अब अदरक-लहसुन पेस्ट डाल कर 3 मिनट तक पकाएं। उसके बाद मैरीनेट किया चिकन पीस डाल कर 10 मिनट तक पकाएं। बीच-बीच में चलाती रहें। फिर हल्दी, लाल मिर्च पाउडर, 2 चम्मच सफेद राई का पेस्ट और नमक डाल कर पकाएं। अब गरम पानी डाल कर मिक्स करें पैन में ढक्कन लगा दें और 20 मिनट तक मध्यम आंच पर पकने दें। चिकन पक जाने पर आंच बंद कर के उसे सर्व करें।
पता है हाल ही में दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए हैं। अब लोकसभा की तैयारी जोरो पर है। चुनावी मौसम में मुर्गों की जान पर बन आई है। हर दिन बेहिसाब मुर्गे हलाल किए जा रहे हैं। अपने अजीज मुर्ग दोस्तों को हलाल होते देख सभी मुर्गों में मातम और दहशत का माहौल है। मन में सवाल भी है कि जनता का गला दबाने वाले नेता इस कदर उनकी जान के दुश्मन क्यों बन पड़े हैं। मुर्गों पर नेताओं का जुल्म इस कदर बरपा है कि चूजों ने अंडों से बाहर निकलने से मना कर दिया है। लेकिन दड़बों में बंद मुर्गे जाएं भी तो कहां जाएं। मुर्ग और चूजे जल्द से जल्द चुनाव खत्म होने का इतंजार कर रहे हैं। साथ ही, मुर्गा समुदाय ने चेतावनी दी है कि चुनाव जारी रहे या भाड़ में जाए लेकिन हमारी जान को इतने हल्के में ना लिया जाए। मुर्गा समुदाय का आरोप है कि दिनभर कैंपेनिंग के बाद रात के वक्त नेता अपनी और कार्यकर्ताओं की भूख मिटाने के लिए बेहिसाब मुर्गों की जिंदगी से खेल रहे हैं।
तभी जेहन में आया कि मैं और मेरा मुर्गा, आखिर क्या है बला ? कितनी है आसक्ति ? लिख ही डालूं। याद तो रहेगा। कल हो न हो। समयगति को कौन जानता है भला! हालांकि, दो-तीन सप्ताह ही हुए होंगे, जब पहली बार मेरे सामने मुर्गे का लजीज व्यंजन परोसा हुआ था और मैंने नहीं खाया था। दुख भी था और सुकून भी। दुख इसलिए कि परोसे गए मुर्गे का लजीज व्यंजन नहीं खा सका। और, सुकून इसलिए कि सामने वाला खुश था। मैंने उसकी भावनाओं का सम्मान किया था। गोया उसने खाने के लिए बोला जरूर था। उसे भी थोड़ी हैरत हुई थी कि मैं और मेरा मुर्गा ? आखिर मिलन कैसे नहीं हुआ!
जब यह लिख रहा था, तो अचानक याद आए दीन दयाल शर्मा। जिन्होंने लिखा था,
मुर्गा बोला नहीं जगाता
अब तुम जागो
अपने आप
कितनी
घड़ियाँ और मोबाइल
रखते हो तुम अनाप-शनाप
मैं भी जगता मोबाइल से
तुम्हें जगाना
मुश्किल है
कब से
जगा रहा हूँ तुमको
तू क्या मेरा मुवक्किल है
समय पे सोना, समय पे जगना
जो भी करेगा
समय पे काम
समय बड़ा
बलवान जगत में
समय करेगा उसका नाम ।
हालांकि, मैं मुर्गे के इस गुण के कारण नहीं, बल्कि उसके लजीज व्यंजनों के कारण कायल हूं।
यह बात तो अधिकतम लोग जानते हैं कि मुर्गा एक ऐसा पक्षी है जो हमारी संस्कृति में रचा-बसा हुआ है। ऐसे साक्ष्य मिलते हैं कि मुर्गे की उत्पत्ति भारत भूमि पर हुई और यहां से ही पूरी दुनिया में मुर्गे को इंसान ले गया। यह भी माना जाता है कि आज मुर्गे की जितनी भी नस्लें सारे जहां में हैं वे सब लाल जंगली मुर्गे गैलस गैलस की वंशज हैं। यह दीगर बात है कि आज लाल जंगली मुर्गा खत्म होने के कगार पर हैं। वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि मुर्गे और मानव जीवन में काफी समानताएं हैं। मानव और मुर्गे के जीनोम में से 50 फीसदी जीन आपस में मेल खाते हैं। दरअसल उन जीनों की डीएनए पर जमावट में फर्क ही उनको स्तनधारी और पक्षी में स्थापित करते हैं। मानव जीनोम के बाद मुर्गा पहला पक्षी है जिसके जीनोम का खुलासा