सोमवार, 12 अक्तूबर 2009

नक्सलियों को धन मुहैया कराते एनजीओ

एक ओर प्रदेश स्तर से लेकर केंद्रीय सरकार नक्सलियों पर नकेल कसने की बात करती हैं, लेकिन विभिन्न एनजीओ के माध्यम से विदेशों से मिलने वाले धन के बल पर नक्सली अपने मंसूबों को पालने में सक्षम हो रहे हैं। प्रदेश की सत्ता पर पिछले तीन दशक से वाम मोर्चा काबिज है और इसी दरम्यान नक्सली गतिविधि भी अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती दिखी। जब केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद ऑपरेशन लालगढ़ चलाया गया तो कुछ दिन बाद ही प्रदेश सत्ता ने अपने तथाकथित वोट बैंक को बिखरता देख पूरे ऑपरेशन पर सवालिया निशान लगा दिया। कहा गया कि यह नक्सलियों की जीत रही। हालिया घटनाक्रम में इस प्रकार के संकेत मिल रहे हैं कि नक्सली संगठनों को विदेशों से पैसा मिल रहा है और उसका माध्यम कई गैर सरकारी स्वयंसेवी संगठन (एनजीओ) हैं। इसकी स्वीकारोक्ति पश्चिम बंगाल पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने भी की है।
राज्य के पुलिस महानिदेशक भूपिंदर सिंह ने बताया कि कुछ गैर सरकारी संगठनों द्वारा जनजातियों के कल्याण के नाम पर लिए जा रहे विदेशी धन का कुछ हिस्सा नक्सलियों के पास पहुंच रहा है। उन्होंने कहा कि भूमि उच्छेद प्रतिरोध समिति (बीयूपीसी) के साथ नक्सलियों के संबंध हैं। इसी संगठन ने सरकार के प्रस्तावित केमिकल हब के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया था। तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस जैसी कुछ पार्टियां बीयूपीसी का हिस्सा हैं।
जाहिरतौर पर कोई भी संगठन बगैर आर्थिक मदद के नहीं चल सकता। सो, नक्सली संगठनों को भी विदेशों से धन मिलना कोई आश्चर्य पैदा नहीं करता। गौर करने योग्य तथ्य यह भी है कि कुछ समय पूर्व पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकत्ता से महज 150 किलोमीटर दूर स्थित लालगढ़ के पुलिस स्टेशन पर महीनो से ताले पड़े थे ,सरकारी अमला लगभग पुरे वेस्ट मिदनापुर इलाके से भाग खड़े हुए थे । पश्चिम बंगाल सरकार त्राहिमाम संदेश लगातार केन्द्र को भेज रही थी । रॉयटर्स बिल्डिंग में पिछले 30 सालों से जड़ जमा चुके वाम दल की सरकार को यह एहसास हो गया था कि नक्सालियों का अगला मुकाम कोलकत्ता ही है । तभी तो ख़ुद केंद्रीय गृह मंत्री 'ऑपरेशन लालगढ़Ó का नेतृत्व कर रहे थे । तकऱीबन 20 हजार फॉर्स नक्सालियों के किलेबंदी को तोडऩे के लिए लगे हुए थे । इस अभियान में तकऱीबन 1000 गाँव में पैर पसार चुके नक्सालियों को खदेरने की पुरी रणनीति दिल्ली में बनाई गई थी । कह सकते है कि मुल्क के 80 जिलों में अपना मजबूत आधार बना चुके नक्सालियों के लिए यह एक संदेश था कि उनका दिन अब लदने वाला है । लेकिन ऐसा नहीं हुआ । पूरे अभियान में फॉर्स के विरोध के लिए जनता खड़ी रही और नाक्सली पीछे से उनका नेतृत्व करते रहे । इस अभियान में एक भी नाक्सली कमांडर पकड़े नहीं गए और न ही नक्सालियों कोई नुकसान उठाना पड़ा । कहा गया कि नाक्साली मैदान छोड़ चुके है । केन्द्र सरकार इसे बड़ी कामयाबी मान रही थी । लेकिन इन इलाकों में एक के बाद एक वाम दल के कार्यकर्ताओं की मौत ने यह साबित कर दिया कि सरकार का यह दावा ग़लत था । पश्मिम बंगाल सरकार अपने 19 कार्यकर्ताओं की मौत से इस कदर आहत हुई कि उसने पूरे ऑपरेशन पर ही सवाल उठा दिया।
जाहिर है कार्यकर्ताओं के भरोसे हुकूमत चलाने वाली वाम दल सरकार को यह यकीं हो चला है कि आम लोगों का उनसे भरोसा उठ चुका है । जाहिर है इस भरोसे को माओवादियों ने जीता है यही वजह है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में हुकूमत को कोई खुफिया जानकारी मिलना मुश्किल है । यानि नक्सल के इस तथाकथित क्रान्ति में सीधे तौर पर आम लोगों का सहयोग है । ऐसा क्यों हुआ इसका जवाब 30 साल से पश्मिम बंगाल में शाशन करने वाली सरकार ही दे सकती है ।
इसी परिप्रेक्ष्य में राजद सुप्रीमो और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद ने पश्चिम बंगाल को नक्सली गतिविधियों का विश्वविद्यालय करार दिया था। लालू यादव के अनुसार, 'पश्चिम बंगाल नक्सलियों की यूनिवर्सिटी है, जहां पर उन्हें हथियार चलाने और नक्सली गतिविधियों के संचालन की ट्रेनिंग दी जाती है। नक्सली राज्य में हिंसा की ट्रेनिंग लेकर दूसरे राज्यों में नक्सली वारदातों को अंजाम देते हैं।Ó हालात इस कदर बदत्तर हो रहे हैं कि नक्सलियों ने सरकार से सशर्त वार्ता की पेशकश की है। हालांकि, इस बारे में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रई बुद्धदेब भट्टाचार्य ने फि़लहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। इस बीच देश में बढ़ती नक्सली हिंसा से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ी कार्य योजना तैयार कर लेने का दावा किया है। महाराष्ट्र, हरियाणा और अरुणाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों के निपटने के बाद इस योजना पर काम शुरू होगा। नक्सलियों के ख़िलाफ़ ऑपरेशन के अलावा इस योजना के तहत प्रभावित इलाकों के विकास के लिए भी धन राशि मुहैया कराई जाएगी।

1 टिप्पणी:

arvind ने कहा…

subhashji, yadi sc/st welfare ka paisa naxalites ke pass jaa raha hai, to yeh gambhir vishay hai,jaha tak mai manta hun adhiktar hindu dharm ke naam per matho our guruo ko daan dete hai our musalman majhab ke naam per terrorist ko------dukh ki baat hai,real charity is missing.