ममता बनर्जी कभी निराश नहीं करती हैं। राजनीति में हों या रेल में, आप ममता के कदमों की भविष्यवाणी कर सकते हैं। तभी तो उनका रेल बजट देश ने जैसा सोचा था, वैसा ही पाया। रेल या माल भाड़े में कोई बढ़ोतरी नहीं, ढेर सारी नई ट्रेनें, बंगाल का खास ख्याल आदि-आदि। रेल अकेला ऐसा मंत्रालय है जिसका आम बजट से अलग बजट होता है, इसीलिए रेल मंत्रालय पाने के लिए इतनी मारामारी होती है। 'पूरा देश अपना, पर अपना राज्य सबसे पहलेÓ, राजनैतिक कारण हो या फिर दिली इच्छा, अपने राज्य के लिए अधिक से अधिक ट्रेन चलाने की ख्वाहिश हर रेल मंत्री की होती है। सो, ममता दी ने भी यही किया।
बिहार में दौडऩे वाली 'लालू एक्सप्रेसÓ की तरह ही 'ममता मेलÓ ने पश्चिम बंगाल में 13 नई ट्रेनें चलाकर अपना जलवा बिखेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बंगाल के दिल में कोई कसक नहीं रह जाये इसलिए कहीं नहीं रूकने वाली 12 में से 2 'तुरंत एक्सप्रेसÓ बंगाल को समर्पित कर डाला। इसी के साथ हावड़ा, सियालदह, कोलकाता व न्यू जलपाईगुड़ी को विश्व स्तरीय स्टेशनों में शुमार करने की कवायद भी कर डाली। भले ही पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद ने बिहार के छपरा में रेल कोच फैक्ट्री लगाने का ऐलान किया था। ममता ने इस मामले में पीछे छूटने के डर से पश्चिम बंगाल के काचरापाड़ा में फैक्ट्री लगाने की घोषणा कर डाली। इस सब के बीच कोलकाता मेट्रो को कैसे भूलती। लगे हाथ इसके विस्तार का भी ऐलान हो गया। हालांकि, आम लोगों से लेकर कारोबारियों तक ने ममता के इस बजट की तारीफ की।
एक महत्वपूर्ण बात ममता बनर्जी ने कही इज्जत के बारे में। गरीब लोगों को पच्चीस रुपए में 100 किमी की दूरी तक महीने भर यात्रा की सुविधा दी। लेकिन आजादी के बासठ साल बाद भी सामान्य श्रेणी के डिब्बों में लोग लकड़ी के पट्टों पर बैठकर सफर करते हैं। डिब्बा चाहे आरक्षित हो या अनारक्षित, बैठने के लिए मुलायम सीट का न होना सामान्य श्रेणी में बैठने वालों को उनकी औकात दिखाने जैसा है। छूट न दो, सोने की जगह न दो, पर रेक्जीन का ही सही, सीट कवर लगाना अनिवार्य होना चाहिए। तीन महीने के भीतर मुंबई से दिल्ली और दिल्ली से कोलकाता के बीच पायलट आधार पर ये सेवाएँ शुरू की जाएँगी। असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को सम्मान के साथ सफर करने का तोहफा देते हुए 'इज्जतÓ नामक योजना की घोषणा की, जिसके तहत 1500 रुपए तक की मासिक आय वाले असंगठित क्षेत्र के मजदूर 100 किलोमीटर तक की यात्रा 25 रुपए के रियायती मासिक टिकट पर कर सकेंगे। हरकोई जानता है कि माकपा के तीन दशक से अधिक शासनकाल में भी पश्चिम बंगाल में गरीबों की दशा-दिशा नहीं सुधर पाई है। ऐसे में इज्जत योजना के जरिए सीधे तौर पर समाज के एक बड़े तबके को अपने पक्ष में करने की कोशिश है।
काबिलेगौर है कि पिछले साल रेल मंत्री लालू प्रसाद ने कुल 53 नई गाड़ी की घोषणा की थी और इनमें से 13 गाडिय़ां बिहार से जुड़ी थी। तब दक्षिण भारत के कई सांसदों ने इसे बिहार का रेल बजट बताया था। लालू पर हमेशा यह आरोप लगा कि वह ट्रेनों के आवंटन में बिहार के साथ पक्षपात करते हैं। लेकिन जब हालिया रेल बजट में 57 नई ट्रेनों में 13 पश्चिम बंगाल से जोड़ी गईं। ममता ने पश्चिम बंगाल के लिए न्यू जलपाईगुड़ी-सियालदह, हावड़ा-बंगलुरू, रांची-हावड़ा, गांधीधाम-हावड़ा, न्यूजलपाईगुड़ी-दिल्ली, हावड़ा-हरिद्वार, गुवाहाटी-न्यू कूच विहार, बेलूरघाट- न्यू जलपाईगुड़ी, अलीपुर द्वार-न्यू जलपाईगुड़ी, कोलकाता-रामपुर हाट, न्यू जलपाईगुड़ी-दीघा, पुरुलिया हावड़ा एवं कोलकाता-बीकानेर रूट पर नई ट्रेन चलाने की घोषणा की। तो माकपा की ओर से कहा गया कि ममता ने यह रेल बजट 2011 में पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनाव को ध्यान में रखते हुए तैयार किया। राजनीतिक प्रेक्षक भी माकपा के वक्तव्य से इत्तेफाक रखते हैं।
गुरुवार, 9 जुलाई 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें