मंगलवार, 22 मई 2012
लव मैरिज के साइड इफेक्ट्स
देश में लव मैरिज कोई नई बात नहीं रह गई है। अब पहले जैसी न ही नाक-•ाौं सिकोरी जाती है। फिर •ाी हमारे समाज में ‘लव मैरिज’ और ‘एरेंज मैरिज’ को लेकर बहस चलती रहती है। बांबे हाईकोर्ट के एक फैसले ने नई बहस की शुरुआत कर दी है। हाईकोर्ट ने कहा है कि लव मैरिज करने वालों की शादियां ज्यादा टूटती हैं। तलाक के एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात को कहा है। वहीं, कोर्ट ने दूसरे मामले की सुनवाई के दौरान महिलाओं को ‘सीता’ बनने की नसीहत दे डाली। कोर्ट का यह कहना था कि राम के साथ सीता अगर 14 वर्ष का वनवास काट सकती है, तो महिला अपने पति के साथ पोर्ट ब्लेयर क्यों नहीं जा सकती? इससे बहस शुरू हो गई कि क्या सच में आज के महिलाओं को सीता बनने की जरूरत आन पड़ी है?
क्या लव मैरिज जहां होती हैं, वहां शादियां ज्यादा टूटती हैं?
मटुक नाथ (लवगुरु) : यह सत्य है कि लव मैरिज ज्यादा टूटते हैं। उसका कारण यह है कि लव का वातावरण न होने के कारण बहुत जल्दी में प्रेमी आपस में मिलते हैं और आनन-फानन में विवाह के बंधन में बंध जाते हैं। एक दूसरे को ठीक-ठीक जानने समझने का अवसर उन्हें नहीं मिलता, जिस समय वह प्रेम कर रहे होते हैं। उस समय उनका असली चेहरा कहीं छिपा होता है और नकली चेहरा प्रेम कर रहा होता है। विवाह के बाद जब वे साथ जीने लगते हैं, तो उनका असली चेहरा सामने आता है। उस असली चेहरे को बर्दाशत करना एक दूसरे के लिए सं•ाव नहीं होता है, तो इस अवस्था में तलाक की नौबत आती है। हमारा संविधान तलाक के मामले में इतना कठोर है कि कठोरता के कारण दोनों आदमी अधिक पीड़ित होते हैं। तलाक को आसान बनाना चाहिए, तलाक के कठोरता के कारण •ाी तलाक होते है। तलाक को अगर आसान कर दिया जाए, तो तलाक की संख्या घट सकती है।
डॉ. कमल खुराना (मैरिज काउंसलर)- : मटुक नाथ जी ने जो कहा वह सही कहा है, क्योंकि शादी के बाद की आपकी लाईफ एकदम से अलग होती है। आप नार्मल जीवन जीने लगते हो। लव मैरिज के टूटने का एक और कारण यह है कि हमारे सोसाइटी का जो प्रेशर है, वह उनपर लागू हो जाता है। शादी क्या होती है, उन्हें मालूम नहीं है। जवाबदेही क्या होती है, इसका उन्हें पता नहीं होता है। यह सारी बातें शादी के बाद शुरू होती है और उन्हें लगता है कि यह क्या हो गया? एक फैमिली प्रेशर •ाी होता है कि परिवार के लोग कह रहे होते हैं कि देखो, तुमने हमारी नहीं मानी, तो क्या हो गया? जब दुख चारों तरफ होता है, तो उन्हें लगता है कि हमारे परिवार के लोग ही हमें मदद कर रहे हैं, ऐसे में दरार और बड़ी हो जाती है।
