tag:blogger.com,1999:blog-4867640855538739557.post14058993180101113..comments2023-11-05T12:52:50.625+05:30Comments on देख कबीरा: बस, तुम्हारे लिएकुन्दन कुमार मल्लिकhttp://www.blogger.com/profile/03699865603391260097noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-4867640855538739557.post-35839645247933984942011-01-25T14:07:31.194+05:302011-01-25T14:07:31.194+05:30Bahut achha ...Lazbab...Atulniya...Bahut achha ...Lazbab...Atulniya...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/17999287908698959904noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4867640855538739557.post-62520153228256812552011-01-25T11:41:00.342+05:302011-01-25T11:41:00.342+05:30पहली बात-
क्या भरोसा, कांच का घट है, किसी दिन फूट ...पहली बात-<br />क्या भरोसा, कांच का घट है, किसी दिन फूट जाए,<br />एक मामूली कहानी है, अधूरी छूट जाए,<br />एक समझौता हुआ था रौशनी से, टूट जाए....<br />ये दिनकर की पंक्तियाँ हैं और उस कविता का शीर्षक है- 'अब तो पथ यही है'<br />दूसरी बात-<br />' Love is not one way traffic'... फिर भी प्रेमी के लिए सर्वस्व सफलता का अरदास इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि प्रेम पर पश्चिम की थ्योरी हिन्दुस्तान में लागू नहीं होती... वैसे एक हकीक़त ये भी है की 'मिलता नहीं दोबारा गुज़रा हुआ ज़माना'मनीष चौहानhttps://www.blogger.com/profile/09622403627709538971noreply@blogger.com