शनिवार, 13 मार्च 2010

आईपीएल का मतलब

आईपीएल यानी क्रिकेट का वह फार्मेट जिसमें खेल और बाजार पूरी तरह एक-दूृसरे से गु्रंथा हुआ है। जैसे एक के बिना दूसरा अपंग। आईपीएल रनों की बरसात के कारण जहां दर्शकों को आकर्षित करती है, वहीं प्रायोजक भी करोड़ों रुपये लुटाने को तैयार बैठे रहते हैं। बाजार का नया दस्तूर बनता जा रहा है पहले लुटाओ फिर कमाओ। तभी तो अगले यानी आईपीएल का जब चौथा संस्करण के लिए आनलाइन मैच प्रसारण के अधिकार यू ट्यूब को देने की बात हो रही है। जाहिरतौर पर आईपीएल के जरिए भारतीय क्रिकेट बोर्ड भी धनवर्षा मेंं ताबरतोड़ भीग रहा है। मंदी थल्ले-थल्ले, बोर्ड-क्रिकेटर बल्ले-बल्ले ।
यह अनायास नहीं है कि पीटरसन, फ्लिंटाफ और धोनी जैसे क्रिकेटर एक एक सत्र के छह-छह करोड़ झटक रहे हैैं तो नवोदित क्रिकेटरों की भी चांद कट रही है। आंकडों के लिहाज से देखा जाए तो आईसीसी की कुल आय का लगभग सत्तर फीसदी भारतीय कोटे से मिलता है। आईपीएल की आमदनी का मुख्य जरिया इसकी टीमों की बिक्री, स्टेडियम में लगने वाले विज्ञापनों के होर्डिंग एवं इसके मैचों का प्रसारण करने वाले टेलीविजन चैनल से मिलने वाली राशि से होता है। आईपीएल की शुरुआत में ही उसके अधीकृत चैनल सेटमैक्स से नौ साल के प्रसारण के लिए उसका 9000 करोड़ रुपयों का भारी भरकम करार हो चुका है। अब सेटमैक्स को इस करार की अदायगी के साथ-साथ अपने लिए लाभ भी अर्जित करना है। इसके लिए इस बार उसने अपनी विज्ञापन दरें बढ़ा दी हैं। आईपीेल-1 में जहां 10 सेकेंड के विज्ञापन स्लाट की कीमत तीन लाख एवं आईपीएल-2 में चार लाख थी। इस बार 10 सेकेंड के विज्ञापन स्लाट की सामान्य कीमत पांच लाख रुपये है। इसके बावजूद विज्ञापन के 90 प्रतिशत स्लाट बिक चुके हैं। शेष बचे 10 प्रतिशत स्लाट के लिए मैक्सप्रति 10 सेकेंड के लिए 10 लाख रुपये तक वसूलने की तैयारी कर चुका है।
जब देश की राजनीति महंगाई और महिला आरक्षण को लेकर गर्मा रही हो तो देशवासियों के रग-रग में समा चुका क्रिकेट भला कैसे अछूता रह सकता। हर धमनियों में बहने वाले इस 'रक्तÓ को धमकना ही था। अपने उपिस्थिति का एहसास भी। तभी तो आईपीएल में पाकिस्तानी क्रिकेटरों का न खिलाना आफत का सबब बना था ललित मोदी एंड कंपनी के लिए। आईपीएल पर हायतौबा मची । देश का गृह मंत्री सार्वजनिक तौर पर कहता है कि वह आईपीएल में पाकिस्तानी क्रिकेटरों को देखना पसंद करते हैं लेकिन जैसे ही बंगाल टाइगर्स के मालिक शाहरुख खान यह बात दोहराते हैैं तो पूरी मुंबई में बवाल काटा जाता है। विरोध करने के लिए पोस्टर फाड़े जाते हैैं किंग खान के और सीधे-सीधे केंद्र सरकार की इस मसले पर दोहरे मानंदडों की कलई खुलती है।
यह तो रही विदेशी टीमों के नखरेबाजी की कहानी। आईपीएल को लेकर घर में महाभारत मचा हुआ है। आंध्रप्रदेश में हर रोज विरोध प्रदर्शन हो रहे हैैं। दरअसल ललित मोदी ने हैदराबाद में होने वाले मैैच अन्यत्र शिफ्ट कर दिए हैैं। ललित मोदी के मनमाने रवैये का इसी से पता चलता है कि उन्होंने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रोसैया की वह अपील भी अनेदेखी कर दी, जिसके तहत उन्होंने मैच शिफ्ट न करने का अनुरोध किया था और आईपीएल मुकाबलों के लिए समुचित व्यवस्था कराने की जिम्मेदारी लेने की बात की थी। यही हाल मुंबई में भी है। उत्तर भारतीयों के खिलाफ विष वमन रहे बाल साहेब ठाकरे धमकी दे रहे हैैं कि वह आस्ट्रेलियाई टीम को मुंबई में नहीं खेलने देंगे।
नफरत की राजनीति में पारंगत इस बुजुर्ग सियासतदां का तर्क है कि चूंकि आस्ट्रेलिया में भारतीयों पर हमले हो रहे हैैं, ऐसे में वह आस्ट्रेलिया को आईपीएल में नहीं खेलने देंगे। साथ में सवाल यह भी उठता है कि आईपीएल पर उस समय केंद्र ने खामोशी की पारी क्यूं खेली जब बीसीसीआई के धुरंधर और टीम प्रायोजक आईपीएल थ्री के लिए बोली लगा रहे थे। वह शाहरुख खान हो या फिर विजय माल्या या प्रिटी जिंटा, किसी ने भी पाकिस्तानी क्रिकेटरों को ख्ररीदने की हिम्मत नहीं दिखाई। देश में लेकिन सवाल फिर वही उठता है कि क्या आईपीएल के मुखिया ललित मोदी केंद्र से बड़े हो गए हैैं और यदि वह पाकिस्तान के साथ रिश्तों को आधार बना कर पाक क्रिकेटरों को न चुनने का तर्क दे रहे हैैं तो फिर चिदंबरम साहब किस आधार पर पाकिस्तानी क्रिकेटरों के हुनर के मुरीद होते दिख गए चंद दिन पहले। दरअसल, अब वक्त आ गया है कि बीसीसीआई धन दोहन के इस सरपट दौड़ में खुद को आईने के समक्ष रख कर देखे।

1 टिप्पणी:

मिहिरभोज ने कहा…

intense pulse light
ये लैजर का एक प्रकार है जो कि बाल हटाने के काम आती है