राहुल रॉय (एक्टर) : मेरी शादी के तेरह वर्ष हो गए हैं। फिर •ाी हमलोग आपस में खुश हैं। इसमें लव मैरिज और एरेंज मैरिज की बात नहीं है। मैं अपने बड़ों की बातें समझता रहा हूं। कई लोग हैं, जिनकी शादी अच्छी रही है। कई लोगों का यह कहना है कि शादी को सफल बनाने के लिए आपको उस पर काम करते रहना चाहिए। सबसे बड़ी बात है कि हम लोगों में पैसेंस नहीं है, जिनके साथ आर जिंदगी गुजारना चाहते है, उसको समय देना पड़ता है। समय के साथ डील करना पड़ता है। यह बात सही है कि जब आप किसी को पटा रहे होते हैं, तो आपका नकाब अलग होता है। जब आप जिंदगी के रास्ते पर चल रहे होते हैं, तो वह रूप आपका अलग होता है। रात के अंधेरे में जब आप अकेले होते हैं, तो जो कुछ •ाी एक-दूसरे से शेयर करते हैं, वह सही इमोशन होता है।
अनुराधा बाली उर्फ फिजा बानो (वकील) : मेरा यह मानना है कि अगर आप प्यार •ाी करें, तो पूरी शिद्दत के साथ करें। अगर लड़ाई •ाी करो, तो पुरी पूरी सिद्दत के साथ करो। क्योंकि उसमें डेडिकेशन और डिवोसन दोनों होनी चाहिए। अगर आप यह सोचें कि एरेंज मैरिज में तलाक नहीं होते, मां-बाप अपने •ाच्चों को पालते-पोसते हैं, उनकी सारी बातों को सुनते-समझते हैं, फिर •ाी उनमें तलाक होते हैं। मैं इस बात को मानती हूं कि आपकी आपसी तालमेल किसी •ाी रिश्त में होना जरूरी है। इस पर ही आपका आने वाला रिश्ता निर्•ार करता है।
कहा जाता है कि प्यार को प्यार ही रहने दो, इसे कोई और नाम न दो। शायद यहीं पर गलती हो रही है। इसे शादी में तब्दील करना ही जरूरी है। क्या इस बात को आप उचित मानते हैं?
डॉ. कमल खुराना (मैरिज काउंसलर) : आज के समय में काफी कुछ बदल रहा है। आज के समय में जिसको आप प्यार कहते हैं, उसको हम एटरेक्सन कहते हैं। एटरेक्सन को दौर चल रहा है, कहीं मॉल में, कहीं पार्क में लोग मिल जाते हैं और कहते हैं कि हम प्यार में है। लोगों के लिए एक टास्क बन जाता है कि जब मुझे अच्छी लग रही है, चाहे वह मुझे अच्छा लग रहा है, तो इसके लिए हमें जाना चाहिए। इसे हम रोज सुबह से शाम तक देखते हैं। लोगों के अंदर एटरेक्सन का एक कैमिकल लोचा होता है, जो शादी के छह महीने के बाद खत्म हो जाता है।
0 क्या वजह होती है कि एक सफल विवाह टूट के कगार पर पहुंच जाता है?
रेखा अग्रवाल (वकील) : जहां तक मेरा अनु•ाव है, लव मैरिज हो, चाहे एरेंज मैरेज हो, दिक्कतें दोनों में आती है। पहले इस तरह की चीजे बाहर नहीं आती थी, लेकिन अब सब बदल गया है। लोग खुल कर इसे स्वीकार कर लेते हैं। जब •ाी लोग डाइवोर्स के लिए आते हैं, तो पता नहीं चल पाता है कि उनकी एरेंज मैरिज थी या लव मैरिज। जब हम लोगों से पूछते हैं कि आपकी लव मैरिज थी। झट से उसको कवर करने के लिए वे कहते हंै, मैडम थी तो लव मैरिज, लेकिन थी लव-कम-एरेंज मैरिज। यानी कि वह अपने ऊपर जवाबदेही लेना नहीं चाहते हैं। वहीं, आजकल हमारे सोसाइटी में इतना खुलापन आ गया है कि जब लोग एरेंज मैरिज •ाी करते हैं, तो जब तक उनकी शादी नहीं हो जाती है, तब तक उनके मां-बाप कहते हैं कि तुम लोग एक-दूसरे से मिलो, ताकि एक-दूसरे को समझ सको। फिर दोनों एक दूसरे से मिलने लगते है और प्रेम •ाी हो जाता है। कहीं न कहीं लव मैरिज में एक एटरेक्सन ज्यादा होती है।
0 अगर एक सफल शादीशुदा जिंदगी चाहिए, तो क्या किया जाए?
