सोमवार, 19 अक्तूबर 2009

भाग रहे हैं पाकिस्तानी हिंदू

एक ओर भारत-पाक संबंधों में सुधार की बात की जाती है, लेकिन दूसरी ओर पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति दयनीय है और हजारों की संख्या में हिंदू पलायन कर रहे हैं। पाकिस्तान में बढ़ते अत्याचारों से दुखी होकर पिछले 3 सालों में करीब 8 हजार हिन्दू पाकिस्तानी जोधपुर आकर डेरा डाल चुके हैं। वहां से लौटकर आए हिन्दू पाकिस्तानियों की माने तो हिन्दू लड़कियां को उठा कर ले जाने का सिलसिला आज भी जारी है।
पाकिस्तान में राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का शासन समाप्त होने के बाद से भारी संख्या में हिन्दू भारत लौट रहे हैं। कराची से भारत के मुनाबाव के बीच चलने वाली थार एक्सप्रेस से प्रति फेरे में करीब 40-50 हिन्दू भारत आ रहे हैं। साथ ही बड़ी संख्या में हिन्दुओं ने भारत लौटने के लिए वीजा का आवेदन किया है। तालिबान के अत्याचार से परेशान होकर हिन्दू या तो इस्लाम कबूल कर रहे हैं या मजबूर होकर भारत का रूख कर रहे हैं।
पाकिस्तान में हिन्दुओं की हालत काफी दयनीय और चिंताजनक है। पाकिस्तान के उत्तरपश्चिम सीमांत प्रांत में बट्टाग्राम जिले में तालिबान का प्रतिनिधि होने का दावा करने वाले एक फोनकर्ता ने अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय से जजिया कर के रूप में 60 लाख रुपए की मांग की। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार एक व्यक्ति ने तालिबान प्रतिनिधि होने का दावा करते हुए फोन कर एक स्थानीय हिंदू नेता से कहा कि वह बट्टाग्राम के हिंदुओं से 60 लाख रुपए की रकम जमा करें और तालिबान को अदा करें। फोनकर्ता ने कहा है कि बट्टाग्राम में रहने वाले सभी अल्पसंख्यकों को जजिया कर देना होगा। गौरतलब है कि पिछले माह औराकजइ कबायली इलाके में स्थित सिख परिवारों से 5 करोड़ रुपए की मांग की गई ती। जब वे यह रकम नहीं दे सके तो उग्रवादियों ने उनके घर जला डाले और उनकी दुकानें लूट ली थीं।
भारत पहुंचे पाकिस्तान के रहिमियार खान जिले के निवासी राणाराम के अनुसार, 'कट्टरपंथी तालिबानी उसकी पत्नी को उठाकर ले गए और बलात्कार किया तथा जबरन मुसलमान बना दिया। उसकी छोटी बच्ची को भी शबीना बना दिया।Ó यह हादसा केवल राणाराम के ही साथ नहीं हुआ है। पाक में हिन्दुओं में सबसे ज्यादा खौफ जबरन मुसलमान बनाने को लेकर है। मुसलमान होने पर ही उन्हें नौकरियां दी जाती हैं। तालिबानियों ने रहिमियार खान, उमरकोट, डिप्लो, सांगढ, खोखरापार, खिपरो, कराची आदि में धर्म परिवर्तन के लिए नए केन्द्र खोल रखे हैं। अपना घर, अपना सबकुछ छोड़कर, यहां तक की अपना परिवार तक छोड़कर, आना आसान नहीं है। लेकिन इन लोगों का कहना है कि उनके पास वहां से भागने के अलावा कोई चारा नहीं था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार यह वाकया हाल-फिलहाल के दिनों में शुरू नहीं हुए हैं, बल्कि वर्ष 1965 से सिलसिला शुरू है। गत दो वर्षों में 10 हजार से ज्यादा अल्पसंख्यक हिन्दू पाकिस्तान से भारत लौट चुके हैं। करीब 5 हजार हिन्दू प्रतिवर्ष पाकिस्तान से भारत लौट रहे हैं। पाकिस्तान से हिन्दुओं के भारत आने का सिलसिला 1965 में शुरू हुआ। भारत-पाक युद्ध के चलते करीब 15 हजार हिन्दू भारत आए। 