शुक्रवार, 21 मई 2010

कालू राम की दिल्ली

कौन है कालू राम :
एक ऐसा इनसान जो जीवन के तमाम अनुभवों का देख चुका है। तमाम सिद्घांतों और नैतिकता पर 'जुगाड़ तंत्रÓ किस कसद हावी होता है, उसका प्रत्यक्ष गवाह है। देश के नौकरशाही-राजनेताओं की गठजोड़ में किस कदर आगे बढऩे के लिए 'यस सर...Ó जरूरी है, इसको भी बताता है।एक सामान्य सामाजिक परिवेश से दिल्ली आकर वह बड़े फलक में तमाम चीजों को देखने लगता है। समय के साथ उसकी सोच बदलती है। मान्यताएं बदल जाती है। अराध्य बदलते हैं। रिश्तों की परिभाषा बदल जाती है। नहीं बदलती है तो पैसों की माया? और इसी बल पर जीवन में तमाम चीजों को हासिल करता है कालू राम। लेकिन जीवन के उत्तरार्ध में उसे वास्तविक स्थिति का भान होता है। वह अपने जड़ों की ओर लौटना चाहता है। लेकिन नहीं लौट पाता है। जीवन के तमाम झंझावातों से रू-ब-रू होता है वह।

दिल्ली क्या है :
दिल्ली , आस-पास के कुछ जिलों के साथ भारत का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र है। इसमें नई दिल्ली सम्मिलित है जो ऐतिहासिक पुरानी दिल्ली के बाद बसा था। यहाँ केन्द्र सरकार की कई प्रशासन संस्थायें हैं। औपचारिक रूप से नई दिल्ली भारत की राजधानी है। 1483 वर्ग किलोमीटर (572 वर्ग मील) में फैली दिल्ली भारत का दूसरा तथा दुनिया का आठवां सबसे बड़ा महानगर है। यहाँ की जनसंख्या लगभग 1.4 करोड है। यहाँ बोली जाने वाली मुख्य भाषायें है: हिन्दी, उर्दू, पंजाबी, और अंग्रेज़ी। दिल्ली का ऐतिहासिक महत्त्व उत्तर भारत में इसके स्थान पर है। इसके दक्षिण पश्चिम में अरावली पहाडिय़ां और पूर्व में यमुना नदी है, जिसके किनारे यह बसा है। यह प्राचीन समय में गंगा के मैदान से होकर जानेवाले वाणिज्य पथों के रास्ते में पडऩे वाला मुख्य पड़ाव था।यमुना नदी के किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। यह भारत का अतिप्राचीन नगर है। इसके इतिहास की शुरुआत सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ी हुई है। हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं। महाभारत काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ था। दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सास्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी। यहाँ कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता हैं। 1639 में मुगल बादशाह शाहजहाँ नें दिल्ली में ही एक चहारदीवारी से घिरे शहर का निर्माण करवाया जो1679 से 1857 तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही। 18वीं एवं 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लगभग पूरे भारत को अपने कब्जे में ले लिया। इन लोगों ने कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया। 1911 में अंग्रेजी सरकार ने फैसला किया कि राजधानी को वापस दिल्ली लाया जाए। इसके लिए पुरानी दिल्ली के दक्षिण में एक नए नगर नई दिल्ली का निर्माण प्रारम्भ हुआ। अंग्रेजों से 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त कर नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों से लोगों का प्रवासन हुआ, इससे दिल्ली के स्वरूप में आमूल परिवर्तन हुआ। विभिन्न प्रान्तो, धर्मों एवं जातियों के लोगों के दिल्ली में बसने के कारण दिल्ली का शहरीकरण तो हुआ ही यहाँ एक मिश्रित संस्कृति नें भी जन्म लिया। आज दिल्ली भारत की एक प्रमुख राजनैतिक, सास्कृतिक एवं वाणिज्यिक केन्द्र है।