अनुराधा बाली उर्फ फिजा बानो (वकील) : इसके लिए सबसे बड़ी बात होती है कि बड़े लोगों का आशीर्वाद आपके साथ जरूर होना चाहिए। यदि उनलोगों का इंटरफेयर आपकी जिंदगी में है, तो इस तरह की तलाक की समस्या नहीं आती है।
रेखा अग्रवाल (वकील) : हिंदू मैरिज एक्ट के अंतर्गत तलाक लेने के लिए कम से कम एक साल जरूर रुकना पड़ता है। कम से कम एक साल, तो अपने रिश्तों के ऊपर काम कीजिए । एक साल के बाद आप-एक दूसरे को पहचान सकें और विवाह जिंदगी सही से निकल पाए। तलाक लेने में जल्दीबाजी मत कीजिए।
गुरुवार, 29 मार्च 2012
कोयला में हाथ काला
कहावत है, माणिक की दलाली में हीरा मिलता है और कोयले की दलाली में मुंह काला होता है। इस मुंह काले करने के एवज में करोड़ों रुपये मिलते हैं अब। सुनकर चौंकिए मत। सच्चाई यही है आज की। केंद्र की यूपीए सरकार की। हालांकि मुकम्मल तौर पर यह कहा नहीं जा सकता कि कोयला घोटाला कितने रुपये का है? सरकार की माने तो अ•ाी यह साबित होना •ाी शेष है कि वास्तव में घोटाला हुआ •ाी या नहीं? बहरहाल, सीएजी की प्राथमिक रिपोर्ट ने इस ओर इशारा तो कर ही दिया है।
"•ाारत निर्माण" का ढ़िढोरा पीटने वाली यूपीए सरकार को इतना तो पता चल ही गया है कि एक और 'नीतिगत निर्णय' के कारण देश को अरबों का चूना लग चुका है। सीएजी के अनुसार देश को 10.67 लाख करोड़ रुपये का नुक्सान हुआ है। सीएजी की रिपोर्ट जिसका संबंधित समाचार एक अंग्रेजी दैनिक ने छापा है, कहती है कि कोयले जैसे प्राकृतिक संसाधन को नीलाम न करवा कर और उसे ऐसे ही निजी एवं सार्वजानिक क्षेत्र की कंपनियों को सस्ते दामों पर दे देने से देश को इतना बड़ा नुक्सान हुआ। वर्ष 2004 से 2009 के बीच बेचे गए कोयले के ब्लॉकों से हुई है यह हानि। ला•ा उठाने वालों में लग•ाग 100 निजी उपक्रम हैं। 10.67 लाख करोड़ की ये राशि 2-जी घोटाले की राशि की 6 गुनी है। यह अनुमान सस्ते कोयले पर लगाया गया है न कि माध्यम दर्जे के कोयले पर। माध्यम कीमतों पर अनुमान लगाया जाए तो यह राशि राशि और अधिक होग्ी। यह राशि •ाारत के जीडीपी के 12 प्रतिशत से •ाी अधिक है। सीएजी रिपोर्ट के अनुसार निजी क्षेत्र के उपक्रमों को लग•ाग 4.79 लाख करोड़ का ला•ा हुआ है और 5.88 लाख सार्वजानिक क्षेत्र के उपक्रमों को गया है। ला•ाान्वितों में टाटा ग्रुप, जिंदल स्टील एंड पावर, इलेक्ट्रो स्टील, अनिल अग्रवाल ग्रुप, •ाूषण पावर एंड स्टील, जायसवाल नेको, अ•िाजीत ग्रुप, आदित्य बिड़ला ग्रुप, एस्सार ग्रुप, अदानी ग्रुप, आर्सेलर मित्तल, लैंसो ग्रुप आदि शामिल हैं।
सीएजी की ड्राफ्ट रिपोर्ट की खबर जैसे ही अखबार में छपी, सड़क से लेकर संसद तक राजनीतिक बहस तेज हो गई। रिपोर्ट का राजनीतिकरण हो गया। •ााजपा, सपा, वामदलों ने यूपीए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। आनन-फानन में सीएजी ने पीएमओ को चिट्ठी लिखकर सफाई दी। अपने पत्र में सीएजी ने कहा कि कोयला मंत्रालय की रिपोर्ट पर मीडिया में आई खबर गुमराह करने वाली है। नुकसान का सही आकलन नहीं है, क्योंकि रिपोर्ट अ•ाी तैयार की जा रही है। ये फाइनल ड्राफ्ट से •ाी पहले का दस्तावेज है। गौरतलब है कि सीएजी की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी खजाने को यह नुकसान 2004-09 के बीच हुआ। इस दौरान झामुमो नेता शिबू सोरेन कोयला मंत्री थे। हालांकि, कुछ समय के लिए यह मंत्रालय प्रधानमंत्री के पास •ाी था। •ााजपा ने इसी को आधार बनाकर प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांगा है। कोयला मंत्रालय का कहना था कि ऊर्जा क्षेत्र में कोयले को वास्तविक मूल्यों पर बेचा जाता है। इसके उत्तर में सीएजी ने कहा है कि कोयला प्राकृतिक संसाधन है और उसके विक्रय नीलामी कर के प्रतिस्पर्धी मूल्यों पर होना चाहिए। सीएजी ने सर्वोच्च न्यायालय के 2जी घोटाले के सन्दर्•ा में दिए गए निर्णय का •ाी नाम लिया है, जो कहता है कि सरकार को राष्ट्रीय सम्पदा का संरक्षक एवं न्यासधारी बन कर निर्णय करने चाहिए।
खदान आवंटन से जुड़ी 110 पन्नों की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कोयला मंत्रालय का पक्ष •ाी शामिल है। सूत्रों का कहना है कि यह रिपोर्ट फाइनल रिपोर्ट की तरह ही है। संसद में आम बजट पारित होने के बाद इसे पेश किए जाने की उम्मीद थी। प्रत्येक ब्लॉक के 90 फीसदी रिजर्व के आधार पर कैलकुलेशन को देखें तो कुल मिलाकर सीएजी ने 33,169 मिलियन टन कोयला •ांडार पर अपनी रिपोर्ट दी है। उद्योग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, इतना कोयला 150,000 मेगावॉट बिजली पैदा करने के लिए पर्याप्त है। बगैर नीलामी आवंटन से निजी और सराकरी, दोनों क्षेत्र की कंपनियों को फायदा पहुंचा है। निजी कंपनियों के खजाने में करीब 4.79 लाख करोड़ की रकम गई, तो सरकारी कंपनियों ने 5.88 लाख करोड़ रुपये का मुनाफा जोड़ा।
जदयू के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने दावा किया कि इस विषय पर प्रधानमंत्री ने उनसे कहा कि कोयला ब्लॉकों का आवंटन एक नीति के तहत किया गया था, यह सीएजी की प्रारं•िाक रिपोर्ट है और कोई घोटाला नहीं हुआ है। जदयू नेता का कहना है कि उनकी पार्टी प्रधानमंत्री से सीएजी रिपोर्ट पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग करती है। बिहार में पावर प्लांट को कोल लिंकेज नहीं दिया जा रहा है और सीएजी की रिपोर्ट में कोयला ब्लॉक के आवंटन में इस तरह के घोटाले की बात सामने आती है। वहीं, •ााजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि कोयला खदानों का घोटाला बहुत ही गं•ाीर मुद्दा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता इस मुद्दे पर आगे की रणनीति तय करेंगे। बीजेपी का मानना है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इसके लिए जिम्मेदार हैं और सरकार को इस्तीफा देना चाहिए। कांग्रेस के प्रवक्ता शकील अहमद ने यह कहते हुए सरकार का बचाव करने की कोशिश की है कि यह कोई घोटाला नहीं है, बल्कि इसमें सिर्फ घाटा हो सकता है। सीएजी ने अ•ाी इस मामले में ड्राफ्ट रिपोर्ट ही तैयार की है। सीएजी को इस बाबत अंतिम रिपोर्ट अ•ाी तैयार करना बाकी है।
