मंगलवार, 22 मई 2012

लव मैरिज के साइड इफेक्ट्स

देश में लव मैरिज कोई नई बात नहीं रह गई है। अब पहले जैसी न ही नाक-•ाौं सिकोरी जाती है। फिर •ाी हमारे समाज में ‘लव मैरिज’ और ‘एरेंज मैरिज’ को लेकर बहस चलती रहती है। बांबे हाईकोर्ट के एक फैसले ने नई बहस की शुरुआत कर दी है। हाईकोर्ट ने कहा है कि लव मैरिज करने वालों की शादियां ज्यादा टूटती हैं। तलाक के एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात को कहा है। वहीं, कोर्ट ने दूसरे मामले की सुनवाई के दौरान महिलाओं को ‘सीता’ बनने की नसीहत दे डाली। कोर्ट का यह कहना था कि राम के साथ सीता अगर 14 वर्ष का वनवास काट सकती है, तो महिला अपने पति के साथ पोर्ट ब्लेयर क्यों नहीं जा सकती? इससे बहस शुरू हो गई कि क्या सच में आज के महिलाओं को सीता बनने की जरूरत आन पड़ी है? क्या लव मैरिज जहां होती हैं, वहां शादियां ज्यादा टूटती हैं? मटुक नाथ (लवगुरु) : यह सत्य है कि लव मैरिज ज्यादा टूटते हैं। उसका कारण यह है कि लव का वातावरण न होने के कारण बहुत जल्दी में प्रेमी आपस में मिलते हैं और आनन-फानन में विवाह के बंधन में बंध जाते हैं। एक दूसरे को ठीक-ठीक जानने समझने का अवसर उन्हें नहीं मिलता, जिस समय वह प्रेम कर रहे होते हैं। उस समय उनका असली चेहरा कहीं छिपा होता है और नकली चेहरा प्रेम कर रहा होता है। विवाह के बाद जब वे साथ जीने लगते हैं, तो उनका असली चेहरा सामने आता है। उस असली चेहरे को बर्दाशत करना एक दूसरे के लिए सं•ाव नहीं होता है, तो इस अवस्था में तलाक की नौबत आती है। हमारा संविधान तलाक के मामले में इतना कठोर है कि कठोरता के कारण दोनों आदमी अधिक पीड़ित होते हैं। तलाक को आसान बनाना चाहिए, तलाक के कठोरता के कारण •ाी तलाक होते है। तलाक को अगर आसान कर दिया जाए, तो तलाक की संख्या घट सकती है। डॉ. कमल खुराना (मैरिज काउंसलर)- : मटुक नाथ जी ने जो कहा वह सही कहा है, क्योंकि शादी के बाद की आपकी लाईफ एकदम से अलग होती है। आप नार्मल जीवन जीने लगते हो। लव मैरिज के टूटने का एक और कारण यह है कि हमारे सोसाइटी का जो प्रेशर है, वह उनपर लागू हो जाता है। शादी क्या होती है, उन्हें मालूम नहीं है। जवाबदेही क्या होती है, इसका उन्हें पता नहीं होता है। यह सारी बातें शादी के बाद शुरू होती है और उन्हें लगता है कि यह क्या हो गया? एक फैमिली प्रेशर •ाी होता है कि परिवार के लोग कह रहे होते हैं कि देखो, तुमने हमारी नहीं मानी, तो क्या हो गया? जब दुख चारों तरफ होता है, तो उन्हें लगता है कि हमारे परिवार के लोग ही हमें मदद कर रहे हैं, ऐसे में दरार और बड़ी हो जाती है। राहुल रॉय (एक्टर) : मेरी शादी के तेरह वर्ष हो गए हैं। फिर •ाी हमलोग आपस में खुश हैं। इसमें लव मैरिज और एरेंज मैरिज की बात नहीं है। मैं अपने बड़ों की बातें समझता रहा हूं। कई लोग हैं, जिनकी शादी अच्छी रही है। कई लोगों का यह कहना है कि शादी को सफल बनाने के लिए आपको उस पर काम करते रहना चाहिए। सबसे बड़ी बात है कि हम लोगों में पैसेंस नहीं है, जिनके साथ आर जिंदगी गुजारना चाहते है, उसको समय देना पड़ता है। समय के साथ डील करना पड़ता है। यह बात सही है कि जब आप किसी को पटा रहे होते हैं, तो आपका नकाब अलग होता है। जब आप जिंदगी के रास्ते पर चल रहे