कैसे हुआ इसका नामकरण :
इस नगर का नाम 'दिल्लीÓ कैसे पड़ा इसका कोई निश्चित संदर्भ नहीं मिलता लेकिन व्यापक रूप से यह माना गया है कि यह एक प्राचीन राजा 'ढिल्लुÓ से सम्बन्धित है। कुछ इतिहासकारों का यह मानना है कि यह देहली का एक विकृत रूप है, जिसका हिन्दुस्तानी में अर्थ होता है 'चौखटÓ,जो कि इस नगर के सम्भवत: सिन्धु-गंगा समभूमि के प्रवेश-द्वार होने का सूचक है। एक और अनुमान के अनुसार इस नगर का प्रारम्भिक नाम 'ढिलिकाÓ था। हिन्दी/प्राकृत 'ढीलीÓ भी इस क्षेत्र के लिये प्रयोग किया जाता था जो अन्तत: 'दिल्लीÓ बन गया।
महाकाव्य महाभारत काल से ही दिल्ली का विशेष उल्लेख रहा है। दिल्ली का शासन एक वंश से दूसरे वंश को हस्तांतरित होता गया। यह मौर्यों से आरंभ होकर पल्लवों तथा मध्य भारत के गुप्तों से होता हुआ 13वीं से 15वीं सदी तक तुर्क और अफगान और अंत में 16वीं सदी में मुगलों के हाथों में पहुंचा। 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध और 19वीं सदी के पूर्वार्द्ध में दिल्ली में अंग्रेजी शासन की स्थापना हुई। 1911 में कोलकाता से राजधानी दिल्ली स्थानांतरित होने पर यह शहर सभी तरह की गतिविधियों का केंद्र बन गया। 1956 में इसे केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा प्राप्त हुआ। देश के उत्तरी भाग में स्थित दिल्ली पूर्व दिशा को छोडकर सभी ओर से हरियाणा राज्य से घिरी है, पूर्व में उत्तर प्रदेश की सीमा इससे लगती है। दिल्ली के इतिहास में 69वां संविधान संशोंधन विधेयक एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसके फलस्वरूप राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अधिनियम, 1991 में लागू हो जाने से दिल्ली में विधानसभा का गठन हुआ।
कृषिगेहूं, बाजरा, ज्वार, चना और मक्का यहां की प्रमुख फसलें हैं, लेकिन अब किसान अनाज वाली फसलों की बजाय फलों और सबिजयों, दुग्ध उत्पादन, मुर्गी पालन, फूलों की खेती को ज्यादा महत्व दे रहे हैं। ये गतिविधियां खाद्यान्नों, फसलों के मुकाबले अधिक लाभदायक साबित हुई हैं।
उद्योगदिल्ली न केवल उत्तर भारत का सबसे बडा व्यावसायिक केंद्र है, बल्कि यह लघु उद्योगों का भी सबसे बडा केंद्र है। इनमें टेलीविजन, टेपरिकार्डर, हल्का इंजीनियरिंग साज-सामान, मशीनें, मोटरगाडियों के हिस्से पुर्जे, खेलकूद का सामान, साइकिलें, पी.वी.सी. से बनी वस्तुएं जूते-चप्पल, कपडा, उर्वरक, दवाएं, हौजरी का सामान, चमड़े की वस्तुएं, साफ्टवेयर आदि विभिन्न वस्तुएं बनाई जाती हैं।
नई सहस्राब्दी के लिए दिल्ली की नई औद्योगिक नीति के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकम्यूनिकेशन, साफ्टवेयर उद्योग तथा सूचना प्रौद्योगिकी को समर्थ सेवा बनाने वाले उद्योग लगाने पर बल दिया गया है। दिल्ली में ऐसी औद्योगिक इकाइयां लगाने को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, जिनसे प्रदूषण नहीं फैलता और जिनमें कम कामगारों की आवश्यकता होती है। दिल्ली राज्य औद्योगिक विकास निगम ओखला स्थित व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र के भवन में रत्न, आभूषण और परख तथा मीनाकारी का एक प्रशिक्षण संस्थान खोल रहा है।