बहरहाल, वर्तमान का सच यही है कि देश के अब तक के सबसे बड़े 10. 7 लाख करोड़ के कोयला घोटाले को छिपाने के लिए यूपीए सरकार के सारे ' बहाने ' एक-एक कर फेल होते जा रहे हैं। अब ब्रिटेन के अखबार ने •ाी साफ किया है कि सीएजी का वह ड्राफ्ट करीब-करीब फाइनल फॉर्म में है। कोयला ब्लॉक आवंटन को लेकर लीक हुई ड्राफ्ट रिपोर्ट पर मची हायतौबा को थामने के लिए अब सरकार •ाी हमलावर हो गई है। इस मुद्दे पर आक्रामक विपक्ष को सरकार ने करारा जवाब दिया है। यूपीए सरकार के संकटमोचक और वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने खुद कमान सं•ाालते हुए कहा कि सीएजी की आरं•िाक रिपोर्ट का 90 फीसदी हिस्सा अंतिम रिपोर्ट बनने तक खारिज हो जाता है। इसलिए इस मसले को बेवजह तूल नहीं दिया जाना चाहिए।
"•ाारत निर्माण" का ढ़िढोरा पीटने वाली यूपीए सरकार को इतना तो पता चल ही गया है कि एक और 'नीतिगत निर्णय' के कारण देश को अरबों का चूना लग चुका है। सीएजी के अनुसार देश को 10.67 लाख करोड़ रुपये का नुक्सान हुआ है। सीएजी की रिपोर्ट जिसका संबंधित समाचार एक अंग्रेजी दैनिक ने छापा है, कहती है कि कोयले जैसे प्राकृतिक संसाधन को नीलाम न करवा कर और उसे ऐसे ही निजी एवं सार्वजानिक क्षेत्र की कंपनियों को सस्ते दामों पर दे देने से देश को इतना बड़ा नुक्सान हुआ। वर्ष 2004 से 2009 के बीच बेचे गए कोयले के ब्लॉकों से हुई है यह हानि। ला•ा उठाने वालों में लग•ाग 100 निजी उपक्रम हैं। 10.67 लाख करोड़ की ये राशि 2-जी घोटाले की राशि की 6 गुनी है। यह अनुमान सस्ते कोयले पर लगाया गया है न कि माध्यम दर्जे के कोयले पर। माध्यम कीमतों पर अनुमान लगाया जाए तो यह राशि राशि और अधिक होग्ी। यह राशि •ाारत के जीडीपी के 12 प्रतिशत से •ाी अधिक है। सीएजी रिपोर्ट के अनुसार निजी क्षेत्र के उपक्रमों को लग•ाग 4.79 लाख करोड़ का ला•ा हुआ है और 5.88 लाख सार्वजानिक क्षेत्र के उपक्रमों को गया है। ला•ाान्वितों में टाटा ग्रुप, जिंदल स्टील एंड पावर, इलेक्ट्रो स्टील, अनिल अग्रवाल ग्रुप, •ाूषण पावर एंड स्टील, जायसवाल नेको, अ•िाजीत ग्रुप, आदित्य बिड़ला ग्रुप, एस्सार ग्रुप, अदानी ग्रुप, आर्सेलर मित्तल, लैंसो ग्रुप आदि शामिल हैं।
सीएजी की ड्राफ्ट रिपोर्ट की खबर जैसे ही अखबार में छपी, सड़क से लेकर संसद तक राजनीतिक बहस तेज हो गई। रिपोर्ट का राजनीतिकरण हो गया। •ााजपा, सपा, वामदलों ने यूपीए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। आनन-फानन में सीएजी ने पीएमओ को चिट्ठी लिखकर सफाई दी। अपने पत्र में सीएजी ने कहा कि कोयला मंत्रालय की रिपोर्ट पर मीडिया में आई खबर गुमराह करने वाली है। नुकसान का सही आकलन नहीं है, क्योंकि रिपोर्ट अ•ाी तैयार की जा रही है। ये फाइनल ड्राफ्ट से •ाी पहले का दस्तावेज है। गौरतलब है कि सीएजी की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी खजाने को यह नुकसान 2004-09 के बीच हुआ। इस दौरान झामुमो नेता शिबू सोरेन कोयला मंत्री थे। हालांकि, कुछ समय के लिए यह मंत्रालय प्रधानमंत्री के पास •ाी था। •ााजपा ने इसी को आधार बनाकर प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांगा है। कोयला मंत्रालय का कहना था कि ऊर्जा क्षेत्र में कोयले को वास्तविक मूल्यों पर बेचा जाता है। इसके उत्तर में सीएजी ने कहा है कि कोयला प्राकृतिक संसाधन है और उसके विक्रय नीलामी कर के प्रतिस्पर्धी मूल्यों पर होना चाहिए। सीएजी ने सर्वोच्च न्यायालय के 2जी घोटाले के सन्दर्•ा में दिए गए निर्णय का •ाी नाम लिया है, जो कहता है कि सरकार को राष्ट्रीय सम्पदा का संरक्षक एवं न्यासधारी बन कर निर्णय करने चाहिए।