किया जा सका है। मुर्गे के जीनोम के खुलासे से जीव जगत में और खासकर इंसान और अन्य जंतुओं से अनुवांशिकी रिश्तों के राज खुलने की संभावनाएं हैं। नेशनल ह्यूमन जीनोम रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर फ्रांसिस एस कोलिन का कहना है कि जुतओं में जीने के तुलनात्मक अध्ययन से हम मानव के जीन की रचना और कार्य को समझकर मानव के बेहतर स्वास्थ्य की रणनीतियां तैयार कर पाएंगे। मुर्गे के जीनोम के खुलासे से जंतुओं में अनुवांशिकी कड़ियां और वंशवेल को समझने में मदद मिल सकेगी। इसी क्रम में पफर मछली के जीनोम भी पढ़ लिए गए हैं। यह देखने में आया है कि मछलियों में भी इन जीन के प्रतिरूप पाए जाते हैं। मुर्गे के जीनोम के अध्ययन से यह बात सामने आई है कि कैरेटीन नामक प्रोटीन का जीन चमड़ी के पर, पंजे आदि को बनाने में अहम भूमिका अदा करते हैं। इंसानों में यही केरेटीन बालों को बनाता है। वैसे मुर्गे में दूध के प्रोटीन को बनाने वाले, दांत बनाने वाले जीन मौजूद नहीं है। एक मजेदार बात यह है कि मुर्गे में गंध क्षमता कम होती है इसी प्रकार से पक्षियों को स्वाद का भी भान नहीं होता है। जीनों की खोज से कई बीमारियों ओर उनके उपचार के रास्ते खुल सकते हैं।
जंच-पड़ताल में तो यह भी सामने आई है कि मुर्गे में जो जीन अंडे के खोल के निर्धारण के लिए होता है वहीं इसका प्रतिरूप स्तनधारी में हड्डियों में कैल्सिफिकेशन के लिए होता है। पक्षियों के अलावा यह जीन औरों में नहीं देखा गया है। एक और दिलचस्प बात यह है कि मानव में वे जीन मौजूद नहीं है जो अंडे में अलब्यूमिन बनाने के लिए होता है। यानी वे जीन केवल मुर्गे में ही मौजूद हैं। मुर्गे में इंटरल्यूकिन-26 भी होता है जो कि प्रतिरोधक क्षमता के लिए जिम्मेदार जीन होता है। यह जीन मानव में देखा गया है। मुर्गे को पालतू बनाने के कारणों में से प्रमुख है इनकी दिलचस्प लड़ाई। ऐसा माना जाता है कि मुर्गा काफी साहसी होता है। और इस साहसी गुण के कारण ही इसको पालतू बनाया गया। आचार्य भाव प्रकाश द्वारा लिखी आयुर्वेदिक पुस्तक में बताया गया है कि इंसान में बहादुरी के कोई 20 लक्षणों की यदि फेहरिस्त बनाई जाए तो उसमें से चार गुण उसने मुर्गे से पाए हैं। ईसा के जन्म के पहले मुर्गे को नीली घाटी में नहीं देखा गया था। तब न तो मिस्र के दरबार में ही इसका कभी जिक्र हुआ और न ही इस सुन्दर पक्षी पर किसी चित्रकार ने कोई बढिया चित्र बनाया है। इजिप्टवासियों ने भी ऐसा कोई पक्षी नहीं देखा था जो एक बार में काफी अंडे देता हो। जब मुर्गे को पालतू बनाया गया तो इसके बारे में काफी कुछ लिखा गया। एक ऐसा पक्षी जिसके माथे पर चटक लाल रंगी कलगी और शरीर खूबसूरत लाल-काले हरे किंतु चमकदार पंखों से ढका हुआ जब चलता है तो उसकी शान में उसको रास्ता दे दे तो हर कोई अपना काम छोड़कर उसकी बांग की ओर ध्यान दे। जब वह मिस्र के राज दरबार में पहली दफा पहुंचा तो उसे देखने वालों की खासी भीड़ जुटी। ऐसा माना जाता है कि लाल जंगली मुर्गे को सबसे पहले मोहन जोदड़ो और हड़प्पा में 2500-2100 ईसा पूर्व पालतू बनाया। इस दौर के बनाए चित्रों में मुर्गा दिखाई देता है। और अनेक मिट्टी के खिलौनों में भी नर और मादा मुर्गे को दिखाया गया है।