रिहाइशी और उद्योगों के लिए वर्जित क्षेत्रों में काम कर रही इकाइयों को दूसरे स्थानों पर ले जाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार ने 1,900 एकड़ भूमि बवाना, होलंबी कलां और होलंबी खुर्द तथा नरेला में नए औद्योगिक परिसर के विकास के लिए अधिग्रहीत की है। नरेला में 900 पलांट विकसित किए जा चुके हैं तथा 600 अन्य प्लांट तैयार किए जा रहे हैं। झिलमिल औद्योगिक क्षेत्र में 378 घरेलू फैक्ट्ररियां बनाने का काम पूरा हो चुका है। भोरगढ औद्योगिक संपदा के लिए 450 एकड़ भूमि का विकास किया जा रहा है। इसके अलावा एक विशाल औद्योगिक क्षेत्रों के विकास के लिए कंझावला/कारला में 652 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया।
सिंचाई और बिजलीदिल्ली के गांवों का तेजी से शहरीकरण होने की वजह से सिंचाई के अंतर्गत आने वाली खेती योग्य भूमि धीरे-धीरे कम होती जा रही है। राज्य में 'केशोपुर प्रवाह सिंचाई योजना चरण तृतीयÓ तथा 'जल संशोधन संयंत्र से सुधार एवं प्रवाह विस्तार सिंचाई प्रणालीÓ नामक दो योजनाएं चलाई जा रही है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्र में 350 हेक्टेयर की सिंचाई राज्य नलकूपों द्वारा और 1,376 हेक्टेयर की सिंचाई अतिरिक्त पानी द्वारा की जा रही है। इसके अलावा 4,900 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हरियाणा सरकार के अधीन पश्चिमी यमुना नहर द्वारा की जा रही है।
दिल्ली के लिए इसकी अपनी उत्पादन इकाइयों-राजघाट बिजली घर, इंद्रप्रस्थ स्टेशन और बदरपुर ताप बिजलीघर सहित गैस टरबाइन पर आधारित इकाई से 850-900 मेगावाट बिजली प्राप्त होती है। शेष बिजली उत्तर क्षेत्रीय ग्रिड से प्राप्त की जाती है। दिल्ली में कई बिजली उत्पादन इकाइयां शुरू करने की योजना है। इंद्रप्रस्थ एस्टेट में प्रगति कंबाइंड पावर प्रोजेक्ट स्थापित किया जा चुका है। 330 मेगावाट प्रगति पावर परियोजना निर्माणाधीन है और जल्दी ही चालू होने वाली है। इसके 100 मेगावाट वाले प्रथम चरण को परीक्षण के लिए शुरू कर दिया गया है। प्रगति ढ्ढढ्ढ के अंतर्गत गैस पर आधारित 330 मेगावाट तथा बवाना में लगाई जाने वाली 1000 मेगावाट की परियोजनाओं पर काम चल रहा है।
बिजली वितरण को सुचारू बनाने के लिए दिल्ली विद्युत बोर्ड का निजीकरण कर दिया गया है और दिल्ली की बिजली व्यवस्था अब देश की दो जानी मानी-संस्थाओं-बी.एस.ई.एस. तथा टाटा पावर (एन.डी.पी.एल) द्वारा देखी जा रही है।
परिवहनदिल्ली सडकों , रेल लाइनों और विमान सेवाओं के जरिये भारत के सभी भागों से भलीभांति जुड़ी हुई है। यहां तक तीन हवाई अड्डे हैं। इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए पालम हवाई अड्डा घरेलू उड़ानों के लिए तथा सफदरजंग हवाई अडडा प्रशिक्षण उड़ानों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। दिल्ली में तीन महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन भी हैं। ये दिल्ली जंक्शन, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के नाम से जाने जाते हैं। तीन अंतर्राष्ट्रीय बस अड्डे-कश्मीरी गेट, सराय काले खां और आनंद विहार में हैं।