खदान आवंटन से जुड़ी 110 पन्नों की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कोयला मंत्रालय का पक्ष •ाी शामिल है। सूत्रों का कहना है कि यह रिपोर्ट फाइनल रिपोर्ट की तरह ही है। संसद में आम बजट पारित होने के बाद इसे पेश किए जाने की उम्मीद थी। प्रत्येक ब्लॉक के 90 फीसदी रिजर्व के आधार पर कैलकुलेशन को देखें तो कुल मिलाकर सीएजी ने 33,169 मिलियन टन कोयला •ांडार पर अपनी रिपोर्ट दी है। उद्योग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, इतना कोयला 150,000 मेगावॉट बिजली पैदा करने के लिए पर्याप्त है। बगैर नीलामी आवंटन से निजी और सराकरी, दोनों क्षेत्र की कंपनियों को फायदा पहुंचा है। निजी कंपनियों के खजाने में करीब 4.79 लाख करोड़ की रकम गई, तो सरकारी कंपनियों ने 5.88 लाख करोड़ रुपये का मुनाफा जोड़ा।
जदयू के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने दावा किया कि इस विषय पर प्रधानमंत्री ने उनसे कहा कि कोयला ब्लॉकों का आवंटन एक नीति के तहत किया गया था, यह सीएजी की प्रारं•िाक रिपोर्ट है और कोई घोटाला नहीं हुआ है। जदयू नेता का कहना है कि उनकी पार्टी प्रधानमंत्री से सीएजी रिपोर्ट पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग करती है। बिहार में पावर प्लांट को कोल लिंकेज नहीं दिया जा रहा है और सीएजी की रिपोर्ट में कोयला ब्लॉक के आवंटन में इस तरह के घोटाले की बात सामने आती है। वहीं, •ााजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि कोयला खदानों का घोटाला बहुत ही गं•ाीर मुद्दा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता इस मुद्दे पर आगे की रणनीति तय करेंगे। बीजेपी का मानना है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इसके लिए जिम्मेदार हैं और सरकार को इस्तीफा देना चाहिए। कांग्रेस के प्रवक्ता शकील अहमद ने यह कहते हुए सरकार का बचाव करने की कोशिश की है कि यह कोई घोटाला नहीं है, बल्कि इसमें सिर्फ घाटा हो सकता है। सीएजी ने अ•ाी इस मामले में ड्राफ्ट रिपोर्ट ही तैयार की है। सीएजी को इस बाबत अंतिम रिपोर्ट अ•ाी तैयार करना बाकी है।
बहरहाल, वर्तमान का सच यही है कि देश के अब तक के सबसे बड़े 10. 7 लाख करोड़ के कोयला घोटाले को छिपाने के लिए यूपीए सरकार के सारे ' बहाने ' एक-एक कर फेल होते जा रहे हैं। अब ब्रिटेन के अखबार ने •ाी साफ किया है कि सीएजी का वह ड्राफ्ट करीब-करीब फाइनल फॉर्म में है। कोयला ब्लॉक आवंटन को लेकर लीक हुई ड्राफ्ट रिपोर्ट पर मची हायतौबा को थामने के लिए अब सरकार •ाी हमलावर हो गई है। इस मुद्दे पर आक्रामक विपक्ष को सरकार ने करारा जवाब दिया है। यूपीए सरकार के संकटमोचक और वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने खुद कमान सं•ाालते हुए कहा कि सीएजी की आरं•िाक रिपोर्ट का 90 फीसदी हिस्सा अंतिम रिपोर्ट बनने तक खारिज हो जाता है। इसलिए इस मसले को बेवजह तूल नहीं दिया जाना चाहिए।
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