सोमवार, 5 अक्तूबर 2009

पाक आतंकी वाया नेपाल

अमेरिका एक पल पाकिस्तान पर लगाम कसना चाहता है तो दूसरे पल में उसे आर्थिक सहायता प्रदान करता है। उस सहायता का इस्तेमाल पाकिस्तान अब सीधे भारत के खिलाफ नहीं करके नेपाल के रास्ते कर रहा है। तभी तो नेपाल के माओवादी संगठनों में मुस्लिम आतंकवादी भी नजर आने लगे हैं।
अमेरिकी मदद पाकर पाकिस्तान पहले भी भारत के खिलाफ आतंकियों को शह देता रहा है। पहले अमेरिका और बाद में पाक के पूर्व राष्टï्रपति परवेज मुर्शरफ के खुलासे के बाद पाकिस्तान ने अपने काम करने के तरीके में बदलवा कर लिया है। हालिया घटनाक्रम के अनुसार पाकिस्तान के आतंकी संगठन लगातार नेपाल के माओवादी संगठनों के लगातार संपर्क में हैं। पाक के आतंकी नेपाली माओवादियों के भेष में बिहार-उत्तरप्रदेश के सीमावर्ती इलाकों के रास्ते भारत में प्रवेश करते हैं और अपने मंसूबों को अंजाम तक पहुंचाने की फिराक में रहते हैं।
हाल के दिनों का सच तो यही है कि आतंकवाद की शिक्षा केवल पाकिस्तान के मदरसों में ही नहीं बल्कि भारत के तमाम मदरसों में भी दी जा रही है। खासतौर पर उत्तर प्रदेश और बिहार में नेपाल की सीमा से सटे इलाकों में पिछले तीन-चार साल के दौरान मदरसों की बाढ़ आ गई है, जिससे इस धारणा की और भी पुष्टि होती है। इसी का नतीजा है कि उत्तर प्रदेश और बिहार के सीमाई इलाकों में तकरीबन छह सौ मदरसे काम कर रहे हैं। तभी तो नेपाल के माओवादियों के भेष में मुस्लिम आतंकवादी सक्रिय दिखाइ दे रहे हैं। खुफिया एजेंसियों की तहकीकात से भी खुलासा भी हुआ है कि इन इलाकों की कई मसजिदें जेहादी काम-काज के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं। इसकी अगुवाई तबलीगी जमात तथा अहले हदीस के माध्यम से की जा रही है। इन संगठनों को तमाम अरबी एजेंसियों से भी वित्तीय मदद प्राप्त होती है। पाकिस्तान इनका मददगार है। इसके लिए वह पीर पगारों जैसे बरेलवी धड़ों का इस्तेमाल करता है। अकेले उत्तर प्रदेश में इस पट्टी में 800 किमी के क्षेत्र में विध्वंसक गतिविधियां जारी हैं। इसमें पीलीभीत से महाराजगंज तक के कई जिले शामिल हैं। अकेले सिद्धार्थनगर में 51 मदरसे हैं, जबकि महाराजगंज में 52 मदरसे। इनमें 14 नए मदरसे व मसजिदें 1997 के बाद निजी जमीन पर बनाए गए हैं। सन् 1990 से पहले इन मदरसों में आम तौर पर मजहबी तालीम दी जाती थी। लेकिन इसके बाद यहां उग्रवादी विचारधारा का पोषण होने लगा। यही वह दौर था जब आईएसआई ने मदरसों पर अपना प्रभुत्व बढ़ाना शुरू कर दिया।
खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक मुस्लिम विचारक व शिक्षक बेरोकटोक इन मदरसों का दौरा करते हैं, जिनमें मौलाना अब्दुल रुऊफ रहमानी का नाम प्रमुख है। वह नेपाल का रहने वाला है और मरकजी जमाएत अहले हदीस का अमीर है। इस राबिता-अहले-अलम इसलामी संगठन का मुख्यालय मक्का में है। भारत नेपाल सीमा के पास बन रहे मदरसों का संचालन अहले हदीस और मौलवी रहमानी किया करते हैं। इसी तरह नेपाल के कृष्णा नगर में रहने वाला मौलाना अब्दुल मदनी अहले हदीस का नायब अमीर है। यह मदरसा खिजत-उल-कुब्रा को चलाता है। कहा जाता है कि इसका संबंध आईएसआई व दाऊद इब्राहिम से है। इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ नगर जिले में बैरहवा में एक मदरसा तालिमात-ए-दीन के नाम से चल रहा है। इस मदरसे के मौलवी मोहम्मद अली को उस समय दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था जब वह पाकिस्तान जा रहा था। उसने आईएसआई के साथ अपने संबंधों को कबूल भी किया था।