दिल्ली शहर में बढ़ते वाहन प्रदूषण और यातायात की अस्त-व्यस्त स्थिति को देखते हुए भारत सरकार ने मास रैपिड ट्रांजिट प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया। यह परियोजना कार्यान्वित की जा रही है और इसमें अति आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। मेट्रो रेल परियोजना दिल्ली में आ गई है। अब दिल्ली मेट्रो के प्रथम चरण में तीन मेट्रो कारीडोर हैं जो रिकार्ड समय में पूरे होकर काम भी करने लगे हैं। शाहदरा से रिठाला और दिल्ली विश्वविद्यालय से केंद्रीय सचिवालय के बीच लाइनें बिछ गई हैं और इन पर गाडियां भी चलने लगी हैं। बाराखंभा और द्वारका के बीच तीसरी लाइन भी चालू हो गई है। दिल्ली मेट्रो के द्वितीय चरण को भी स्वीकृत मिल गई है जिससे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के यात्रियों को बेहतर संपर्क सुविधा प्राप्त हो सकेगी।
त्योहारमहानगर होने की वजह से यहां भारत के सभी प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं। इनके अलावा दिल्ली पर्यटन और परिवहन विकास निगम कुछ वार्षिक उत्सवों का भी आयोजन करते हैं। ये है: रोशनआरा उत्सव, शालीमार उत्सव, कुतुब उत्सव, शीतकालीन मेला, उद्यान और पर्यटन मेला, जहाने-खुसरो उत्सव तथा आम महोत्सव।
पर्यटन स्थल
जंतर मंतर, नई दिल्ली दिल्ली के प्रमुख पर्यटन केंद्रों में लालकिला, जामा मस्जिद, कुतुब मीनार, इंडिया गेट, लक्ष्मीनारायण (बिडला) मंदिर, हुमायूं का मकबरा और लोटस टैंपल आदि प्रमुख हैं। दिल्ली राज्य पर्यटन और परिवहन विकास निगम पर्यटकों को यहां के विभिन्न स्थानों की सैर कराने के लिए विशेष बस सेवाएं चलाता है। निगम ने पैरा सेलिंग, रॉक क्लाइंबिंग और बोटिंग जैसी साहसिक गतिविधियों के लिए सुविधाएं विकसित की हैं। निगम ने Óदिल्ली हाटÓ का विकास किया है, जहां काफी और विभिन्न राज्यों की खाद्य वस्तुएं एक जगह उपलब्ध हैं। दिल्ली के विभिन्न भागों में ऐसी ही 'हाटÓ बनाने की योजना है। निगम दिल्ली के अनेक भागों में 'कॉफी होमÓ भी चला रहा है। दिल्ली के दक्षिणी जिले में 'पंचेंद्रियों का पार्कÓ भी खुला है जो दिल्ली में आने वाले बहुत-से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।

कैसी है कालू राम की दिल्ली :
दिल्ली का वह स्थान जो अन्यान्य कारणों से सुर्खियों में रहता है, से वास्ता रहता है कालू राम का। सत्तर के दशक में वह पहली बार दिल्ली आता है तो यह भी उसके दूसरे घर जैसा लगता है। यहां के लोग भी निष्कपट जान पड़ते हैं। अस्सी के दशक में वह थोड़ा सांप्रदायिक होता है। नब्बे में आकर तो उस पर बाजार वाद हावी हो जात है। सूचना-क्रांति ने बेशक सर्वसंपन्न बना दिया लेकिन मानवीय संवेदनाएं छीजती चली गईं। आपसी रिश्तों की कोई अहमियत नहीं दिखाई पड़ते। कई लोग जो पहले अपने कहाते थे, स्वार्थ के वशीभूत होकर दूर होते चले गए। संतान भी अपने अहं की पूर्ति के बाद चलते बने। नहीं गईं तो उनकी अर्धांगिनी और एक मित्र। जिनको अहमियत नहीं देता रहा कालू राम।

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