1971 के युद्ध में करीब 90 हजार से ज्यादा हिन्दू शरणार्थियों ने भारत की शरण ली। अब यह संख्या बढ़कर साढे तीन लाख हो गई है। लौटने वाले अधिकतर हिन्दू जैसलमेर, बाडमेर, जोधपुर, जालोर, बीकानेर और गुजरात, हरियाणा तथा दिल्ली में हैं। बताया जाता है कि पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान में हो रहे अत्याचारों से तंग आकर हमेशा के लिए भारत आ रहे हिन्दुओं की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। थार एक्सप्रेस के हर फेरे में करीब 12 से 15 परिवार भारत लौट रहे हैं। लौटने वालों में ज्यादातर रहिमियार खां और मीरार खास आदि जिलों के निवासी है।
काबिलेगौर है कि 2006 में पहली बार भारत-पाकिस्तान के बीच थार एक्सप्रेस की शुरुआत की गई थी। हफ्ते में एक बार चलनी वाली यह ट्रेन कराची से चलती है भारत में बाड़मेर के मुनाबाओ बॉर्डर से दाखिल होकर जोधपुर तक जाती है। पहले साल में 392 हिंदू इस ट्रेन के जरिए भारत आए। 2007 में यह आंकड़ा बढ़कर 880 हो गया। पिछले साल कुल 1240 पाकिस्तानी हिंदू भारत जबकि इस साल अगस्त तक एक हजार लोग भारत आए और वापस नहीं गए हैं। वह इस उम्मीद में यहां रह रहे हैं कि शायद उन्हें भारत की नागरिकता मिल जाए, इसलिए वह लगातार अपने वीजा की अवधि बढ़ा रहे हैं। गौर करने लायक बात यह है कि यह आंकड़े आधिकारिक हैं, जबकि सूत्रों का कहना है कि ऐसे लोगों की संख्या कहीं अधिक है जो पाकिस्तान से यहां आए और स्थानीय लोगों में मिल कर अब स्थानीय निवासी बन कर रह रहे हैं। अधिकारियों का इन विस्थापितों के प्रति नरम व्यवहार है क्योंकि इनमें से ज्यादातर लोग पाकिस्तान में भयावह स्थिति से गुजरे हैं। वह दिल दहला देने वाली कहानियां सुनाते हैं। बकौल मुुनाबाओ रेलवे स्टेशन के इमिग्रेशन ऑफिसर हेतुदन चरण, ' भारत आने वाले शरणार्थियों की संख्या अचानक बढ़ गई है। हर हफ्ते 15-16 परिवार यहां आ रहे हैं। लेकिन इनमें से कोई भी यह स्वीकार नहीं करता कि वह यहां बसने के इरादे से आए हैं। लेकिन आप उनका सामान देखकर आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं कि वह शायद अब वापस नहीं लौटेंगे।Ó बाड़मेर और जैसलमेर में शरणार्थियों के लिए काम करने वाले सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढ़ा के अनुसार, 'भारत में शरणार्थियों के लिए कोई पॉलिसी नहीं है। यही कारण है कि पाकिस्तान से भारी संख्या में लोग भारत आ रहे हैं। पाकिस्तान के साथ बातचीत में भारत सरकार शायद ही कभी पाकिस्तान में हिदुंओं के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहार व अत्याचार का मुद्दा नहीं उठाती है।Ó कुछ संगठनों का कहना है कि 2004-05 में 135 शरणार्थी परिवारों को भारत की नागरिकता दी गई, लेकिन बाकी लोग अभी भी अवैध तरीके से यहां रह रहे हैं। यहां पुलिस इन लोगों पर अत्याचार करती है। पाकिस्तान के मीरपुर खास शहर में दिसंबर 2008 में करीब 200 हिदुओं को इस्लाम धर्म कबूल करवाया गया। बहुत से लोग ऐसे हैं जो हिंदू धर्म नहीं छोडऩा चाहते लेकिन वहां उनके लिए सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं।

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