गौर करने योग्य तथ्य यह भी है कि अमेरिकी कांग्रेस के शक्तिशाली पैनल ने कुछ कठिन शर्त् लगाते हुए उस विवादास्पद अधिनियम को मंजूरी दे दी जिसमें पाकिस्तान की असैन्य मदद को बढ़ाकर तिगुना कर दिया गया है। अमेरिकी संसद के कुछ सदस्यों ने क़ानून में इस तरह की कड़ी शर्तों पर चिंता जताई है। पाकिस्तान सहायता और सहयोग क़ानून के तहत अमरीका से पाकिस्तान को मिलने वाली आर्थिक सहायता तिगुनी हो जाएगी। इसके तहत वर्ष 2013 तक उसे हर साल डेढ़ अरब डॉलर की राशि दी जाएगी। इसका उपयोग पाकिस्तान के राष्ट्रीय और प्रांतीय संस्थानों, शिक्षा और न्यायिक प्रणाली को मज़बूत बनाने में किया जाएगा। तालिबन और अन्य चरमपंथी गुटों से लड़ रही पकिस्तानी सेना और विशेष बलों की क्षमता बढ़ाने के लिए भी पैसे दिए जाएंगे। अमेरिकी संसद ने अलग से युद्ध कोष विधेयक के तहत 40 करोड़ डॉलर का राशि देने को मंज़ूरी दी है। संसदीय समिति के चेयरमैन होवर्ड बर्मन के अनुसार, 'हम सभी पाकिस्तान के स्थायित्व और सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं। हम अल क़ायदा या किसी अन्य आतंकवादी समूह को पाकिस्तान में गतिविधियाँ चलाने की अनुमति नहीं दे सकते जिनसे अमरीका की सुरक्षा को ख़तरा है।Ó
दरअसल, नई शर्तो में इस्लामाबाद को पड़ोसी देशों में सीमा पार आतंकवाद रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की बात शामिल है। करीब एक घंटे की बहस के बाद इस अधिनियम को सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दी गई थी। पाकिस्तान मदद एवं सहायता वृद्धि अधिनियम (पीस) 2009 को मंजूरी देते हुए सदन की विदेश मामलों की समिति ने पाकिस्तानी सेना और इसकी खुफिया एजेंसी को आतंकी गतिविधियों और संगठन को समर्थन नहीं देने की सख्त ताकीद की है। यह बिल अब मंजूरी के लिए प्रतिनिधि सभा के पास जाएगा। सदन की विदेश मामलों की समिति के चेयरमैन हावर्ड एल बरमेन द्वारा 2 अप्रैल को पेश इस मूल अधिनियम से पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की कड़ी आपत्ति के बाद 'भारतÓ शब्द हटाया गया है। 'भारतÓ शब्द के बजाय अब अधिनियम में 'पड़ोसी देशÓ शब्द इस्तेमाल किया गया है। ओबामा प्रशासन ने सांसदों से कहा कि 'भारतÓ शब्द के इस्तेमाल से विपरीत प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि पाकिस्तानी सरकार को इस पर आपत्ति है। अधिनियम में नए बदलाव के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति को आतंकरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए पाकिस्तान सरकार की प्रगति से हर वर्ष कांग्रेस को अवगत कराना होगा। मूल अधिनियम में यह शर्त भी लगाई गई थी कि पाकिस्तान किसी भी स्थिति में अपने क्षेत्र का उपयोग पड़ोसी देश भारत में आतंकी गतिविधि के लिए नहीं होने देगा। इसके साथ ही पाकिस्तान किसी ऐसे समूह को समर्थन नहीं देगा जिसका संबंध भारत में आतंकी गतिविधि को बढ़ावा देने से है। वैसे, देशहित में अधिनियम में में किसी प्रावधान को जोडऩे अथवा हटाने का अधिकार अमेरिकी राष्टï्रपति को दिया गया है।
अव्वल तो यह कि नेपाल के इस्लामी मुक्ति मोर्चा के लोग माओवादियों और वाईसीएलएल के कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलते हैं, और आए दिन नेपाली सीमा पर हिंदू और भारत विरोधी नारे लगाते हैं। प्रतिक्रिया स्वरूप हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता भी सोनौली स्थित भारतीय सीमा पर माओवादियों और इस्लामी आतंकवादियों के विरोध में नारे लगाते हैं, किंतु सोनौली पुलिस चौकी वाले कुछ नहीं बोलते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में गोरक्ष पीठ के महंत अवैद्य नाथ और सांसद योगी आदित्य नाथ, पाटेश्वरी देवी शक्तिपीठ देवीपाटन के महंत और तुलसीपुर (बलरामपुर) के विधायक महंत योगी कौशलेंद्र नाथ इन्ही मदरसों और उनमें छिपे बैठे भारत और हिंदु विरोधी तत्वों की विध्वंसक गतिविधियों से दिन रात जूझ रहे हैं। एक और तथ्य सामने आया है और वो यह है कि नेपाल में वहां के माओवादियों के बीच में घुसकर मुस्लिम कट्टरपंथी, नेपाल में और भारत के सीमावर्ती जिलों में हिंदुओं पर जानलेवा हमले कर रहे हैं। नेपाल में माओवादियों की आड़ में इनका हिंदुओं को डराने और उनको खत्म करने का सुनियोजित खेल चल रहा है।

1 टिप्पणी:

निशाचर ने कहा…

भारत नेपाल सीमा पर बने मदरसे आज से १२- १५ साल पहले ही बनने शुरू हो गए थे. खुफिया तंत्र ने इनमें संचालित हो रही भारत विरोधी गतिविधियों की सूचना भी दी थी परन्तु सरकारें कान में तेल डाले बैठी रहीं. अब वह भारत के लिए एक बड़ा खतरा बन चुके हैं.