अब बात जरा, मुर्गे का लजीज व्यंजन की। पंजाबी चिकन करी का तो कहना ही क्या। यह चिकन की ऐसी डिश है जिसको देखते ही आपके मुंह में पानी आ जाएगा और आप सोचेगें की इसको झट से बना डाला जाए। पंजाबी चिकन करी को धीमी आंच पर बनाने पर एक अलग ही टेस्ट आता है; आइए पंजाबी चिकन करी डिश बनाते हैं। चार प्याज, दो चम्मच करी पाउडर, आधा कप तेल, एक कप टमैटो सॉस, एक फ्राई चिकन, तीन चैथाई कप गरम पानी। एक पैन में घी डालें। उसमें कटे प्याज और करी पाउडर डालकर 10-15 मिनट तक भूने। उसमें टमैटो सॉस और नमक मिलाएं। अब चिकन डालें। अच्छी तरह मसाले डालकर बिना ढके हुए इसे भूने। जब तक उसमें सॉस पूरी तरह से समा न जाए तब तक इसे भूनते रहें. पकने के बाद चैक करें कि चिकन हुआ या नहीं। अब मिक्सचर में गरम पानी डाल कर पैन को ऊपर से ढंक दें। धीमी आंच पर पांच मिनट तक पकाएं। रोटी के साथ सर्व करें।
क्या आप चिकन की वही रेसिपी खा-खा कर बोर हो चुके हैं ? तो अब समय है कि आप कुछ यूनीक और टेस्टी चिकन रेसिपी ट्राई करें। यहां पर एक बिल्कुल ही अलग और मसालेदार मस्टर्ड चिकन करी बनाने कि विधि बातएंगे। यह चिकन रेसिपी एक बंगाली डिश है, जहां पर हर खाना सरसों के उपयोग से बनता है। इस चिकन रेसिपी में सरसों की महक और स्वाद समाया हुआ है। इस रेसिपी को बनाने के लिये आपको बहुत सारे सफेद राई का उपयोग करना होगा क्योंकि इससे हम पेस्ट बना कर चिकन को मैरीनेट करेंगे और थेाड़ी सी राई ग्रेवी में भी डालेंगे।
सबसे पहले राई के दानों को हरी र्चि के साथ्ज्ञ एक चम्मच पानी डाल कर गाढा पेस्ट पीस लें। इसके बाद चिकन के पीस को धो कर मध्यम आकार में काट कर इस पेस्ट से और मैरीनेड के नीचे दी हुई सामग्रियों से मैरीनेट कर लें। मैरीनेट किये हुए चिकन को फ्रिज में 1 घंटे के लिये रखें। पैन में तेल गरम करें, उसमें चीनी डालें और मध्यम आंच पर उसे भूरा होने दें। फिर कटी हुई प्याज डाल कर 6 मिनट तक भूनें। अब अदरक-लहसुन पेस्ट डाल कर 3 मिनट तक पकाएं। उसके बाद मैरीनेट किया चिकन पीस डाल कर 10 मिनट तक पकाएं। बीच-बीच में चलाती रहें। फिर हल्दी, लाल मिर्च पाउडर, 2 चम्मच सफेद राई का पेस्ट और नमक डाल कर पकाएं। अब गरम पानी डाल कर मिक्स करें पैन में ढक्कन लगा दें और 20 मिनट तक मध्यम आंच पर पकने दें। चिकन पक जाने पर आंच बंद कर के उसे सर्व करें।
पता है हाल ही में दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए हैं। अब लोकसभा की तैयारी जोरो पर है। चुनावी मौसम में मुर्गों की जान पर बन आई है। हर दिन बेहिसाब मुर्गे हलाल किए जा रहे हैं। अपने अजीज मुर्ग दोस्तों को हलाल होते देख सभी मुर्गों में मातम और दहशत का माहौल है। मन में सवाल भी है कि जनता का गला दबाने वाले नेता इस कदर उनकी जान के दुश्मन क्यों बन पड़े हैं। मुर्गों पर नेताओं का जुल्म इस कदर बरपा है कि चूजों ने अंडों से बाहर निकलने से मना कर दिया है। लेकिन दड़बों में बंद मुर्गे जाएं भी तो कहां जाएं। मुर्ग और चूजे जल्द से जल्द चुनाव खत्म होने का इतंजार कर रहे हैं। साथ ही, मुर्गा समुदाय ने चेतावनी दी है कि चुनाव जारी रहे या भाड़ में जाए लेकिन हमारी जान को इतने हल्के में ना लिया जाए। मुर्गा समुदाय का आरोप है कि दिनभर कैंपेनिंग के बाद रात के वक्त नेता अपनी और कार्यकर्ताओं की भूख मिटाने के लिए बेहिसाब मुर्गों की जिंदगी से खेल रहे हैं।
1 टिप्पणी:
24 august 2012 ko maine blog par kuchh likha tha murge ke baare me:
http://padmanabh.blogspot.in/2012/08/the-saga-of-chicken.html
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