बुधवार, 22 जुलाई 2009

गुम हो रही चिटठी


अपनों की खैरियत का सुखद इंतजार चिटठी मिलने पर, अपनों से आधी मुलाकात हो जाने का अहसास तकिए के नीचे चिटठी रखना और घरवालों की याद आते ही उसे निकाल कर पढऩा - अब यह सब कुुछ मानों किस्से-कहानियें की बातें हो चुकी है क्योंकि सूचना क्रांति ने डाक सेवा बुरी तरह प्रभावित हुई है और पिछले कुुछ वर्षो के दौरान डाक की कुल मात्रा में काफी गिरावट आई है।

संचार और सूचना प्रोैद्योगिकी मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि पिछले कुुछ वर्षो में जहां साधारण डाक की मात्रा में काफी तेजी से कमी आइ्र है, वहीं स्पीड पोस्ट बिजनेस पोस्ट और एक्सप्रेस पार्सल का इस्तेमाल तेजी से बढा हैै। सूत्रों का यह भी कहना हे कि अब ज्यादातर लोग चिटठी लिखने के बजाय ईमेल जैसी सुविधा का फ ायदा उठाते हैैं। फोन की दरों में कमी और मोबाइल फोन के बढते चलन ने भी चिटठी को अप्रासंगिक कर दिया है क्योंकि लोग फोन से कुछ ही पलों में अपनों की खैरियत पूछ लेते हैं और उस पर उनकी आवाज सुनने का अलग ही एहसास होता है। अब तो राखी और शुभकामनाओं के आदान प्रदान के लिए भी लोग ई-मेल का इस्तेमाल करते हैैँं। पहले जैसी बात अब नहीं है कि पानी बरसने के कारण कच्ची सड़क वाले गांवों में कई दिनों तक डाक नहीं जा पाती थी। अब साइबर कैफे का संजाल बढ़ता ही जा रहा है औरदेखते देखते काम हो जाता है।

मंत्रालय सूत्रों के अनुसार पहले पढने-लिखने के शौकीन व्यक्ति संपादक के नाम पत्र लिखते थे लेकिन अब अखबारों और पत्रिकाओं के अलग ईमेल आईडी होते हैैं, इसलिए वहां भी चिटठी की गुंजाइश नहीं के बराबर रह गई हैै॥

संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार , भारत में 31 मार्च 2006 की स्थिति के अनुसार कुल 155333 डाकघर हैं। यह विश्व का सबसे बड़ा डाक नेटवर्क है, जिसमें से 89 फीसदी डाकघर ग्रामीण क्षेत्रों में है। एक डाकघर औसतन 21।16 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र तथा 6623 व्यक्तियों की आबादी की सेवा करता है जो अन्य देशों के समतुल्य है॥ वर्ष 2002-03 में स्पीड पोस्ट का राजस्व 243.01 करोड़ रूपये था जो 2003-04 में 298.35 करोड़ रूपये और 2004-05 में बढकर 354.16 करोड़ रूपये हो गया। इसी अवधि में बिजनेस पोस्ट का राजस्व क्रमश: 276.89 करोड़ रूपए, 365.11 करोड़ रूपये और 473.06 क रोड़ रूपये दर्ज किया गया।

सूत्रों के अनुसार इसके बिलकुल विपरीत परंपरागत डाक की मात्रा में गिरावट आई है। वर्ष 2000-01 में अपंजीकृत डाक की मात्रा 1395।80 करोड़ थी जो 2004-05 में घटकर 714.62 करोड़ रह गई जबकि पंजीकृत डाक की मात्रा दर्ज की गई। सूत्रों ने बताया कि डाक वित्त सेवाओं के परिवेश में सुधार के लिए डाक वित्त मार्टो की स्थापना की जा रही है ताकि ग्राहकों को एक ही स्थान पर बचत बैंक डाक जीवन बीमा ओरियंटल लाइफ इंश्योरेंस अंतर्राष्ट्रीय धनांतरण म्युच्यूलफ ंड एवं बांड सरकारी प्रतिभूति घरेलू धन पारेषण जैसी सभी डाक वित्त सेवाएं सुलभ हो सकें। सूत्रों के अनुसार डाक विभाग ने अपनी सेवाओं के विस्तार और उन्हें स्तरीय बनाने क लिए स्पीड पोस्ट एक्सप्रेस पार्सल सेवा बिजनेस पोस्ट बिल, मेल सेवा ई पोस्ट डायरेक्ट पोस्ट ई बिल पोस्ट आदि की शुरूआत की है। मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि स्पीड पोस्ट सेवा के लिए ही वन इंडिया वन रेट नामक योजना शुरू की गई है, जिसमें 50 ग्राम वजन वाली डाक के लिए 25रूपए की लागत तय की गई है। यह सेवा अंतर्राज्यीय दस्तावेज सेवाओं का लाभ उठाने और ग्राहकों को लाभ पहुंचाने के लिए शुरू की गई है।

5 टिप्‍पणियां:

शरद कोकास ने कहा…

अब चिठ्ठी आई है गाने की जगह गाना होगा इमेल आया है वतन से इमेल आया है

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

यहाँ भी इंसान की ही मेहरबानी है, क्या आज के वक्त में आप यह गारंटी के साथ उम्मीद कर सकते है कि कोई अपना अगर हमें चिट्ठी भेजे तो ये डाक विभाग वाले उसे डिलीवर करेंगे ?

ओम आर्य ने कहा…

bahut hi sundar baat kahi hai .....our yah sach hai

Sanjay Swadesh ने कहा…

sandeso ke sansar me sannata hain.
jo log samjhate hain ki chhithiyo me jindadila taumra barkar rahate hian to unhe kam se kam aapse har dost ristedaro ke ak apr time nikar kar chhitti likhar dak se post karni chahiye. post office me untrdeshiy patr 2.50 me milta hin. yadi untardeshiya patr likhane bhar ka time na ho to 0.50 paisa ka post card bahej kar aapno ko wah khushi di ja sakthi hain jo sms se na milen.
Aur aap mane ya n mane.. Mai sal me karib 1000 Post card aur 10 Letter aaj v mitro ko bhejata hun.

रंजना ने कहा…

अच्छी जानकारी दी आपने.....

वैसे एकदम सही कहा.....चिट्ठियों की बात ही कुछ और होती थी......ये आती थी तो लगता था अपने प्रियजनों से आधी मुलाकात हो गयी....