शनिवार, 30 मई 2015

सीएम-एलजी में धींगामुश्ती



दिल्ली में आजकल गर्मी बहुत है। लोग बेहाल हैं। सियासी गलियारों में भी मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उपराज्यपाल नजीब जंग के बीच टकराव से नौकरशाह को अधिक तपिश की अनुभूति हो रही है। असल में दोनों के दोनों राजनीतिक पृश्ठभूमि से नहीं आते। दोनों ही नौकरशाही के अनुभव के चश्मे से साथ अपने मौजूदा मुकामों पर पहुंचे हैं। दोनों में से एक भी अगर राजनेताओं के कद का होता तो आपसी संवाद और समझौते की राह निकाल लेता जैसा कि आमतौर पर राज्यों में निर्वाचित मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों के बीच होता है। दोनों ही अपने-अपने नौकरशाही के संस्कारों के साथ राजनीतिक परिणामों वाले टकराव में जुटे हुए हैं। नजीब जंग भारतीय प्रशासनिक सेवा के लंबे अनुभव के बाद अपने वर्तमान पद पर पहुंचे हैं और केजरीवाल भारतीय राजस्व सेवा में अपनी सेवाएं देने के बाद। इसलिए दिल्ली सरकार की नौकरशाही पर नियंत्रण का मामला आसानी से निपटने वाला नहीं है।
असल में ल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उपराज्यपाल नजीब जंग के बीच कई मुद्दों पर जारी तकरार थमने का नाम नहीं ले रही है। इस तकरार में केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा है कि वे उपराज्यपाल के माध्यम से दिल्ली का प्रशासन चलाना चाहते हैं। 
एक बानगी देखिए। दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने अरविन्द केजरीवाल सरकार की कड़ी आपत्तियों के बावजूद वरिष्ठ नौकरशाह शकुंतला गैमलिन को राज्य सरकार की कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त कर दिया जिसे खुले टकराव के रूप में देखा जा रहा है। केजरीवाल की सरकार ने इस निर्णय को ‘‘असंवैधानिक’’ करार दिया है। उपराज्यपाल ने 1984 बैच की आईएएस अधिकारी शकुंतला को मुख्य सचिव का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। इससे कुछ समय पहले महिला अधिकारी ने जंग को एक पत्र लिखकर दावा किया था कि मुख्यमंत्री कार्यालय के एक वरिष्ठ नौकरशाह ने उन पर इस बात के लिए दबाव डाला है कि वह इस पद की दौड़ में शामिल नहीं हों क्योंकि उनकी बिजली वितरण कंपनी बीएसईएस के साथ कथित रूप से नजदीकी है।
मुख्य सचिव के के शर्मा निजी यात्रा पर अमेरिका गये हैं जिसके चलते सरकार को एक कार्यवाहक मुख्य सचिव तैनात करना था। गैमलिन वर्तमान समय में ऊर्जा सचिव के रूप में कार्यरत हैं। इस कदम की आलोचना करते हुए आप सरकार ने कहा कि उपराज्यपाल निर्वाचित सरकार एवं मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की अनदेखी नहीं कर सकते तथा उन्होंने संविधान, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार कानून तथा कामकाज संचालन नियमों के विरुद्ध काम किया है। जंग ने आप सरकार के आरोपों का तुरंत यह कहते हुए खंडन किया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 239 एए के तहत उपराज्यपाल दिल्ली में राज्य प्राधिकारी का प्रतिनिधि होता है। उपराज्यपाल के कार्यालय के एक बयान में कहा, ‘‘कार्यावाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति की फाइल 13 मई की शाम में उपराज्पाल को सौंपी गई जिसे तत्काल मंजूरी दे दी गई। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा प्रस्तावित नाम के वितरीत शकुंतला गैमलिन के नाम यह विचार करते हुए मंजूरी दी कि वह वरिष्ठ हैं और उनकी पिछली उपलब्धियां साबित हुई हैं।’’ बयान में कहा गया, ‘‘मुख्यमंत्री द्वारा प्रस्तावित नाम सेवा विभाग की ओर से दिये गए नामों की सूची में नहीं था और संबंधित अधिकारी को दिल्ली सरकार द्वारा अभी तक तैनाती नहीं दी गई है।’’
इसमें कहा गया है कि उपराज्यपाल को सौंपी गई फाइल में ऐसा कुछ भी नहीं था जो यह संकेत देता हो कि सरकार का गैमलिन के खिलाफ कुछ था और उन्हें इस बात का ‘‘खेद’’ है कि ‘‘एक वरिष्ठ अधिकारी का नाम इस तरीके से सार्वजनिक किया जा रहा है और वह भी एक महिला अधिकारी का जो कि पूर्वोत्तर की रहने वाली हैं।’’ शकुंतला को अतिरिक्त प्रभार देने के पश्चात राज्य सरकार ने उप राज्यपाल पर मुख्यमंत्री एवं निर्वाचित सरकार की अनदेखी करने का आरोप लगाया तथा कहा कि उनके पास असाधारण शक्ति नहीं है। केजरीवाल सरकार ने एक बयान में कहा, ‘‘उपराज्यपाल ने निर्वाचित सरकार, मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री (जो सेवा विभाग के प्रभारी मंत्री के रूप में काम करते हैं) की अनदेखी की है। संविधान के तहत उप राज्यपाल के पास ऐसी असाधारण शक्ति नहीं है कि वह निर्वाचित सरकार की अनदेखी करें और सीधे सचिव को निर्देश जारी करें, भले ही कोई भी अनिवार्यता क्यों न हो।’’ इसमें कहा गया कि जंग ने असाधारण तरीके से सचिव (सेवा) को सीधे निर्देश जारी कर दिया कि मुख्य सचिव का अतिरिक्त प्रभार शकुंतला को सौंपा जाये। सरकार ने कहा कि उसे शकुंतला के आचरण को लेकर कुछ आपत्ति है जिनके चलते वह उन्हें अतिरिक्त प्रभार देने को लेकर हिचक रही थी। इसमें कहा गया, ‘‘उनके बारे में धारणा है कि उनकी दिल्ली की बिजली कंपनियों के साथ काफी नजदीकियां हैं और वह सरकार के भीतर उनके हितों के लिए लाबिंग कर रही थीं। बहरहाल, माननीय उपराज्यपाल ने पूरी तरह से असंवैधानिक तरीके से शकुंतला गैमलिन को इस पद पर नियुक्त कर दिया। जंग को लिखे पत्र में शंकुतला ने केजरीवाल के सचिव राजेन्द्र कुमार पर आरोप लगाया है कि उन्होंने उन्हें टेलीफोन करके पद की दौड़ में शामिल नहीं होने को कहा था। उन्होंने आप सरकार पर सेवा के प्रति उनकी ईमानदारी को लेकर तोहमत लगाने और गलत आरोप लगाने की बात भी कही। वरिष्ठ नौकरशाह एन जयसीलन, 1980 बैच के आईएएस अधिकारी अरविन्द रे एवं एस पी सिंह कार्यवाहक मुख्य सचिव पद की दौड़ में शामिल थे।

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