होते हैं, तो वह रूप आपका अलग होता है। रात के अंधेरे में जब आप अकेले होते हैं, तो जो कुछ •ाी एक-दूसरे से शेयर करते हैं, वह सही इमोशन होता है। अनुराधा बाली उर्फ फिजा बानो (वकील) : मेरा यह मानना है कि अगर आप प्यार •ाी करें, तो पूरी शिद्दत के साथ करें। अगर लड़ाई •ाी करो, तो पुरी पूरी सिद्दत के साथ करो। क्योंकि उसमें डेडिकेशन और डिवोसन दोनों होनी चाहिए। अगर आप यह सोचें कि एरेंज मैरिज में तलाक नहीं होते, मां-बाप अपने •ाच्चों को पालते-पोसते हैं, उनकी सारी बातों को सुनते-समझते हैं, फिर •ाी उनमें तलाक होते हैं। मैं इस बात को मानती हूं कि आपकी आपसी तालमेल किसी •ाी रिश्त में होना जरूरी है। इस पर ही आपका आने वाला रिश्ता निर्•ार करता है। कहा जाता है कि प्यार को प्यार ही रहने दो, इसे कोई और नाम न दो। शायद यहीं पर गलती हो रही है। इसे शादी में तब्दील करना ही जरूरी है। क्या इस बात को आप उचित मानते हैं? डॉ. कमल खुराना (मैरिज काउंसलर) : आज के समय में काफी कुछ बदल रहा है। आज के समय में जिसको आप प्यार कहते हैं, उसको हम एटरेक्सन कहते हैं। एटरेक्सन को दौर चल रहा है, कहीं मॉल में, कहीं पार्क में लोग मिल जाते हैं और कहते हैं कि हम प्यार में है। लोगों के लिए एक टास्क बन जाता है कि जब मुझे अच्छी लग रही है, चाहे वह मुझे अच्छा लग रहा है, तो इसके लिए हमें जाना चाहिए। इसे हम रोज सुबह से शाम तक देखते हैं। लोगों के अंदर एटरेक्सन का एक कैमिकल लोचा होता है, जो शादी के छह महीने के बाद खत्म हो जाता है। 0 क्या वजह होती है कि एक सफल विवाह टूट के कगार पर पहुंच जाता है? रेखा अग्रवाल (वकील) : जहां तक मेरा अनु•ाव है, लव मैरिज हो, चाहे एरेंज मैरेज हो, दिक्कतें दोनों में आती है। पहले इस तरह की चीजे बाहर नहीं आती थी, लेकिन अब सब बदल गया है। लोग खुल कर इसे स्वीकार कर लेते हैं। जब •ाी लोग डाइवोर्स के लिए आते हैं, तो पता नहीं चल पाता है कि उनकी एरेंज मैरिज थी या लव मैरिज। जब हम लोगों से पूछते हैं कि आपकी लव मैरिज थी। झट से उसको कवर करने के लिए वे कहते हंै, मैडम थी तो लव मैरिज, लेकिन थी लव-कम-एरेंज मैरिज। यानी कि वह अपने ऊपर जवाबदेही लेना नहीं चाहते हैं। वहीं, आजकल हमारे सोसाइटी में इतना खुलापन आ गया है कि जब लोग एरेंज मैरिज •ाी करते हैं, तो जब तक उनकी शादी नहीं हो जाती है, तब तक उनके मां-बाप कहते हैं कि तुम लोग एक-दूसरे से मिलो, ताकि एक-दूसरे को समझ सको। फिर दोनों एक दूसरे से मिलने लगते है और प्रेम •ाी हो जाता है। कहीं न कहीं लव मैरिज में एक एटरेक्सन ज्यादा होती है। 0 अगर एक सफल शादीशुदा जिंदगी चाहिए, तो क्या किया जाए? अनुराधा बाली उर्फ फिजा बानो (वकील) : इसके लिए सबसे बड़ी बात होती है कि बड़े लोगों का आशीर्वाद आपके साथ जरूर होना चाहिए। यदि उनलोगों का इंटरफेयर आपकी जिंदगी में है, तो इस तरह की तलाक की समस्या नहीं आती है। रेखा अग्रवाल (वकील) : हिंदू मैरिज एक्ट के अंतर्गत तलाक लेने के लिए कम से कम एक साल जरूर रुकना पड़ता है। कम से कम एक साल, तो अपने रिश्तों के ऊपर काम कीजिए । एक साल के बाद आप-एक दूसरे को पहचान सकें और विवाह जिंदगी सही से निकल पाए। तलाक लेने में जल्दीबाजी मत कीजिए।

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